परिचय
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पेरोनिसिया त्वचा का इंफेक्शन है जो नाखूनों के चारों तरफ होता है। बैक्टीरिया या यीस्ट का एक प्रकार (जिसे कैंडिडा कहा जाता है) इस इंफेक्शन का कारण है। यह इंफेक्शन बैक्टीरिया और यीस्ट के मेल से भी होता है। इस समस्या के कई असरदार उपचार भी हैं। इस समस्या का एक कारण अपने नाखूनों को काटना या चबाना है लेकिन अधिकतर यह समस्या गीले में या केमिकल की उपस्थिति में काम करने के कारण होती है।
पेरोनिसिया फिंगर इंफेक्शन दो तरह के होते हैं:
एक्यूट पेरोनिसिया : इस तरह के पेरोनिसिया एकदम से होता है और लंबे समय तक रहता है, खासतौर पर यह उंगलियों में होता है।
क्रोनिक पेरोनिसिया : क्रोनिक पेरोनिसिया उंगलियों और अंगूठे दोनों में हो सकता है। यह या तो ठीक नहीं होता या वापस आता रहता है।
यह रोग वयस्कों और बच्चों दोनों को हो सकता है। आमतौर पर यह गंभीर नहीं होता और घर पर इसका उपचार किया जा सकता है।
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लक्षण
- पेरोनिसिया की शुरुआत दर्द, प्रभावित स्थान का सख्त होना और उंगलियों में सूजन से होती है।
- इसके बाद त्वचा के आसपास मवाद भरना शुरू हो जाता है। यह अंततः एक फोड़ा बन जाता है, जिसमें से मवाद निकल सकता है। ऐसा एक्यूट पेरोनिसिया में हो सकता है।
- क्रोनिक पेरोनिसिया क्युटिकल टूटने का कारण बन सकता है। इस प्रकार के पेरोनिसिया के कारण नाखून त्वचा से अलग हो सकता है। इससे नाखून मोटा, कठोर और विकृत हो सकता है।
- बैक्टीरिया के कारण होने वाला पेरोनिसिया जल्दी ही बदतर हो सकता है। फंगस के कारण होने वाला पेरोनिसिया भी समय के साथ बिगड़ सकता है।
एक्यूट और क्रोनिक पेरोनिसिया के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- नाख़ून के चारों तरफ त्वचा का लाल होना
- नाख़ून के चारों तरफ त्वचा का कोमल होना
- मवाद से भरे छाले
- नाखूनों के आकार, रंग और बनावट में बदलाव
- नाख़ून का अलग हो जाना
अगर यह इंफेक्शन फ़ैल जाए तो यह लक्षण नजर आ सकते हैं:
- बुखार, ठंड लगना
- बीमार महसूस होना
- जोड़ों में दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- त्वचा के किनारे लाल लकीरों का होना
कारण
- यह संक्रमण तब होता है जब नाखून के आसपास की त्वचा क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे उस में कीटाणु प्रवेश कर सकते हैं।
- बैक्टीरिया पेरोनिसिया का कारण बन सकता है, और इन का कारण है स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस पाइोजेनेस बैक्टीरिया। फूंगी जो पेरोनिसिया का कारण बन सकता है वो है कैंडिडा।
अन्य कारण इस प्रकार हैं:
जोखिम
पेरोनिसिया के जोखिम इस प्रकार हैं:
- महिलाएं
- जिन लोगों को डायबिटीज है
- जिन लोगों के हाथ अधिकतर गीले रहते हैं जैसे सफाई करने वाले
- अन्य त्वचा की स्थिति वाले लोग, जैसे कि जिल्द की सूजन (डर्मेटाइटिस )
- जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है
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उपचार
शारीरिक जांच
