ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) एक असामान्य लेकिन त्वचा को कमजोर करने वाली स्थिति है। डॉक्टर अभी तक निश्चिंत नहीं है कि बीमारी का कारण क्या है या इसे कैसे ठीक किया जाए?, लेकिन लक्षणों को मैनेज करने के लिए उपचार उपलब्ध हैं। इसे ट्रांसिएंट एसेंथोलिटिक डर्मेटोसिस (Transient acantholytic dermatosis) भी कहा जाता है। यह बीमारी आमतौर पर छाती और पीठ पर दाने के रूप में दिखाई देती है। तीव्र खुजली अक्सर दाने के साथ होती है।
संभावित उपचारों में त्वचा पर सीधे अप्लाई करने के लिए टॉपिकल क्रीम (Topical cream) और ओरल मेडिकेशन (Oral medication) शामिल हैं। सबसे प्रभावी उपचार हर व्यक्ति के लिए अलग होगा, इसलिए ग्रोवर्स डिजीज से पीड़ित लोगों को यह पता लगाने के लिए उनके लिए बेस्ट ट्रीटमेंट क्या होगा डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकत होगी।
ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) क्या है?
ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) आमतौर पर पीठ और छाती पर छोटे खुजली वाले रेड बम्प्स के रूप में शुरू होती है, जो बाद में ऊपरी अंगों तक फैल सकती है। बम्प्स आमतौर पर थोड़े उठे हुए होते हैं, लेकिन स्पर्श करने के लिए नरम या कठोर महसूस हो सकता है। बम्प्स के साथ या अंदर पानी से भरे फफोले दिखाई दे सकते हैं। ग्रोवर्स डिजीज के ज्यादातर मामले 6-12 महीने तक चलते हैं, लेकिन कुछ अधिक समय तक चल सकते हैं या समय के साथ आ और जा सकते हैं।
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ग्रोवर्स डिजीज के लक्षण क्या हैं? (Grover’s disease symptoms)
ज्यादातर लोगों में ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) के लक्षणों में रैशेज की जगह पर तेज खुजली होती है। सभी लोग खुजली का अनुभव नहीं करते हैं, लेकिन जिनको खुजली होती है वो इतनी गंभीर होती है कि यह उनकी डेली एक्टिविटीज और स्लीप क्वालिटी को भी प्रभावित करती है। ऐसे में जोर से खुजलाने पर स्थिति खराब हो सकती है जिससे स्किन डैमेज होने के साथ ही ब्लीडिंग और इंफेक्शन हो सकता है।
ग्रोवर्स डिजीज के कारण और रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (What are the causes and risk factors of Grover’s disease?)
ग्रोवर्स डिजीज स्किन सेल्स को साथ रखने वाले प्रोटीन में बदलाव का परिणाम होते हैं। ये बदलाव माइक्रोस्कोपिक लेवल पर होते हैं त्वचा के आंशिक ब्रेकडाउन का कारण बनते हैं। कुछ लोगों में ये ब्रेकडाउन ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) का कारण बनता है। हालांकि सटीक कारण स्पष्ट नहीं है, कई संभावित ट्रिगर हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बढ़ा हुआ पसीना
- बुखार
- लंबे समय तक बेड रेस्ट करना उदाहरण के लिए अस्पताल में रहने के दौरान
- सूर्य के संपर्क की विस्तारित अवधि
- शुष्क त्वचा (Dry skin), विशेष रूप से सर्दियों के महीनों के दौरान
- कुछ दवाएं
- अंग प्रत्यारोपण
- विकिरण के संपर्क में आना जैसे कि एक्स-रे
- एंड स्टेज किडनी डिजीज
कैंसर, कीमोथेरेपी और हाल ही में अंग प्रत्यारोपण से ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) के असामान्य रूपों के विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। इन मामलों में, पीठ या छाती पर शुरू होने के बाद शरीर पर एक असामान्य स्थान पर दाने दिखाई दे सकते हैं। डॉक्टर किसी एक ट्रिगर पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सभी जोखिम कारकों को ध्यान में रखते हैं। एक अच्छी बात ये है कि यह बीमारी संक्रामक नहीं है। प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी यह नहीं फैलती।
