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Difference Between first and second Pregnancy: जानिए क्या हैं पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/12/2021

    Difference Between first and second Pregnancy: जानिए क्या हैं पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर?

    पहली प्रेग्नेंसी में होने वाली मां के मन में उत्साह के साथ-साथ थोड़ी चिंता या ड़र होना स्वाभाविक है। लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी में आमतौर पर महिलाएं निश्चिन्त होती हैं। यह बात को सही है कि हर प्रेग्नेंसी अलग होती है। यही नहीं, एक महिला की पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में भी बहुत अधिक अंतर होता है। इन प्रेग्नेंसीज में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी विभिन्नता होती है। आज हम पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) के बारे में बात करने वाले हैं। पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में सबसे पहले इसके लक्षणों में विभिन्नता के बारे में जान लेते हैं।

    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी के लक्षणों में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy)

    जैसा की पहले ही बताया गया है कि सेकंड प्रेग्नेंसी आमतौर पर पहली से अलग होती है। यानी, दूसरी प्रेग्नेंसी में हर महिला अपनी पहली गर्भावस्था की तुलना में अलग महसूस करती हैं। आमतौर पर महिलाएं इन दोनों गर्भावस्थाओं में किस तरह अंतर अनुभव करती हैं, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से:

    सेकंड प्रेग्नेंसी (Second pregnancy) में लक्षण जल्दी पहचाने जा सकते हैं

    अपनी पहली प्रेग्नेंसी के दौरान शायद ही आपको याद होगा कि आपने कब इसके लक्षणों को महसूस किया था और पहचाना था। लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी में आप जल्दी ही प्रेग्नेंसी के लक्षणों को पहचानने जाएंगी। इस बात का ध्यान रखें कि पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) होता है। हालांकि, इसके कुछ लक्षण एक जैसे भी हो सकते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं:

    • मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness)
    • अपच (Indigestion)
    • पेट में समस्या जैसे कब्ज (Tummy troubles)
    • ब्लैडर को लगातार खाली करने की इच्छा होना (Emptying bladder frequently)
    • फूड क्रेविंग (Food cravings)
    • पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर: ब्रेस्ट एनलार्जमेंट और सेंसिटिविटी

    जैसे, आपको अपनी फर्स्ट प्रेग्नेंसी में मॉर्निंग सिकनेस हुई है, तो आप यह परेशानी दूसरी प्रेग्नेंसी में भी हो सकती है। लेकिन, ऐसा भी हो सकता है कि दूसरी गर्भावस्था में आपको मॉर्निंग सिकनेस की समस्या पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में कम या अधिक हो।

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    सेकंड प्रेग्नेंसी (Second pregnancy) जल्दी दिखाई देनी शुरू हो जाती है

    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) के बारे में यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। पहली प्रेग्नेंसी के बाद लिगामेंट्स और मसल्स स्ट्रेच हो जाते हैं। इसलिए दूसरी प्रेग्नेंसी बहुत जल्दी दिखाई देनी शुरू हो जाती है। यही नहीं, यह ढीली पेट की मांसपेशियों के कारण कई अन्य समस्याएं भी होती है जैसी पीठ दर्द और शरीर में अन्य दर्द आदि।

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    शिशु की मूवमेंट जल्दी महसूस होती है (Baby movements)

    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में शिशु की मूवमेंट भी शामिल है। पेट की मसल्स का स्ट्रेच्ड होना भी गर्भ में शिशु के मूवमेंट के जल्दी अनुभव होने का कारण बन सकता है। ऐसा माना जाता है कि दूसरी प्रेग्नेंसी में 16 वीक्स के आसपास ही शिशु की मूवमेंट का अनुभव होता है। यही नहीं, दूसरी गर्भावस्था में बेबी किक्स को भी जल्दी महसूस किया जा सकता है।

    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर: अधिक थकावट (More tired)

    पहली गर्भावस्था के दौरान आप जब चाहे नैप ले सकती हैं और आराम कर सकती हैं। लेकिन, दूसरी गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाएं  ऐसा नहीं कर पाती हैं। क्योंकि, इस दौरान उनकी जिम्मेदारियां बढ़ चुकी होती है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपके पास एक और बच्चा होता है, जिसकी देखभाल करने में आपके पास आराम करने का समय कम होता है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि अधिकतर महिलाएं दूसरी प्रेग्नेंसी में पहली की तुलना में अधिक थकावट महसूस करती हैं। यही नहीं, उनमें एनर्जी भी कम होती है।

    ऐसे में पर्याप्त आराम करने, सही आहार और नियमित व्यायाम करने से आप इस समस्या से कुछ हद तक राहत पा सकती हैं और आपकी एनर्जी भी फिर से वापस आ सकती है। इसके लिए आप अपने पार्टनर या अन्य फैमिली मेंबर की मदद लें। अब जानते हैं पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में और अधिक।

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    बच्चे की पोजीशन नीचे की तरफ अधिक होती है (Position of child)

    दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान हमारी एब्डोमिनल मसल्स उतनी स्ट्रांग और टाइट नहीं होती हैं, जितनी पहले प्रेग्नेंसी के दौरान होती हैं, इससे बच्चे को पहली प्रेग्नेंसी की तरह सपोर्ट नहीं मिलता है। इसकी वजह से आप बच्चे को थोड़ा नीचे कैरी कर सकती हैं। इसका अर्थ है कि दूसरी प्रेग्नेंसी में आपके ब्लैडर पर अधिक प्रेशर पड़ता है। इसके साथ ही बेबी की पोजीशन के कारण पेल्विक में डिस्कम्फर्ट होता है।

