लेटेंट स्टेज (Latent stage)
अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो इंफेक्टेड व्यक्ति लेटेंट स्टेज तक पहुंच जाता है जिसे हिडन स्टेज (hidden stage) भी कहा जाता है। दूसरी स्टेज के बाद रैशेज चले जाते हैं। इस दौरान मरीज में कुछ समय के लिए किसी प्रकार के लक्षण भी दिखाई नहीं देते हैं इसलिए इसे हिडन स्टेज कहते हैं। लेटेंट पीरियड (latent period) 1 साल से लेकर 20 साल तक का हो सकता है। इस स्टेज के दौरान सटीक निदान (diagnosis) केवल ब्लड टेस्ट (blood test) के जरिए हो सकता है। इसके साथ ही मरीज की हिस्ट्री और बच्चे के जन्म के आधार पर (congenital syphilis) के बारे में डॉक्टर पता करता है। मरीज लेटेंट स्टेज के शुरुआती समय में संक्रामक होता है। भले ही उस समय सिफलिस बीमारी के कोई लक्षण ना दिखाई दें।
100 में से 20-30 लोगों में लेटेंट स्टेज के दौरान सेकेंड्री स्टेज रिलेप्स (Relapses of secondary syphilis) हो जाती है। रिलेप्स का मतलब होता है कि मरीज सेकेंड स्टेज से गुजर चुका है। उसमें सिफलिस बीमारी के कोई लक्षण भी नहीं है। इसके बाद उसे फिर से सेकेंड्री स्टेज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। रिलेप्स कई बार हो सकता है। जब रिलेप्स होना बंद हो जाता है तो वो व्यक्ति संक्रामक नहीं रहता।
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महिलाओं में लेटेंट स्टेज के दौरान भी सिफलिस की बीमारी संक्रामक होती है जो गर्भवती होने पर बच्चे को ट्रांसफर हो सकती है और यह इंफेक्शन मिसकैरिज (miscarriage), या स्टिलबर्थ (stillbirth) का कारण बन सकता है। बच्चे में जन्मजात सिफलिस (congenital syphilis) भी हो सकता है। अगर महिला सिफलिस से ग्रसित है तो वह कम वजन वाले बच्चे को जम्न दे सकती है। सिफलिस पॉजिटिव होने पर महिला को तुरंत ट्रीटमेंट लेना चाहिए। अगर यह ठीक नहीं होता है तो पैदा होने वाले बच्चे में सिफलिस बीमारी के लक्षण दिखाई देते। अगर तुरंत इसका इलाज ना किया जाए तो बच्चे में बहरापन, मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
तीसरी स्टेज (Tertiary (late) stage )