कंसीव करने के समय से लेकर बच्चे के जन्म तक, मां के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। मां बन जाने के बाद भी चुनौंतिया कम नहीं होती हैं। मां को जहां एक ओर अपने शरीर में हो रहे अनगिनत दर्द को सहन करना होता है, वहीं दूसरी ओर बच्चे को भी संभालना होता है। मां बनने के बाद बच्चे की देखभाल चुनौतिपूर्ण होती है। अगर ऐसे समय में कोई चूक हो जाए, तो बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। नई मां बच्चे की देखभाल के दौरान कई बातों से अनजान होती है। धीमे-धीमे ही उसे समझ में आता है कि कैसे बच्चे की देखभाल की जाए। ऐसे में कुछ माएं गलती भी कर देती है और समय रहते गलतियां भी सुधार लेती है। बच्चे का ख्याल कैसे रखना है या फिर न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) कैसे करनी चाहिए, ये जानकारी आपने या तो अपनी मां से ली होगी या फिर आपने डॉक्टर या किसी एक्सपर्ट से प्राप्त की होगी। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको उन माओं के एक्सपिरियंस के बारे में बताएंगे, जो उन्होंने न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) के समय इस्तेमाल किए थे। हमें यकीन है कि आपको माओं के न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) से संबंधित उनके एक्सपीरियंस जरूर पसंद आएंगे।
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न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics)
न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) के दौरान आपको एहसास होता है कि आपने जैसा पहले सोचा था, वैसा तो बिल्कुल भी नहीं है। जी हां! माओं ने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए ये बात खासतौर पर कहीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान बेबी की देखभाल को लेकर जैसा हमने सोचा था, उससे कहीं अलग एक्सपीरियंस हमने महसूस करें। जानिए न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) के लिए इन माओं ने क्या तरीके अपनाएं।
बॉटल से दूध पिलाने के बजाय अपनाएं कटोरी-चम्मच का कॉन्सेप्ट
भोपाल की रहने वाली जूही परमार ढाई साल के बेटी की मां है। जूही की जॉब ऐसी है उन्हें महीने में दो से तीन बार ट्रैवल करना पड़ता है। न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) के बारे में बताते हुए जूही कहती हैं कि मैं ब्रेस्ट मिल्क पंप का इस्तेमाल करती थी और फिर बच्चे को बॉटल से दूध पिलाती थी। ट्रेवलिंग के दौरान भी मैंने बच्चे को बॉटल से दूध पिलाया। बॉटल साफ न होने के कारण बच्चे को डायरिया की समस्या हो गई। तब मैंने एक बात सीखी कि बच्चों के लिए दूध की बॉटल का इस्तेमाल करने के बजाय हमेशा कटोरी चम्मच का इस्तेमाल करें। अगर आप बॉटल को सही से साफ नहीं कर पाते हैं, तो ये बच्चे को बीमार कर देता है। कटोरी चम्मच आप आसानी से साफ कर सकते हैं लेकिन बॉटल नहीं। जूही का मानना है कि बच्चे बॉटल से दूध पिलाना भले ही आसान लगता हो लेकिन चूक हो जाने पर ये बच्चे को नुकसान पहुंचाता है।
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अपना सकती हैं कपड़े से बनें डायपर
न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) के संबंध में जब हमने मुंबई की रहने वाली चार साल के बेटे की मॉम देवयानी ने बात की, तो उन्होंने कहा कि न्यूबॉर्न बेबी हर एक से दो घंटे में कपड़ा गीला करता है, इसलिए डायपर को सही समय पर चेंज करना बहुत जरूरी होता है। कुछ मॉम्स डायपर लगाने के बाद लंबे समय तक उसे लगा रहने देती है, जिससे उसे स्किन में रैशेज के साथ ही यूरिनल इंफेक्शन (Urinary infection) या अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। मुझे शुरुआत में नहीं पता थी कि डायपर को कितने घंटे में चेंज करना चाहिए, इसलिए बच्चे को रैशेज की प्रॉब्लम शुरू हो गई।
बच्चे की स्किन बहुत सेंसिटव होती है। आपको बच्चे के लिए कपड़े का डायपर इस्तेमाल करना चाहिए, जो आसानी से मार्केट में मिल जाते हैं। आप चाहे तो घर में भी इसे सूती कपड़े से तैयार कर सकते हैं। अगर आप घर में हैं, तो ये आदत जरूर अपनाएं। ऐसा करने से बच्चे को भी अच्छा महसूस होता है। बाजार में मिलने वाले डायपर में प्लास्टिक की लेयर होती है, जो बच्चे की स्किन में हवा नहीं पहुंचने देती है। अगर आप अपनी दादी से पूछेंगी, तो पता चल जाएगा कि पहले नवजात के लिए डायपर का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता था। मुझे लगता है कि हर मां को इस बात की जानकारी होनी चाहिए।
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नवजात बच्चे की देखभाल करते समय हाइजीन का रखें ख्याल
आगे देवयानी कहती हैं कि न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) में लोगों के मन में बेबी की साफ-सफाई को लेकर भी प्रश्न रहते हैं। जब मेरा बेबी पैदा हुआ था, उसके एक तीन चार दिन बात मैंने बेबी को नहलाना छोड़ दिया और करीब एक हफ्ते तक केवल उसके कपड़े ही बदले। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मौसम थोड़ा सा ठंडा हो गया था। लेकिन ये गलत है। इस कारण से बच्चे की स्किन में छोटे-छोटे दाने आ गए, जो कि पसीना इकट्ठा होने के कारण हुए थे। मुझे डॉक्टर ने सलाह दी कि बच्चे को बंद कमरे यानी रूप के टेम्परेचर में नॉर्मल या हल्के गुनगुने पानी से रोजाना जरूर नहलाना चाहिए।
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बिना जानकारी के न दें कोई पाउडर
बच्चों को छह माह के बाद दूध के साथ अन्य आहार भी देना शुरू किया जाता है। ऐसे में पेरेंट्स के मन में ये बात आती है कि उन्हें गाय के दूध या अन्य दूध के साथ फ्लेवर युक्त पाउडर मिलाकर देना शुरु कर दें। लेकिन ये बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं। अपने एक्सपीरियंस के बारे में बताते हुए कानपुर की शिखा कहती हैं कि मैं ये गलती कर चुकी हूं। इस कारण से बच्चे को पेट में दर्द की समस्या शुरू हो गई थी और दस्त भी हो गए थे। मैं आपको भी इस बारे में सलाह देना चाहती हूं। आपको बिना डॉक्टर की जानकारी के किसी भी तरह के सिरप या फिर मिल्क पाउडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) से संबंधित माओं के ये एक्सपीरियंस पसंद आएं होंगे और आप ऐसी कोई भी गलती नहीं करेंगे, जिससे बच्चे को नुकसान पहुंचे। आप डॉक्टर से न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न पूछ सकते हैं।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल (Newborn baby care basics) से संबंधित एक्सपीरियंस को शेयर किया है। के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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