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प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस (Evening sickness during pregnancy)क्या है?
प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस (Evening sickness during pregnancy) की बात करें, तो पहले तिमाही के दौरान, कई प्रेग्नेंट महिलाओं को मतली और उल्टी की समस्या होती है, जिसे सिकनेस के रूप में जाना जाता है। वैसे तो मॉर्निंग सिकनेस की समस्या ज्यादा देखी जाती है, पर यह दिन या रात किसी भी समय पर हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस की समस्या आमतौर पर गर्भावस्था के 6 वें सप्ताह के आसपास शुरू होती है और 9वें सप्ताह के आसपास स्थिति गंभीरी हे सकती है, जोकि 16 वें से 18 वें सप्ताह तक ठीक होने लगती है।
कुछ गर्भवती महिलाओं में मतली की गंभीर स्थिति भी देखने को मिलती है। गंभीर सिकनेस की समस्या तब होती है, जब मतली और उल्टी दिन में कई बार होने लगती है और उल्टी के कारण डिहायड्रेशन की समसस्या हो जाती है। यदि गर्भावस्था से संबंधित इस दुर्लभ स्थिति का इलाज न किया जाए , तो शरीर में कमजोरी भी हो सकती है। इससे और भी कई समस्याएं बढ़ सकती है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस का कारण (Cause of evening sickness during pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस के कई कारण हो सकते हैं जिसमें से एक मुख्य कारण है शरीर में बदलाव जो आपकी पूरी गर्भावस्था में होंगे। ऐसा गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण होता है। कुछ मामलों में थायरॉयड की समस्या भी मतली या उल्टी का कारण बन सकती हैं। प्रेग्नेंसी में मतली आमतौर पर 9 वें सप्ताह से पहले शुरू होती है। कुछ महिलाओं में, यह गर्भधारण के दो सप्ताह बाद भी शुरू हो सकती है। कुछ महिलाओं को सिकनेस का बिल्कुल भी अनुभव नहीं होता है। मॉर्निंग सिकनेस कुछ हफ्तों या महीनों तक रह सकती है, लेकिन आम तौर पर पहली तिमाही के अंत तक यह समस्या ठीक होने लगती है। इतना ही नहीं, कुछ महिलाओं को पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान मतली और उल्टी का अनुभव हो सकता है। इस अधिक गंभीर रूप को हाइपरमेसिस ग्रेविडरम कहा जाता है। इसके अलावा, अन्य कई कारण भी प्रेग्नेंसी के दौरान इवनिंग सिकनेस होने की संभावना को बढ़ा सकती हैं, उनमें शामिल हैं: