प्रिसिपिटस लेबर (Precipitous labor) के शुरुआती दौर में इसकी पहचान कर पाना मुश्किल हो सकता है। आमतौर पर शुरुआत में कुछ हल्के, अनियमित संकुचन (Irregular contractions) का एहसास होता है। कुछ देर बाद कॉन्सट्रेक्शन तेजी से होने लगते हैं। ये इस बात की पहचान है कि सर्विक्स (Cervix) ओपन होने वाला है और ये पतला और छोटा होने लगता है। इस प्रक्रिया के बाद शिशु कभी भी बाहर आ सकता है। कुछ महिलाओं को संकुचन का एहसास नहीं होता है और उन्हें महसूस होता है कि उन्हें अब पुश करना चाहिए।
और पढ़ें: डिलिवरी के बाद अवसाद की समस्या से कैसे पाएं छुटकारा
प्रिसिपिटस लेबर या रैपिड लेबर (Rapid labor) हो, तो क्या करना चाहिए?
जब भी लेबर शुरू होता है, तो महिलाओं के पास इतना समय रहता है कि वो हॉस्पिटल पहुंच जाए और फिर डॉक्टर की देखरेख में बच्चे को जन्म दें। प्रिसिपिटस लेबर (Precipitous labor) के दौरान महिलाओं को ज्यादा समय नहीं मिल पाता है। ऐसा रैपिड लेबर यानी संकुचन के जल्दी-जल्दी होने के कारण होता है। किस महिला को रैपिड लेबर (Rapid labor) से गुजरना पड़ेगा, ये डॉक्टर पहले से नहीं बता सकते हैं। महिलाओं को खुद ही इस स्थिति के लिए तैयार होना होगा। आपको प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में (Last months of pregnancy) अकेले बाहर नहीं जाना चाहिए। अगर जरूरत पड़े तो किसी को साथ जरूर ले जाएं। ऐसे हॉस्पिटल का चुनाव करें, जो आपके घर से कुछ ही दूरी पर हो। अगर आपको लेबर पेन शुरू हो जाता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और हॉस्पिटल पहुंचने की कोशिश करें। आप डॉक्टर से भी इस बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
प्रिसिपिटस लेबर का किसको हो सकता है ज्यादा जोखिम (Precipitous labor risk)
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि प्रिसिपिटस लेबर किसे होगा, इस बारे में पहले से बता पाना डॉक्टर के लिए कठिन होता है लेकिन कुछ लोगों में इसकी ज्यादा संभावना होती है। जिन महिलाओं को पहले भी प्रिसिपिटस लेबर या रैपिड लेबर हो चुका है, उन्हें दूसरी डिलिवरी के दौरान इसका अधिक खतरा रहता है। अगर किसी महिला ने पहले बच्चे को रास्ते में या फिर कार में जन्म दिया है, तो ऐसी महिलाओं को सेकेंड डिलिवरी (Second delivery) के दौरान अधिक सतर्क रहने की जरूरत पड़ती है। वहीं जिन महिलाओं को क्रॉनिक हाय ब्लड प्रेशर (Chronic high blood pressure)की समस्या हो या जिन्होने फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कराया हो या लेबर के दौरान पीजीई 2 (Prostaglandin E2) दिया गया हो, उनका सर्विक्स डायलेट होने के अधिक चांसेज रहते हैं। जिन महिलाओं के बच्चे का वजन कम होता है, उन्हें भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।