ऐसे में पर्याप्त आराम करने, सही आहार और नियमित व्यायाम करने से आप इस समस्या से कुछ हद तक राहत पा सकती हैं और आपकी एनर्जी भी फिर से वापस आ सकती है। इसके लिए आप अपने पार्टनर या अन्य फैमिली मेंबर की मदद लें। अब जानते हैं पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में और अधिक।
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बच्चे की पोजीशन नीचे की तरफ अधिक होती है (Position of child)
दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान हमारी एब्डोमिनल मसल्स उतनी स्ट्रांग और टाइट नहीं होती हैं, जितनी पहले प्रेग्नेंसी के दौरान होती हैं, इससे बच्चे को पहली प्रेग्नेंसी की तरह सपोर्ट नहीं मिलता है। इसकी वजह से आप बच्चे को थोड़ा नीचे कैरी कर सकती हैं। इसका अर्थ है कि दूसरी प्रेग्नेंसी में आपके ब्लैडर पर अधिक प्रेशर पड़ता है। इसके साथ ही बेबी की पोजीशन के कारण पेल्विक में डिस्कम्फर्ट होता है।
अधिक ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस का अनुभव (Braxton Hicks Contractions)
पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में अगला अंतर यह है कि दूसरी प्रेग्नेंसी में ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस का अनुभव अधिक होता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आप अधिक अनुभवी होती हैं और आप ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस को आसानी से पहचान सकती हैं। इसके साथ ही युटरीन मसल्स (Uterine muscles) पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में अधिक स्ट्रेटचेड होती हैं। ऐसे में सेकंड-टाइम मॉम्स के लिए ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस अधिक फ्रीक्वेंट होती हैं। ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस और रियल कॉन्ट्रैक्शंस के बीच के अंतर के बारे में जानने के लिए अलग-अलग पोजीशन ट्राय करें और डॉक्टर की सलाह लें।
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पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर: फास्ट लेबर और डिलिवरी (Fast Labor And Delivery )
आपका शरीर लेबर और डिलीवरी के अनुभव के कारण फास्ट डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूसरी बार मां बनने वाली महिला के लिए प्रसव का अर्ली फेज छोटा होता है। यही नहीं, पुशिंग टाइम भी कम होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहली प्रेग्नेंसी के बाद महिला का शरीर लूज हो जाता है खासतौर पर सर्विक्स और यूट्रस आदि जिससे प्रसव में आसानी होती है। अब जानते हैं पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में इमोशनल और मेंटल डिफरेंसेस के बारे में।

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पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर: इमोशनल और मेंटल डिफरेंसेस (Emotional and Mental Differences)
फर्स्ट प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अपनी अधिकतर मेंटल और इमोशनल एनर्जी का इस्तेमाल बच्चे के बर्थ के लिए तैयार होने में लगाती हैं। लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें अपने दूसरे बच्चे की देखभाल भी करनी होती है। ऐसे में होने वाली मां इस प्रेग्नेंसी में इमोशनली डिस्टेंट महसूस कर सकते हैं। यह एक सामान्य प्रतिक्रिया है और किसी भी तरह से इस बात का संकेत नहीं है कि आप अपने होने वाले बच्चे को कम प्यार करेंगी। पहली बार मां बनते हुए आपके लिए कई चीजों को लेकर चिंता करना बेहद सामान्य है। क्योंकि इस दौरान महिला को किसी भी चीज के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को पहली प्रेग्नेंसी के मुकाबले कम चिंता होती है। इसका कारण उसका अनुभव होना है।