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वर्किंग मदर्स की समस्याएं होंगी कम अपनाएं ये टिप्स

वर्किंग मदर्स की समस्याएं होंगी कम अपनाएं ये टिप्स

ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिक्स के अनुसार, अमेरिकी वर्किंग मदर्स को वर्किंग डैड्स की तुलना में घर और बच्चे की देखभाल के लिए लगभग डेढ़ घंटे ज्यादा देना पड़ता है, जबकि पिता अपने ऑफिस ऑवर के बाद भी रोज लगभग एक घंटे फ्री रहते हैं। कामकाजी माएं घर के कामों के साथ-साथ ऑफिस का काम भी संभालती हैं। इस स्थिति में वर्किंग मदर्स की समस्याएं कई गुना बढ़ जाती हैं। “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में वर्किंग मदर्स की समस्याएं और उनके समाधान दिए गए हैं, हो सकता है ये टिप्स आपके काम आ जाएं।

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जानिए वर्किंग मदर्स की समस्याएं

वर्किंग मदर्स की समस्याएं निम्न हो सकती हैंः

स्ट्रेस से संबंधित वर्किंग मदर्स की समस्याएं

दुनिया भर की रिसर्च से पता चलता है कि वर्किंग मदर्स के तनाव का स्तर उन महिलाओं की तुलना से अधिक है जो अपना सारा समय या तो बच्चों की देखरेख या कामकाज के लिए समर्पित करती हैं। घर और करियर को संभालना और लगातार मल्टीटास्किंग करना उनके शरीर और दिमाग के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके चलते कई बार महिलाएं अपना गुस्सा अपने परिवार पर निकाल देती हैं जिससे उन्हें और भी ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्या सिंगल वर्किंग मॉम्स में और भी ज्यादा देखने को मिलती है।

स्वास्थ्य संबंधी वर्किंग मदर्स की समस्याएं

वर्किंग मदर्स के लिए अतिरिक्त काम का बोझ शरीर के विभिन्न हिस्सों पर प्रभाव डालता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे-अस्थमा, गठिया, हृदय संबंधी समस्याएं, नींद न आना और लंबे समय तक शरीर में दर्द हो सकता है। एक तरफ वर्किंग मॉम्स की इनकम से जहां परिवार को एक अच्छी लाइफस्टाइल मिल सकती है, वहीं खुद की देखभाल की कमी उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

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कार्यस्थल से जुड़ी वर्किंग मदर्स की समस्याएं

ज्यादातर, वर्किंग मॉम्स अपनी योग्यता और अपने काम के प्रति कमिटमेंट के बावजूद भी और लोगों की तुलना में कम आंकी जाती हैं। ऐसे में महिलाओं में नौकरी से असंतुष्टि होने लगती है। इससे उनके मन में बुरा प्रभाव पड़ता है और कभी-कभी तो नौकरी छोड़ने की भी नौबत आ जाती है।

इंटीमेसी का अभाव भी है वर्किंग मदर्स की समस्याएं

वर्किंग महिलाओं की एक और बड़ी समस्या उनके जीवनसाथी के साथ अंतरंगता में कमी आना है। थकान, तनाव, घर और ऑफिस के कामों में उलझे रहने की वजह से सेक्स लाइफ भी फीकी होने लगती है। इसका प्रभाव रिश्ते पर भी दिखने लगता है।

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व्यक्तिगत रुचियों के लिए समय की कमी

व्यक्तिगत गतिविधियों के लिए समय निकालना, जैसे कि जिम जाना या दोस्तों के साथ समय बिताना, अपनी हॉबी के लिए समय निकालना आदि, वर्किंग मॉम्स के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि अगर समय होता भी है तो उस समय महिलाएं नींद पूरी करने की सोचती हैं। घर और ऑफिस के कामों में जूझती कामकाजी माएं अक्सर डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन की शिकार हो सकती हैं।

वर्किंग मदर्स की समस्याएं बढ़ा सकता है अतिरिक्त खर्च

अगर माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं, तो इसका मतलब है कि बच्चे की परवरिश के लिए उन्हें किसी तीसरे व्यक्ति की मदद की आवश्यकता हो सकती है। आमतौर पर अपनी इस समस्या को सुलझाने के लिए लोग बच्चे की देखभाल करने के लिए आया के साथ-साथ ढेर सारे खिलौने और सुविधा जनक वस्तुएं खरीदते हैं। इन सुविधाओं में उनकी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा भी खर्च होता है।