    अधिक ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस का अनुभव (Braxton Hicks Contractions)

    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में अगला अंतर यह है कि दूसरी प्रेग्नेंसी में ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस का अनुभव अधिक होता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आप अधिक अनुभवी होती हैं और आप ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस को आसानी से पहचान सकती हैं। इसके साथ ही युटरीन मसल्स (Uterine muscles) पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में अधिक स्ट्रेटचेड होती हैं। ऐसे में सेकंड-टाइम मॉम्स के लिए ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस अधिक फ्रीक्वेंट होती हैं। ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस और रियल कॉन्ट्रैक्शंस के बीच के अंतर के बारे में जानने के लिए अलग-अलग पोजीशन ट्राय करें और डॉक्टर की सलाह लें।

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    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर: फास्ट लेबर और डिलिवरी (Fast Labor And Delivery )

    आपका शरीर लेबर और डिलीवरी के अनुभव के कारण फास्ट डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूसरी बार मां बनने वाली महिला के लिए प्रसव का अर्ली फेज छोटा होता है। यही नहीं, पुशिंग टाइम भी कम होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहली प्रेग्नेंसी के बाद महिला का शरीर लूज हो जाता है खासतौर पर सर्विक्स और यूट्रस आदि जिससे प्रसव में आसानी होती है। अब जानते हैं पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) में इमोशनल और मेंटल डिफरेंसेस के बारे में।

    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर

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    पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर: इमोशनल और मेंटल डिफरेंसेस (Emotional and Mental Differences)

    फर्स्ट प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अपनी अधिकतर मेंटल और इमोशनल एनर्जी का इस्तेमाल बच्चे के बर्थ के लिए तैयार होने में लगाती हैं। लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें अपने दूसरे बच्चे की देखभाल भी करनी होती है। ऐसे में होने वाली मां इस प्रेग्नेंसी में इमोशनली डिस्टेंट महसूस कर सकते हैं। यह एक सामान्य प्रतिक्रिया है और किसी भी तरह से इस बात का संकेत नहीं है कि आप अपने होने वाले बच्चे को कम प्यार करेंगी। पहली बार मां बनते हुए आपके लिए कई चीजों को लेकर चिंता करना बेहद सामान्य है। क्योंकि इस दौरान महिला को किसी भी चीज के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को पहली प्रेग्नेंसी के मुकाबले कम चिंता होती है। इसका कारण उसका अनुभव होना है।

    पेरेंट्स दूसरे बच्चे के लिए पर्याप्त प्यार को लेकर भी चिंतित हो सकते हैं। जैसे दूसरे बच्चे के आने के बाद आपके पहले बच्चे के प्यार में क्या फर्क पड़ेगा? क्या आप अपने पहले बच्चे पर उतना ध्यान दे पाएंगे या नहीं आदि? लेकिन ध्यान रखें कि हर बच्चा अलग होता है और उसकी अपनी खासियतें व टैलेंट होते हैं। यही नहीं, हर माता-पिता अपने बच्चों से एक-जैसा ही प्यार करते हैं। ऐसे में आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं है। संक्षेप में कहा जाए तो दूसरी प्रेग्नेंसी में मां पहली प्रेग्नेंसी की तुलना में गर्भ में पल रहे शिशु, प्रसव आदि को लेकर कम चिंतित होती है।

    यह तो थी पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) के बारे में जानकारी। अब जान लेते हैं कि दूसरे शिशु के दुनिया में कदम रखने के बाद आप शुरुआती दिनों की प्लानिंग कैसे कर सकते हैं?

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    अपने न्यूबोर्न और ओल्डर चाइल्ड के अर्ली डेज की प्लानिंग (Planning of early days)

    अपने न्यूबोर्न और ओल्डर चाइल्ड के अर्ली डेज को मैनेज करना आपके लिए चैलेंजिंग हो सकता है। खासतौर, पर अगर आपका बड़ा बच्चा तीन साल से कम उम्र का हो। इसलिए लिए आप इस तरह से इसकी प्लानिंग या तैयारी कर सकते हैं:

    • अपने दोनों बच्चों के साथ सिचुएशन को मैनेज करने के लिए अपने घर के कामों के लिए अपने किसी नजदीकी व्यक्ति की मदद लें।
    • अगर आपको बच्चों के लिए किसी काम के लिए जरूरत हो, तो अपने पार्टनर की सहायता लेना न भूलें। जैसे अगर आपके बड़े बच्चे को नींद आ रही है तो अपने पार्टनर को उसे सुलाने के लिए कहें। ताकि, आप नवजात शिशु पर अधिक ध्यान दे पाएं
    • अगर आप अपने बच्चे को चाइल्ड केयर भेज रहे हैं, तो उन्हें कुछ अधिक देर वहां भेजे। इससे आपको अपने न्यूबोर्न पर कंसन्ट्रेट करने और खुद के लिए समय निकालने में मदद मिलेगी। लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं है कि दूसरे शिशु के आने के बाद आप पहले को भूल जाएं। उसके लिए भी उतना ही वक्त निकालें, जितना दूसरे के लिए निकाल रही हैं।

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    उम्मीद है कि यह पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में अंतर (Difference Between first and second Pregnancy) के बारे में जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी का एक्सपीरियंस अलग होता है। ऐसे में, उनकी पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी में विभिन्नता होना भी स्वाभाविक है। अगर आपके मन में इस टॉपिक को लेकर कोई भी सवाल हो, तो इस बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य जान लें।

    आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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