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जाइगोट से एब्रियो बनने की क्या होती है प्रक्रिया, जानिए यहां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/01/2022

    जाइगोट से एब्रियो बनने की क्या होती है प्रक्रिया, जानिए यहां

    हर किसी के मन में जिज्ञासा जरूर होती है कि आखिर शिशु का फॉर्मेशन गर्भ में कैसे होता है। ये प्रक्रिया एक या दो दिन में खत्म होने वाली प्रक्रिया नहीं है। एग के स्पर्म के साथ फर्टिलाइजेशन के बाद फर्टिलाइज सेल तेजी से अपनी संख्या में वृद्दि करती है। ये प्रक्रिया धीमे-धीमे होती रहती है। जाइगोट से एब्रियो (Zygote Forms and Becomes an Embryo) बहुत रोचक होती है। बेबी का निर्माण होने में करीब 9 माह का समय लगता है। स्पर्म और एग के फर्टिलाइजेशन के बाद जाइगोट का फॉर्मेशन होता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आज जाइगोट से एब्रियो (Zygote Forms and Becomes an Embryo) बनने की प्रोसेस के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही महत्वपूर्ण प्रोसेस के बारे में भी बताएंगे।

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    जाइगोट से एब्रियो (Zygote Forms and Becomes an Embryo): जाइगोट क्या है?

    जाइगोट से एब्रियो

    जाइगोट फर्टिलाइज एग को कहते हैं। जब फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) में एग और स्पर्म फर्टिलाइज होता है, तो इसे जाइगोट के नाम से जानते हैं। जब एग में स्पर्म फर्टिलाइज होता है, तो इसे कंसीव होना कहता है और आपको जाइगोट के रूप में रिजल्ट मिलता है। जाइगोट में सभी जेनेटिक इंफॉर्मेशन (डीएनए) मौजूद होती है। इसे आप लिटिल ह्युमन बींग भी कह सकते हैं। जेनेटिक इंफॉर्मेशन का आधा हिस्सा एग से और आधा हिस्सा स्पर्म से प्राप्त होता है। जानिए आखिर क्या होता है जाइगोट और जीमेट में आखिर क्या होता है अंतर?

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    जाइगोट से एब्रियो: जाइगोट और जेमेट में क्या होता है अंतर?

    जीमेट सेक्स सेल्स होती है। यह क्रोमोसोम का एक सेट लिए हुए होती हैं। जो कि हेप्लाइड सेल्स (haploid cells) का निर्माण करते हैं। फीमेल जीमेट से मतलब एग सेल या ओवा होता है वहीं, मेल जीमेट से मतलब स्पर्म सेल्स होता है। जब दोनों एक साथ मिल जाते हैं, तो ये जाइगोट का निर्माण करते हैं। जाइगोट में 46 क्रोमोसोम्स (करीब 23 सेट क्रोमोसोम) होता है।

    जाइगोट का निर्माण कैसे होता है (How is a zygote formed)?

    महिलाओं में हर महीने ओव्यूलेशन का प्रोसेस होता है। इस दौरान एग फैलोपियन ट्यूब में पहुंच जाता है और यहां स्पर्म के पहुंचने का इंतजार करता है। अगर फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes) में स्पर्म पहुंच जाता है, तो एग के साथ स्पर्म का फर्टिलाइजेशन हो जाता है। अगर किसी कारण से फैलोपियन ट्यूब में स्पर्म का फर्टिलाइजेशन नहीं हो पाता है, तो महिलाओं को पीरियड शुरू हो जाते हैं। जब फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes) में एग होता है, तो उस समय सर्विक्स का म्यूकस अधिक इलास्टिक हो जाता है ताकि स्पर्म आसानी से पहुंच सके। कई सारे स्पर्म एक साथ प्रवेश करते हैं और एग में पेनिट्रेट करने की कोशिश करते हैं। उनमें केवल एक ही लकी स्पर्म होता है, जो एग में पेनिट्रेट कर पाता है। जब पेनिट्रेशन की प्रोसेस हो जाती है, तो एग में केमिकल चेंज होते हैं। इस कारण से अन्य स्पर्म एग के अंदर प्रवेश नहीं कर पाते हैं और फिर जाइगोट का निर्माण होता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको समझ आ गया होगा कि एक एग को फर्टिलाइज करने के लिए कई स्पर्म मेहनत करते हैं लेकिन उनमें से केवल एक एग को ही सफलता मिल पाती है। जाइगोट से एब्रियो बनने की प्रक्रिया के बारे में आप डॉक्टर से जानकारी लें।