घर के काम-काज में परेशानी

आंकड़ों के मुताबिक, 1970 के दशक की तुलना में पुरुष अब महिलाओं के साथ घर के कामकाजों में हाथ बटाने लगे हैं। हालांकि, फिर भी घर की आधी से अधिक जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर ही होती है। घर के काम के लिए घंटे बांटना और ऑफिस समय पर जाने में उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार इसके कारण उनका निजी और कामकाजी दोनों जीवन प्रभावित होता है। जिसके कारण पारिवारिक कलह, पति के साथ रिश्तें में अनबन भी हो सकता है, जिसका प्रभाव मानसिक और व्यवहारिक तौर पर बच्चे पर भी पड़ सकता है।

बीमार बच्चों की देखभाल करने में परेशानी

कामकाजी होते हुए हर वक्त बच्चे को समय दे पाना हर मां के लिए मुमकिन नहीं होता है। ऐसे में अगर कभी बच्चा बीमार हो जाए तो उसकी देखभाल करना अक्सर महिला के लिए चुनौती भरा हो सकता है। बच्चे की देखभाल करने के लिए अक्सर उन्हें ऑफिस को कम तवज्जों देना पड़ता है।

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वर्किंग मदर्स की समस्याओं के लिए टिप्स

वर्किंग मदर्स की समस्याएं कम करने के लिए निम्न टिप्स काम आ सकते हैंः

  • वर्किंग मदर्स, वीकेंड में बच्चों और फैमिली को पूरा समय दें। ऐसे में कोशिश करें कि पूरा वीकेंड खाली रखें।
  • वर्किंग मॉम को प्लानिंग से काम करना चाहिए। एक लिस्ट बनाएं और उसी के अनुसार काम को नियमित रूप से पूरा करें। ऐसा करने से काफी समय बचेगा।
  • फैमिली और ऑफिस के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए पूरी योजना से काम करें और अपना एक रूटीन तय कर लें।
  • घर के कामों के लिए अन्य लोगों की मदद लें और खुद के लिए भी समय निकालें।
  • इसके साथ ही उनका डायट का ध्यान रखना भी जरूरी है। हेल्दी फूड खाएं और वर्कलोड की वजह से कभी भी मील स्किप न करें।
  • इसके साथ ही उन्हें ऑफिस के बाद या सुबह योगा, एक्सरसाइज या वॉक के लिए टाइम निकालना चाहिए। इससे न सिर्फ वे फिट रहेंगी ब्लकि स्ट्रेस लेवल भी कम होगा।

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वर्किंग मदर होना कठिन है लेकिन, इस तरह की लाइफस्टाइल को चुनना आपके लिए अच्छा हो सकता है। एक अध्ययन में सामने आया है कि वर्किंग मॉम्स के बच्चे ज्यादा होशियार और जिम्मेदार होते हैं। हालांकि, आकड़ों के अनुसार 1970 के दशक की तुलना में पुरुषों ने इन दिनों घर के कामों में मदद करना शुरू कर दिया है। फिर भी महिलाओं को अभी भी घरेलू कामों का प्रमुख भार उठाना पड़ता है।

वर्किंग मॉम्स को भी फुल टाइम मॉम्स की तरह ही काम करना पड़ता है। पिता की तुलना में वे अधिक काम करती हैं। जो मॉम, वर्क फ्रॉम होम या पार्ट टाइम जॉब करती हैं, उनका समय भी चुनौतियों से भरा हुआ रहता है। यह उनके व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन के बीच एक गंभीर असंतुलन का कारण बनता है। इसलिए घर के सदस्यों को भी उनका हाथ बंटाना चाहिए। साथ ही वर्किंग मॉम्स को भी सारी जिम्मेदारी अपने सिर न लेकर दूसरों से मदद लेने के लिए तैयार रहना चाहिए।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

21/12/2021

Shikha Patel द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal

Updated by: Bhawana Awasthi


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Mayank Khandelwal


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

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