जब भी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexualy transmitted infection) की बात होती है तो सबका ध्यान जेनिटल्स पार्ट पर जाता है, लेकिन शायद आपको पता ना हो कि एनल से भी सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होता है और एनल एसटीआई (anal STIs) से लोग प्रभावित होते हैं। एनल सेक्स (Anal sex) के कई सारे रिस्क हैं जिनमें से एक एनल एसटीआई भी है। कई प्रकार की एसटीडी एनल सेक्स की वजह से होती हैं। अगर आपको कोई एनल एसटीडी (Anal STD) है तो रेगुलर टेस्ट से इसके बारे में पता नहीं चल पाता है। इसके लिए एनल एसटीआई टेस्टिंग की जाती है। एनल एसटीआई टेस्टिंग क्या है? इसको कब और कैसे कराना चाहिए। ये सारी जानकारी इस आर्टिकल में उपब्लध है।
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क्या सभी के लिए एनल एसटीआई टेस्टिंग (Anal STIs testing) कराना जरूरी है?
स्पष्ट रूप से अगर किसी को निम्न में से भी कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे एनल एसटीआई टेस्टिंग कराने की जरूरत है। एसटीआई के कॉमन लक्षणों में शामिल हैं:
- जेनिटल्स से असामान्य डिस्चार्ज (unusual discharge)
- खुजली (itching)
- छाले और घाव (blisters or sores)
- स्टूल पास करते वक्त दर्द (painful bowel movements
- बैठते वक्त भी दर्द का एहसास
- ब्लीडिंग (bleeding)
- रेक्टल स्पाज्म (rectal spasms)
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अगर ये लक्षण नहीं भी दिखते हैं तो भी अगर आपने अनप्रोक्टेड एनल सेक्स (unprotected anal sex) किया है तो आपको टेस्ट कराना चाहिए। यह ओरल एनल सेक्स (oral-anal sex) करने पर भी लागू होता है। अगर आपके पार्टनर को थ्रोट या ओरल एसटीआई (oral STI) है तो यह रेक्टम में फैल सकता है। ज्यादातर एसटीआई में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए अगर लक्षण दिखाई नहीं भी दे रहे हैं तो एनल एसटीआई टेस्टिंग करना जरूरी है।
- साल में एक बार एसटीआई स्क्रीनिंग (STI screening) जरूर कराएं
- पार्टनर एक दूसरे को एनल एसटीआई टेस्टिंग के लिए प्रोत्साहित करें।
- जब आप एसटीआई के लिए टेस्ट करवाते हैं तो उस समय ही ओरल एसटीआई के लिए भी टेस्ट करवा लेना चाहिए।
एनल एसटीआई टेस्टिंग (Anal STIs testing) कैसे की जाती है?
ज्यादातर एनल एसआईटी (anal STIs) एनल स्वाब (Anal swabs) के जरिए की जाती है। जिसमें एक डिवाइस के जरिए एनल कैनाल से स्वाब लिया जाता है या एनल को ओपन किया जाता है। इस मेथड के जरिए निम्न एसटीआई का टेस्ट किया जाता है।
- गोनोरिया (gonorrhea)
- क्लैमाइडिया (chlamydia)
- एचपीवी (HPV)
- एचएसवी (HSV)
- सिफलिस (Syphilis)
यह टेस्ट के बारे में सुनने पर भले ही अनकंफर्टेबल लगता हो, लेकिन है नहीं। इसके लिए यूज होने वाला इंस्ट्रूमेंट छोटा होता है। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट के जरिए भी एनल एसटीआई टेस्टिंग की जाती है। इन टेस्ट के लिए जरिए सिर्फ एनल ही नहीं पूरी बॉडी में मौजूद बैक्टीरिया के बारे में पता चल जाता है। जिनमें शामिल हैं:
- एचआईवी (HIV)
- एचएसवी (HSV)
- सिफलिस (syphilis)
- हेपेटाइटिस (hepatitis A, B, और C)
अगर डॉक्टर को लगता है तो वे बायोप्सी (biopsy) या एनोस्कॉपी (anoscopy) भी कर सकते हैं। जिसके जरिए रैक्टम के अंदर की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
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एनल एसटीआई (anal STI) के निदान के बाद क्या उनका उपचार किया जा सकता है?
आपको बता दें कि सभी प्रकार के यौन रोगों का उपचार किया जा सकता है। अगर बैक्टीरियल एसटीआई (bacterial STIs) जैसे कि गोनोरिया, क्लैमाइडिया, ट्रिकोमोनियासिस और सिफलिस का अर्ली स्टेज पर पता चल जाए तो इनका इलाज उचित ढंग से किया जा सकता है। वायरल एसटीआई जैसे कि हेपेटाइटिस बी, एचआईवी, एचपीवी और हर्पीस का उपचार नहीं किया जा सकता, लेकिन दवायों से इन्हें मैनेज किया जा सकता है।
एनल एसटीआई (Anal STIs) कैसे फैलती हैं?
