इस वीक तक आते-आते शरीर के अंगों में बदलाव बढ़ने लगते हैं। इस दौरान अगर बेबी बंप होता है तो वह काफी छोटा होता है क्योंकि इस वक्त आपका यूटरस जगह बनाने के लिए इंटेस्टाइन्स को स्मेश कर रहा होता है। 40 वीक तक आते-आते ये इंटेस्टाइन्स गायब हो चुकी होती हैं इसलिए इस दौरान थोड़ा सा भी खाना मुश्किल लगता है।
25-28 सप्ताह के दौरान: प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus during 25-28 weeks)
अविश्वसनीय रूप से गर्भावस्था के मध्य तक गर्भवती महिला का स्टमक लगभग 45 डिग्री ऊपर की ओर आ गया होता है ताकि वह इंटेंस्टाइन की तरह हैंग हो सके। इस दौरान हार्टबर्न की परेशानी होती है। इसके साथ ही धीरे-धीरे प्लेसेंटा का महत्व भी बढ़ता जाता है। सबसे पहले शरीर बेबी को सस्टेन करने के लिए एक संपूर्ण अंग (प्लेसेंटा) बनाता है। जो पहले ट्राइमेस्टर में बेबी को ग्रो करने में मदद करता है और जम्न तक उसके विकास को प्रतिबिंबित करता है।
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33-36 सप्ताह के दौरान: प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव
तीसरे ट्राइमेस्टर के आते-आते लिवर और फेफड़े पेट और इंटेस्टाइन के द्वारा सिकोड़ दिए जाते हैं। जो कई इंच नीचे हुआ करते थे। यह प्रक्रिया 36 वे हफ्ते तक जारी रहती है।
पोस्टपार्टम (Postpartum)
प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus) के बाद आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कैसे पोस्टपार्टम पीरियड में ऑर्गन पुराने, शेप, पॉजिशन और साइज में वापस आ जाते हैं। साथ ही यूटरस भी सिकुड़ कर प्री प्रेग्नेंसी साइज में वापस आ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान दिखाई देने वाले लक्षण बच्चे को जगह देने के लिए शरीर में होने वाले बदलावों के कारण होते हैं। शायद ही हमने कभी सोचा हो कि हमारा शरीर में इस प्रकार के बदलाव भी हो सकते हैं।