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क्या इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड गर्भावस्था को प्रभावित करता है?

क्या इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड गर्भावस्था को प्रभावित करता है?

कई महिलाएं बहुत कोशिश के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाती हैं जिसकी वजह फाइब्रॉएड हो सकता है। वैसे जरूरी नहीं कि फाइब्रॉएड से पीड़ित सभी महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा संभव हो सकता है। दरअसल, प्रेग्नेंसी होगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि फाइब्रॉएड किस जगह पर हुआ है। फाइब्रॉएड का शेप और साइज भी अलग-अलग होता है।

क्या होता है फाइब्रॉएड?

फाइब्रॉएड गर्भाशय में होने वाली गांठ है। यह मटर जितनी छोटी या एक बॉल जितना बड़ी हो सकती है। आमतौर पर यह गांठ कैंसर रहित होती है, इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं होती है। फाइब्रॉएड की वजह से कई बार प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आती हैं, इसके अलावा पीरियड्स अधिक दिनों तक रहता है, अधिक ब्लीडिंग, बार-बार पेशाब जाना, कमर और पेल्विक में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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फाइब्रॉएड के प्रकार

फाइब्रॉएड किस जगह पर होता है उसके अनुसार उसे कई कैटेगरी में बांटा गया है।

  • इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड
  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड
  • सबसेरोसल फाइब्रॉएड
  • सर्वाइकल फाइब्रॉएड

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इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड क्या है?

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड एक नॉन कैंसरस ट्यूमर है जो गर्भाशय (यूट्रस) की मांसपेशियों के बीच विकसित होता है। यह कई प्रकार का होते हैं:

एंटीरियर इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड- यह गर्भाशय के सामने होता है।

पोस्टीरियर इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड- यह गर्भाशय के पीछे होता है।

फुंडल इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड- यह गर्भाशय के ऊपरी भाग में होता है।

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड के कारण क्या हैं?

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड की वजहों का ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। कई डाक्टरों का मानना है कि यह गर्भाशय की दीवार की मिडिल लेयर में असामान्य मसल्स की वजह से फाइब्रॉएड होता है। जब यह सेल्स (कोशिका) एस्ट्रोजन से प्रभावित होती है तो तेजी से कई गुणा बढ़कर ट्यूमर का रूप ले लेता है।

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इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड के लक्षण

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड के लक्षण अन्य फाइब्रॉएड जैसे ही हैं। कई महिलाओं में बहुत मामूली लक्षण दिखाए देते हैं। जबकि कई में इसके गंभीर लक्षण दिखते हैं जैसे-

  • पेल्विक में दर्द
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द
  • अधिक दिनों तक पीरियड्स और ज्यादा ब्लीडिंग
  • दो पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड का गर्भावस्था पर प्रभाव

आमतौर पर फाइब्रॉएड होने पर भी महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, लेकिन इंट्राम्यूरल सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इन दोनों हालात में महिलाओं के लिए कंसीव कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि यह दोनों ही फाइब्रॉएड गर्भाशय में कैविटी (गुहा) का शेप और साइज बदल देते हैं। जिसकी वजह से गर्भधारण में दिक्कतें आती हैं। साथ ही ऐसे में विट्रो फर्टिलाइजेशन पर भी नकारात्मक असर पड़ता है यानी यह किसी भी महिला की फर्टिलिटी को करीब 70 प्रतिशत तक कम कर देता है। हालांकि यदि समय रहते इसका ठीक से इलाज कर दिया जाए तो गर्भधारण संभव है।

फाइब्रॉएड का यदि ठीक तरह से उपचार न किया जाए तो गर्भधारण के बाद भी समस्याएं बनी रहती हैं। ऐसी स्थिति में समय से पहले प्रसव, सी-सेक्शन की अधिक संभावना, मिसकैरिज और भ्रूण की असामान्य स्थिति का खतरा रहता है। फाइब्रॉएड पीड़ित महिला को डिलिवरी के बाद बहुत अधिक ब्लीडिंग हो सकती है।

फाइब्रॉएड का प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर पर असर

यदि आप प्रेग्नेंट हैं और आपको फाइब्रॉएड है तो गर्भावस्था के पहले चरण में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैः

ब्लीडिंग और दर्द- 4500 महिलाओं पर किए एक अध्ययन के मुताबिक, फाइब्रॉएड से पीड़ित करीब 11 प्रतिशत महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या हुई और 59% को दर्द, जबकि 30 प्रतिशत महिलाओं को प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में दोनों परेशानी हुई।

मिसकैरिज- सामान्य महिलाओं की तुलना में फाइब्रॉएड से पीड़ित महिलाओं में मिसकैरिज का खतरा कई प्रतिशत अधिक होता है। यदि आपको मल्टीपल फाइब्रॉएड है तो खतरा और बढ़ जाता है।

