प्रेग्नेंसी वीक 11 के दौरान आपके शिशु की लंबाई बढ़कर सिर से पंजे तक 3 सेंटीमीटर हो जाती है। गर्भावस्था के 11 सप्ताह (प्रेग्नेंसी वीक 11) तक आपके शिशु की लंबाई डिलीवरी के समय शिशु की संभावित लंबाई के आधी होती है। 11 हफ्ते की गर्भवती के शिशु के कान और पलकें काफी हद तक बन चुके होते हैं और आंखें भी करीब-करीब विकसित हो चुकी होती हैं और दिल का विकास चालू रहता है। आपके शिशु का चेहरा भरने लगता है और मसूड़ों में दांतों का विकास चलता रहता है।
प्रेग्नेंसी वीक 11 में गर्भ का विकास
प्रेग्नेंसी वीक 11 में प्लासेंटा के अंतगर्त रक्त वाहिकाओं की संख्या और आकार बढ़ता रहता है, ताकि रक्त के जरिए बच्चे को विकास के लिए जरूरी पोषण मिलता रहे। इस हफ्ते तक सिर बढ़ता रहता है और अभी भी बाकी शरीर के मुकाबले बढ़ा होता है। भ्रूण के लिवर में रेड ब्लड सेल्स दिखने लगती हैं। प्रेग्नेंसी वीक 11 के अंत तक शिशु में लिंग के अनुसार जननांग अपना आकार लेने लगते हैं, जो कि अगले कुछ हफ्तों तक विकसित होते रहेंगे, लेकिन प्रेग्नेंसी वीक 18 से प्रेग्नेंसी वीक 20 तक इनकी पहचान नहीं की जा सकती। इसके साथ ही आपको यह भी पता होना चाहिए कि भारत में जन्म से पहले शिशु के लिंग की जांच करवाना या करना गैर-कानूनी है और भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सजा का प्रावधान है।
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प्रेग्नेंसी वीक 11 में शारीरिक और दैनिक जीवन में परिवर्तन
प्रेग्नेंसी वीक 11 में मेरे शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं?
प्रेग्नेंसी वीक 11 में आपको महसूस होने लगेगा कि आपकी खोई हुई ऊर्जा वापस आने लगी है और जी मिचलाने की शिकायत कम हो रही है। लेकिन, दुर्भाग्य से 11 हफ्ते की गर्भवती को इससे अलग कुछ और प्रेग्नेंसी के लक्षण (Pregnancy Symptoms Week 11) परेशान कर सकते हैं। जैसे आपको कब्ज की समस्या हो सकती है, जिसकी वजह से मल त्यागने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है या लगातार तीन दिन तक आपका पेट साफ न हो पाए। इसके लिए आप अपने प्रेग्नेंसी हॉर्मोन को जिम्मेदार मान सकते हैं। प्रेग्नेंसी वीक 11 में ये हार्मोन आपके पेट और आपके ओसोफैगस को रिलैक्स कर देते हैं, जिससे आपका पाचन धीमा हो जाता है। आपको अपच और पेट फूलने की शिकायत भी हो सकती है।
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प्रेग्नेंसी वीक 11 में कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा पानी और फाइबर का सेवन करना चाहिए। ताजे फल (पपीता, खरबूजा और केला आदि), कच्ची सब्जियां और साबूत अनाज वाले ब्रेड आदि फाइबर युक्त होते हैं, जिनका सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके साथ ही आप छोटे-छोटे मील खा सकती हैं, जिससे गैस और पेट फूलने की समस्या में राहत मिलेगी। आप ज्यादा देर तक एक जगह बैठने से बचें और एक्टिव रहें, जिससे पाचन क्रिया तेज होगी।
प्रेग्नेंसी वीक 11 में मुझे किन बातों के बारे में चिंतित होना चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 11 में होने वाली कब्ज की समस्या सिर्फ घरेलू उपायों की मदद से दूर नहीं हो सकती है और आपको अच्छे डॉक्टरी उपचार की मदद हो सकती है। डॉक्टर आपको कुछ फाइबर सप्लीमेंट या माइल्ड लैक्सेटिव दे सकता है। प्रेग्नेंसी वीक 11 में अपने और अपने शिशु के सुरक्षा के लिए आपको कोई भी दवा या हर्बल सप्लीमेंट का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से बातचीत कर लेनी चाहिए। कुछ लैक्सेटिव लेने से आपको डायरिया या डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
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प्रेग्नेंसी वीक 11 में मुझे अपने डॉक्टर को क्या-क्या बताना चाहिए ?