ग्रोवर्स डिजीज को डायग्नोस कैसे किया जाता है? (Grover’s disease diagnosis)
ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) को डायग्नोस करने का सिर्फ एक ही तरीका है जो है स्किन बायोप्सी। बायोप्सी एक टिशू सेम्पल है जो लेबोरेटरी में भेजे जाते हैं टेस्टिंग के लिए। त्वचा विशेषज्ञ आमतौर पर शेव स्किन बायोप्सी का उपयोग करते हैं। वे त्वचा के क्षेत्र को सुन्न कर देंगे, इसलिए व्यक्ति को कोई दर्द महसूस नहीं होता है, फिर रैश बम्प्स में से एक से एक नमूना काटने के लिए रेजर जैसे उपकरण का उपयोग करते हैं। बायोप्सी से निशान रह जाता है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को डॉक्टर के प्रक्रिया के बाद के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
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ग्रोवर्स डिजीज का इलाज (Grover’s disease’s treatment)
ग्रोवर्स डिजीज के इलाज के लिए कोई स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट नहीं है, लेकिन डर्मेटोलॉजिस्ट और दूसरे एक्सपर्ट्स ने लक्षणों को कम करने के लिए कई प्रकार के उपचार इजाद किए हैं। डॉक्टर सबसे पहले फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट का उपयोग करके ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) का इलाज शुरू कर देंगे और लक्षणों में सुधार नहीं होने पर सेकेंड या थर्ड लाइन पर चले जाएंगे।
फर्स्ट लाइन (First line)
- मॉश्चराइजर का उपयोग जिसमें लोशन, बाम और जैल शामिल हैं
- ओवर-द-काउंटर (OTC) या प्रिस्क्रिप्शन एंटी-इच कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम
- ओरल एंटीहिस्टामाइन, जो कई रूपों में ओवर द काउंटर उपलब्ध हैं
सेकेंड लाइन (Second line)
- टॉपिकल एप्लिकेशन के लिए लिक्विड या क्रीम में विटामिन डी एनालॉग्स
- एंटीफंगल या एंटीबायोटिक थेरिपी
थर्ड लाइन (Third line)
- ओरल या इंजेक्टेबल सिस्टेमेटिक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, जिसके लिए प्रिस्क्रिप्शन की आवश्यकता होती है (मौखिक प्रेडनिसोन बहुत आम है)
- ओरल या टॉपिकल सिस्टेमिक रेटिनोइड्स, जिसे प्रिक्रिप्शन की भी आवश्यकता होती है
- फोटोथेरेपी, जो राहत प्रदान करने के लिए पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग करती है लेकिन कभी-कभी बीमारी को शुरू में खराब कर सकती है।
क्या ग्रोवर्स डिजीज से बचा जा सकता है? (Can Grover’s Disease Be Prevented?)
चूंकि गर्मी और पसीना इस बीमारी को ट्रिगर करते हैं इसलिए डॉक्टर रिकमंड करते हैं कि जिन लोगों को इस बीमारी का रिस्क हो उन्हें ऐसी एक्टिविटीज और प्लेस को अवॉइड करना चाहिए जो अत्यधिक गर्मी का कारण बने और पसीना आए। इसमें नमी वाले कपड़े पहनना या तेज धूप से बचना शामिल हो सकता है।
ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) हमेशा रोकथाम योग्य नहीं होती है, इसलिए किसी भी लक्षण के प्रकट होते ही डॉक्टर को दिखाना सबसे अच्छा है। शीघ्र निदान लक्षणों को किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव डालने से रोकने में मदद कर सकता है। ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) के दाने और इसके साथ होने वाली खुजली व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकती है। अच्छी खबर यह है कि यह बीमारी जानलेवा नहीं है और आमतौर पर 6-12 महीनों में ठीक हो जाती है। त्वचा विशेषज्ञ लोगों को स्थिति को मैनेज करने और उनके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको ग्रोवर्स डिजीज (Grover’s disease) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।