फाइब्रॉएड का प्रेग्नेंसी के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर पर असर

भ्रूण के विकास के साथ आपका गर्भाशय फैलता है जिससे फाइब्रॉएड पर दवाब बनता है और प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की परेशानी हो सकती हैं।

दर्द- यदि फाइब्रॉएड बड़े हैं तो गर्भावस्था के समय फाइब्रॉएड रक्त की आपूर्ति बढ़ा लेता है और लाल हो जाता है। यह प्रक्रिया रेड डिजनरेशन कहलाती है, जिसकी वजह से पेट में गंभीर दर्द होता है और कुछ मामलों में इससे मिसकैरिज भी हो जाता है। दर्द कम करने के लिए आप एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) जैसी ओवर-द-काउंटर दवा ले सकते हैं, लेकिन गर्भावस्था के शुरुआती महीने और तीसरी तिमाही में आईबुप्रोफेन लेने से बचें, क्योंकि यह मिसकैरिज का कारण बन सकता है।

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प्लासेंटा का अचानक टूटना- फाइब्रॉएड से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के प्लासेंटा के डिलिवरी से पहले ही टूटने के खतरा रहता है। यानी प्लासेंटा डिलिवरी से पहले ही गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है। यह बहुत खतरनाक स्थिति होती है, क्योंकि इसके जरिए बच्चे को ऑक्सिजन की सप्लाई होती है, इसकी वजह से आपको बहुत अधिक ब्लीडिंग हो सकती है।

समय से पहले डिलिवरी- यदि आपको फाइब्रॉएड है तो बहुत अधिक संभावना है कि आपकी डिलिवरी 37 प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते के पहले ही हो जाए।

इतना ही नहीं कई अध्ययनों के मुताबिक, फाइब्रॉएड की वजह से सी सेक्शन की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि यह गर्भाशय के संकुचन में बाधा पहुंचाने के साथ ही बच्चे के जन्म के रास्ते को भी ब्लॉक करते हैं, इससे लेबर धीमा हो जाता है। सामान्य महिलाओं की तुलना में फाइब्रॉएड से पीड़ित महिलाओं के सी सेक्शन की संभावना 6 गुणा अधिक होती है।

और पढ़ें- क्या है फाइब्रॉएड कैंसर? जानें इसके लक्षण और उपचार

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड का निदान

आमतौर पर इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड और अन्य फाइब्रॉएड का निदान नियमित पेल्विक टेस्ट या पेट की जांच के दौरान किया जाता है। इसके अलावा इन तरीकों से भी निदान किया जा सकता है।

और पढ़ें- फाइब्रॉएड्स के प्रकार; जानिए फाइब्रॉएड्स कितने प्रकार के होते हैं

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड के उपचार

इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड के उपचार के लिए डॉक्टर पहले कुछ दिनों तक इस पर नजर रखते हैं कि इसका आकार बढ़ रहा है या नहीं। यदि आपमें गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इन तरीकों से उपचार कर सकते हैं।

मायोमेक्टमी- मायोमेक्टमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय को प्रभावित किए बिना फाइब्रॉएड को हटा दिया जाता है।

हिस्टेरेक्टमी- इस सर्जिकल प्रक्रिया में डॉक्टर पूरा गर्भाशय ही निकाल देता है जिससे आगे चलकर फाइब्रॉएड की समस्या न हो।

यूटराइन आर्टरी इम्बोलाइजेशन- इस प्रक्रिया में फाइब्रॉएड को रक्त की आपूर्ती रोक दी जाती है। इसका मकसद फाइब्रॉएड का आकार कम करना या इसे पूरी तरह से खत्म करना है।

हमें उम्मीद है कि आपको इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड और इसका प्रेग्नेंसी से संबंधित विषय पर आधारित आर्टिकल उपयोगी लगा होगा। अगर आपको इस संबंध में कोई भी डाउट है तो डॉक्टर से संपर्क करें। ।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Uterine fibroids: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/uterine-fibroids/symptoms-causes/syc-20354288/ Accessed July 28, 2020

Intramural myomas: to treat or not to treat: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4876842/ Accessed July 28, 2020

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Fibroids and Fertility: https://www.reproductivefacts.org/news-and-publications/patient-fact-sheets-and-booklets/documents/fact-sheets-and-info-booklets/fibroids-and-fertility/ Accessed July 28, 2020

Intramural uterine leiomyoma: https://radiopaedia.org/articles/intramural-uterine-leiomyoma-1 Accessed July 28, 2020

Uterine Fibroids: Q&A With an Expert: https://www.hopkinsmedicine.org/health/conditions-and-diseases/uterine-fibroids-qa-with-an-expert Accessed July 28, 2020

Current Version

29/07/2020

Kanchan Singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Mona narang


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/07/2020

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