एनल एसटीआई का सबसे बड़ा कारण एनल सेक्स (Anal sex) और ओरल एनल सेक्स (oral anal sex) है। अगर पार्टनर को एसटीआई है तो ट्रांसमिशन होना संभव है। किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ अनप्रोटेक्टेड सेक्स जो यौन रोग से ग्रसित और आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आपको ऐसे में यौन रोग हो सकता है। इसके साथ ही अगर आप ओरल एनल सेक्स के दौरान डेंटल डेम (dental dam) और एनल पेनेट्रेशन (Anal Penetration) के दौरान कंडोम का उपयोग उचित ढंग से नहीं करते हैं तो भी आपको यौन रोग की आशंका है।
एनल इंटरकोर्स के दौरान ल्यूब्रिक्रेंट का उपयोग ना करना और तेजी से पेनेस्ट्रेशन करने से भी एनल एसटीआई का रिस्क बढ़ता है। वजायना की तरह एनल कैनाल में सेल्फ लुब्रिकेट नहीं होता। इसका मतलब है कि यहां पर आपको लुब्रिकेशन का उपयोग ज्यादा करने की जरूरत होती है। इसके बिना एनल सेक्स घषर्ण का कारण बनता है जिससे एनल लाइनिंग में माइक्रोस्कोपिक टियर्स (microscopic tears) हो जाते हैं। ऐसे में अगर पार्टनर में से किसी एक को भी एसटीआई है तो इससे ट्रांसमिशन का रिस्क दोगुना हो जाता है। एनल सेक्स के दौरान पहले फिंगर का यूज करना, लंबी सांस लेना और धीरे-धीरे पेनेट्रेशन करने से इंजरी और पेन का रिस्क कम हो सकता है।
अगर एनल इंफेक्शन का उपचार ना किया जाए तो क्या होगा?
एनल एसटीआई का इलाज ना करने पर उसके क्या परिणाम होंगे यह कौन सा यौन रोग है इस पर निर्भर करता है। ऐसा होने पर ज्यादातर डिजीज अपने एडवांस स्तर पर पहुंच जाती हैं। उदाहरण के लिए अगर सिफलिस बीमारी का इलाज ना किया जाए तो यह पूरी बॉडी में फैल जाती है और अधिक गंभीर होने पर यह ब्रेन को भी प्रभावित कर सकती है। इसी तरह कुछ तरह के एचपीवी (HPV) कैंसर का कारण बन सकते हैं अगर उनका इलाज ना किया जाए। यौन रोगों का इलाज ना करने पर यह दूसरों में फैलते हैं।
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क्या जेनिटल एसटीआई का इलाज करने से एनल एसटीआई का भी इलाज हो जाता है?
ऐसा पूरी तरह संभव नहीं है। बैक्टीरियल एसटीआई जैसे कि गोनोरिया, क्लैमाइडिया और सिफलिस है तो डॉक्टर इनका इलाज ओरल एंटीबायोटिक्स के जरिए करते हैं। इस इलाज के जरिए अगर एनस में कोई एसटीआई है तो उसका भी इलाज हो जाएंगा, लेकिन अगर डॉक्टर को एनस एटीआई (Anus STI) के बारे में जानकारी नहीं है तो वे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि इसका इलाज हो पाएगा। डॉक्टर एक बार दवा देने के बाद 6-8 हफ्ते के बाद दोबारा बुलाते हैं ताकि ये पता चल सके कि ट्रीटमेंट काम कर रहा है या नहीं।
कुछ एटीआई का इलाज टॉपिकल क्रीम (topical creams) से भी किया जा सकता है। जैसे कि हर्पीस के लक्षणों को टॉपिकल क्रीम की मदद से मैनेज किया जा सकता है, लेकिन पेनिस या वजायना पर क्रीम लगाने से एनस एसटीआई को ट्रीट नहीं किया जा सकता। अगर आपको एक एसटीआई जेनिटल्स में है और दूसरी एनस में है तो एक का इलाज करने से दूसरे का इलाज नहीं होगा।
अगर मैंने पहले से ही जेनिटल्स एसटीआई के लिए टेस्ट करवा लिया है तो क्या एनल एसटीआई (Anal STIs) के लिए टेस्ट करवाना जरूरी है?
अगर आपने जेनिटल एसटीआई के लिए टेस्ट करवा लिया है तब भी एनल एसटीआई टेस्टिंग के लिए आपको जरूरत होगी। ऐसी भी संभावना है कि किसी को एनल एसटीआई हो, लेकिन जेनिटल नहीं और ऐसा भी हो सकता है कि किसी को एनल एसटीआई हो और जेनिटल भी हो। इसलिए दोनों स्थितियों को देखते हुए एनल एसटीआई टेस्टिंग (Anal STIs testing) बेहद जरूरी है।
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उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और एनल एसटीआई टेस्टिं से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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