अगर आपको प्रेग्नेंसी वीक 11 में प्रेग्नेंसी का कोई लक्षण ज्यादा परेशान कर रहा है, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को बताएं। आपको अपनी भूख, खाने और नींद के बारे में डॉक्टर को सारी जानकारी देनी चाहिए। पर्याप्त नींद लेना या नींद के बारे में डॉक्टर को बताना इसलिए जरूरी है, क्योंकि आपके स्वास्थ्य और शिशु के विकास के लिए आपका पर्याप्त नींद लेना काफी आवश्यक है। आपका डॉक्टर आपकी नींद को बेहतर बनाने या किसी दूसरी समस्या को दूर करने के लिए सुझाव दे सकता है, जिससे आपको मदद मिलेगी।
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प्रेग्नेंसी वीक 11 में मुझे किन टेस्ट्स के बारे में पता होना चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 11 को दौरान डॉक्टर आपको प्री-नेटल स्क्रीनिंग टेस्ट का सुझाव दे सकता है, जिससे किसी भी क्रोमोसोमल असामान्यताओं (Chromosomal Abnormalities) के बारे में जांच की जा सकती है। क्रोमोसोमल असामान्यताओं की वजह से डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) जैसे कई जेनेटिक डिसऑर्डर हो सकते हैं। क्रोमोसोम 21 की एक्सट्रा कॉपी होने की वजह से डाउन सिंड्रोम होता है। सामान्यतः आपके शिशु के क्रोमोसोम के 23 पेयर होते हैं, जिनमें से आधे उसको जैविक पिता से और आधे जैविक मां से मिलते हैं। सेल्स डिवीजन के दौरान कोई एरर होने से एक्सट्रा क्रोमोसोम का निर्माण हो जाता है, जिसका पता लगाने के लिए सिर्फ टेस्ट की एकमात्र रास्ता है।
प्री-नेटल स्क्रीनिंग के अंतर्गत दो टेस्ट होते हैं, जिसमें से पहला स्क्रीनिंग टेस्ट होता है और दूसरा डायग्नोस्टिक टेस्ट होता है। स्क्रीनिंग टेस्ट के अंदर आपको PAPP-A (Pregnancy-associated plasma protein-A) के लिए ब्लड की जांच और शिशु की गर्दन की मोटाई (nuchal translucency) जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाना होता है। इस स्क्रीनिंग टेस्ट की मदद से करीबन 80 प्रतिशत मामलों का पता चल जाता है। इसके अलावा इस बीमारी को डायग्नोस करने के लिए दूसरे भी टेस्ट हैं।
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प्रेग्नेंसी वीक 11 में स्वास्थ्य और सुरक्षा
प्रेग्नेंसी वीक 11 में मुझे स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी किन बातों के बारे में पता होना चाहिए?
अगर आप इस दौरान इंटरकोर्स करती हैं, तो उसके बाद आपको पेट में दर्द या क्रैंप की समस्या हो सकती है। दरअसल, इंटरकोर्स के दौरान आपके पेल्विक एरिया में ब्लड फ्लो बढ़ जाने के कारण ऐसा होता है। इसके साथ ही आपको यूटेराइन कंट्रेक्शन भी हो सकता है। ऐसे में इंटरकोर्स के बाद होने वाला यह दर्द माइल्ड होता है और कुछ ही मिनट बाद सही हो जाता है। अगर, आपको किसी अन्य दर्द या क्रैंप का सामना करना पड़ता है, जो कि काफी देर तक परेशान करता है तो आपको कुछ और टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं। आपको इंटरकोर्स से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आमतौर पर इंटरकोर्स करने से शिशु को कोई खतरा नहीं होता, क्योंकि एमनियोटिक प्लूड उसके इर्द-गिर्द एक सुरक्षा परत बनाए रखता है।
अगले आर्टिकल में हम प्रेग्नेंसी वीक 12 के बारे में बात करेंगे।
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