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    आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ओवरी से क्या केवल एक ही एग रिलीज होता है, तो इसका जवाब है नहीं। कभी-कभी ओवरी से एक के स्थान पर दो एग भी रिलीज हो सकते हैं। अगर वह दोनों ही एग फर्टिलाइज हो जाते हैं, तो ट्विंस यानी कि जुड़वा बच्चे होते हैं। जब दो अलग-अलग एग दो अलग-अलग स्पर्म से फर्टिलाइज होते हैं, तो बच्चे एक जैसे दिखें, ये जरूरी नहीं हैं। इन्हें फ्रेटरनल ट्विंस (Fraternal twins) के नाम से जाना जाता है। अगर आपकी फैमिली हिस्ट्री में ऐसा हो चुका है, तो आपके केस में भी फ्रेटरनल ट्विंस (Fraternal twins)  होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं जिन महिलाओं को कंसीव करने में समस्या होती है, उनके लिए आर्टिफिशियल इन्सिमिनेशन (IUI) का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान ओव्युलेशन के समय महिला के रिप्रोडक्टिव पार्ट में स्पर्म डाला जाता है। आईयूआई प्रोसेस की मदद से भी बच्चे को जन्म दिया जा सकता है लेकिन इसमें लैबोरेट्री या फर्टिलिटी क्लीनिक की जरूरत पड़ती है। आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। जाइगोट से एब्रियो बनने की प्रक्रिया के बारे में आप डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं।

    जइगोट को एंब्रियो बनने में कितना लगता है समय?

    एक जाइगोट को ब्लास्टोसिस्ट (सेल्स की एक सूक्ष्म गेंद जैसा) और फिर एक एब्रियो में बदलने में लगभग पांच से छह दिन लगते हैं। जाइगोट से एब्रियो (Zygote Forms and Becomes an Embryo) बनने की प्रक्रिया जल्द होती है। एग के स्पर्म से मिलने के बाद जाइगोट का निर्माण होता है और ये डिवाइड होना शुरू हो जाता है। यह विभाजित होता रहता है। कुछ दिनों बाद यह ब्लास्टोसिस्ट में तब्दील हो जाता है। यह एक गेंदनुमा आकृति होती है, जो कि कोशिकाओं के विभाजन से बनती है। अब यहां से ब्लोस्टोसिस्ट यूट्रस तक का सफर तय करता है। कई बार ब्लास्टोसिस्ट दो भागों में बंट जाता है।

    करीब 1000 केस में से 3 या 4  केस में ऐसा होता है। इस कारण से ओरिजिनल एग एक स्पर्म से फर्टिलाइज होने के बाद दो एंब्रियो बंट जाता है। इस कारण से आइडेंटिकल ट्विंस पैदा होते हैं। ऐसा सभी जागोट के साथ नहीं होता है। यह रेयर केस माना जाता है । जब एब्रियो यूट्रस में पहुंच जाता है, तो यह यूट्रस की लाइनिंग के साथ अटैच हो जाता है। धीरे-धीरे यह डिवाइड होता रहता है। इसी समय प्लेसेंटा का निर्माण होता है। फर्टिलाइजेशन के 8 सप्ताह के बाद होता है यूट्रस में एंब्रियो तब्दील होता है। इसके करीब 30 सप्ताह बाद बच्चे का जन्म हो जाता है।

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    जाइगोट से एब्रियो (Zygote Forms and Becomes an Embryo) बनने की प्रक्रिया के दौरान हॉर्मोनल बदलाव!

    प्रेग्नेंसी के पांचवे हफ्ते या फिर तीसरे सप्ताह में एचसीजी हॉर्मोन (HCG hormone) प्रोड्यूस होता है। ब्लास्टोसिस के डिवाइड होने के बाद एचसीजी हॉर्मोन (HCG hormone) बनना शुरू हो जाता है। इस हॉर्मोन के प्रोड्यूस होने से ओवरी को ये संदेश मिल जाता है कि अब और एग प्रोड्यूस नहीं करने हैं और साथ ही एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन का लेवल बढ़ने लगता है। इन दोनों हॉर्मोन के बढ़ जाने पर पीरियड रुक जाते हैं। पीरियड का रुक जाना प्रेग्नेंसी का लक्षण माना जाता है। इस कारण से प्लासेंटा की ग्रोथ के लिए फ्यूल का निर्माण हो जाता है। इस समय एब्रियो तीन लेवल का हो जाता है, जो कि भ्रूण को आउटरमोस्ट स्किन प्रदान करता है। साथ ही सेंट्रल और पेरिफेरल नर्वस सिस्टम, आंखें और इनर इयर का निर्माण शुरू हो जाता है।

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    इस आर्टिकल में हमने आपको जाइगोट से एब्रियो (Zygote Forms and Becomes an Embryo) बनने की प्रक्रिया  के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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