जब सिस्टोलिक प्रेशर 140 तथा डायस्टोलिक 90 mmHG से अधिक हो तो इसे हाय ब्लड प्रेशर माना जाता है। यह गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) को कंट्रोल रखना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने पर प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ावा मिलता है। इसे टॉक्सेमिया भी कहते हैं। इससे मस्तिष्क के साथ शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) होना मां के साथ बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
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गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर के क्या कारण हो सकते हैं? (Cause of High blood pressure during pregnancy)
गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- गर्भवती महिला का अधिक वजन या मोटापा
- फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना
- धुम्रपान (Smoking) करना
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन
- पहली बार प्रेग्नेंट होना
- गर्भावस्था के दौरान हाय ब्लड प्रेशर की फैमिली हिस्ट्री
- मल्टिपल प्रेग्नेंसी (Multiple pregnancy)
- 35 वर्ष से अधिक की उम्र में प्रेग्नेंसी
- आईवीएफ (IVF) की तकनीकी
- डायबिटीज (Diabetes) की समस्या
- ऑटो-इम्यून डिजीज
प्रेग्नेंसी में हाय बल्ड प्रेशर की परेशानी होना सामान्य है क्योंकि इस दौरान महिलाओं का शरीर बहुत सारे बदलावों से गुजर रहा होता है। ऐसे में डॉक्टर भी महिलाओं को सलाह देते हैं कि अधिक एक्टिव रहें और लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज करें। प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड प्रेशर होना आगे चलकर गर्भवती महिला के पेट में पर रहे बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (Risk factor of High blood pressure during pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हाय बीपी का होना कुछ हद तक गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं में से एक है। हालांकि इसे वक्त पर नियंत्रित नहीं किया गया तो इससे खतरा बढ़ने के चांसेस रहते हैं। निम्नलिखित रिस्क फैक्टर्स इसकी संभावना को बढ़ा सकते हैं।
1. जीवनशैली (Lifestyle)
गर्भावस्था के दौरान जीवनशैली गड़बड़ होने से उच्च रक्तचाप हो ने का खतरा हो सकता है। अधिक वजन या मोटापा या फिजिकली बहुत कम एक्टिव रहना भी इसके प्रमुख जोखिम के कारक हैं। डॉक्टर सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अधिक एक्टिव रहना चाहिए। लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) के चांसेस को कम किया जा सकता है।
2. गर्भावस्था का प्रकार (Types of pregnancy)
पहली बार प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं में गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) होने की संभावना अधिक रहती है। हालांकि जब वही महिला दूसरी बार गर्भवती होती हैं तो उस दौरान इसका खतरा काफी हद तक कम होता है।
मल्टिपल प्रेग्नेंसी में भी महिला को हाय ब्लड प्रेशर की अधिक संभावना होती है। क्योंकि शरीर एक से अधिक शिशु को पोषण देने के लिए मशक्क्त कर रहा होता है। जिसके कारण गर्भावस्था में महिलाओं पर मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ जाता है।
दुनिया भर में प्रसिद्ध अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन ट्रस्ट सोर्स के अनुसार आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में हाय ब्लड प्रेशर की संभावना बढ़ सकती है।
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3. उम्र (Age)
प्रेग्नेंसी में हाय बीपी होने का एक कारण गर्भवती महिला की उम्र भी हो सकती है। 35 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भवती होने वाली अधिकतर महिलाएं इसके जोखिम के बहुत करीब होती हैं। जिन महिलाओं को गर्भावस्था से पहले ब्लड प्रेशर की शिकायत थी, वे गर्भावस्था के दौरान सामान्य रक्तचाप रखने वाली महिलाओं की तुलना में ज्यादा जोखिम में होती हैं। गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) की वजह अधिक उम्र होती है। लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते जो महिलाएं ज्यादा उम्र में प्रेग्नेंट होती है उन्हें गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर के चांसेस ज्यादा होती है।
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प्रेग्नेंसी में हाय बीपी के प्रकार (Types of High blood pressure during pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान हाय ब्लड प्रेशर को तीन अलग-अलग स्थितियों में बांटा जा सकता है।
प्रेग्नेंसी में हाय बीपी: क्रॉनिक हाय ब्लड प्रेशर
कभी-कभी गर्भवती होने से पहले महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसे क्रॉनिक हाय ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है और आमतौर पर दवा के साथ इलाज किया जा सकता है। गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में क्रॉनिक हाय ब्लड प्रेशर होता है। गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) का एक प्रकार क्रॉनिक हाई ब्लड प्रेशर भी है जो बहुत सी महिलाओं में सामान्य है।
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जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension)
गर्भधारण के 20 वें सप्ताह के बाद गर्भकालीन उच्च रक्तचाप (Gestational Hypertension) विकसित होता है। यह आमतौर पर प्रसव के बाद अधिकतर मामलो में खुद ठीक भी हो जाता है। गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) की तरह है जो प्रेग्नेंसी के बाद खुद ही ठीक हो जाता है।
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प्रेग्नेंसी में हाय बीपी: प्री-एक्लेम्पसिया
जिन महिलाओं का ब्लड प्रेशर गर्भवती होने से पहले बढ़ जाता है, वे प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) की शिकार हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान यूरिन में प्रोटीन आना इसका लक्षण माना जाता है। गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) से पहले होने पहले वाली यह समस्या प्री-एक्लेम्पसिया के तौर पर जाना जाता है।
प्रेग्नेंसी में हाय बीपी होने पर इन टिप्स को अपनाएं:
- गर्भावस्था के दाैरान अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन न करें। हाय ब्लड प्रेशर की शिकायत होने पर दिन में 3 ग्राम से अधिक नमक न लें।
- अधिक-से-अधिक पानी पिएं। साथ ही तरल पदार्थों जैसे जूस आदि पीने की आदत डालें। यह ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं।
- गर्भ पल रहे शिशु के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए सोयाबीन, अखरोट, अलसी तथा पालक जैसी हरी सब्जियों का सेवन करना बहुत फायदेमंद रहता है।
- गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप (गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने के लिए कॉड लिवर ऑयल (Cord liver oil), अखरोट (Walnuts), टोफू आदि का सेवन जरूर करें।
- लहसुन धमनियों की थकान को कम करता है तथा हृदय गति (Heartbeat) को नियंत्रित करता है जिससे रक्तचाप कम होता है।
- गर्भावस्था में वर्कआउट करना भी प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड प्रेशर होने पर राहत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे शरीर सक्रिय रहता है और दिमाग एक्टिव रहता है। सुबह-शाम टहलने की आदत डालें और इस दौरान गहरी सांस लेकर छोड़ने की कोशिश करें।
गर्भावस्था में हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure during pregnancy) से राहत पाने के लिए कुछ लक्षण मिलते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस दौरान स्ट्रेस कम करने के लिए लाइट और सॉफ्ट म्यूजिक सुनें। साथ ही सुबह या शाम किसी वक्त थोड़ी देर के लिए ध्यान लगाएं। अगर आप प्रेग्नेंसी में हाय बीपी की समस्या से बचना चाहती हैं, तो बेहतर होगा कि हेल्दी लाइफस्टाइल का चयन करें। खाने में ऐसे फूड को एवॉइड करें जो बीपी को बढ़ा सकते हैं। साथ ही डॉक्टर से पूछ कर एक्सरसाइज और योगा को नियमित रूप से करें। अगर आपको डॉक्टर ने दवा खाने की सलाह दी है तो रोजान समय पर बीपी की दवा का सेवन जरूर करें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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