- पेरोनिसिया होने पर डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच करेंगे। इसके साथ ही डॉक्टर आपसे मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे और जोखिमों के बारे में भी जानेंगे।
- कुछ मामलों में डॉक्टर आपके नाखूनों के आसपास पड़े मवाद का सैंपल भी ले सकते हैं। वे इस सैंपल को लेबोरेटरी भी भेज सकते हैं। ताकि, पता चल सके कि क्या उसमे इंफेक्शन फ़ैलाने वाले बैक्टीरिया या फूंगी शामिल हैं।
- पेरोनिसिया का उपचार इस स्थिति की गंभीरता और यह क्रोनिक है या एक्यूट है इस बात पर निर्भर करता है।
एक्यूट पेरोनिसिया
- अगर रोगी को एक्यूट पेरोनिसिया है तो आप अपनी प्रभावित उंगली या अंगूठे को गर्म पानी में दिन में दो से तीन बार डाल कर रखें। अगर लक्षण नहीं सुधरते हैं तो आपको आगे का उपचार लेना चाहिए।
- जब बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण एक्यूट पेरोनिसिया होता है, तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं जैसे डिक्लोक्सासिलिन या क्लिंडामाइसिन।
क्रोनिक पेरोनिसिया
- जब फंगल इन्फेक्शन के कारण क्रोनिक पेरोनिसिया होता है तो डॉक्टर आपको एंटीफंगल दवाईयां दे सकते हैं। ये दवाएं टोपिकल है और आमतौर पर क्लॉट्रिमेज़ोल या केटोकोनाज़ोल शामिल हैं।
- क्रोनिक पेरोनिसिया के उपचार में हफ्ते या महीने लग सकते हैं। ऐसे में, हाथों को सूखा और साफ रखना महत्वपूर्ण है। यदि किसी व्यक्ति की नौकरी ऐसी है जिसमे वो अपने हाथों को गीला रखता है या कीटाणुओं के संपर्क में आता है, उन्हें अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।
- डॉक्टर फोड़े के अंदर के मवाद को बाहर निकालेंगे। ऐसा करने के लिए, वे अनेस्थेटिक प्रदान करेंगे, इसके बाद वो फोड़े को खोल कर इस मवाद को बाहर निकाल देंगे।
- अगर आपको क्रोनिक पेरोनिसिया है तो आपको अपने नाखूनों को सूखा रखने और केमिकल से उन्हें बचाना चाहिए । इसके लिए ग्लव्स पहनें और स्किन ड्राइंग क्रीम का प्रयोग करें।
- फंगस से होने वाला पेरोनिसिया से मुक्ति पाना मुश्किल हो सकता है लेकिन सब्र रखें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। अगर डॉक्टर के उपचार का आपको फायदा न हो रहा हो तो डॉक्टर को तुरंत बताएं।
घरेलू उपाय
- इस समस्या से बचने के लिए नाखूनों और नाखूनों के आसपास की त्वचा का अच्छे से ख्याल रखें।
- नाख़ून और नाख़ून के ऊपर के हिस्से को चोट लगने से बचाएं। क्योंकि नाख़ून धीरे-धीरे बढ़ते हैं और चोट महीनों तक रहती है।
- नाख़ून को न तो काटें न ही छेड़ें।
- डिटर्जेंट या केमिकल आदि से अपने नाखूनों को बचाएं। अगर इन चीज़ों के संपर्क में काम करना है तो रबर या प्लास्टिक के ग्लव्स पहनें।
- जब भी आप मेनिक्योर कराने जाएं तो अपनी मेनिक्योर किट ले कर जाएं। अपने क्यूटिकल्स पर पार्लर वालों को कोई काम न करने दें।
नाखूनों को किसी भी नुकसान से बचाने के लिए यह तरीके अपनाएं
- अपने नाखूनों को हमेशा काट कर और शेप में रखें।
- नाखूनों और पैर की उंगलियों को ट्रिम करने के लिए तेज मैनीक्योर कैंची या क्लिपर्स और किनारों को चिकना करने के लिए एक एमरी बोर्ड का उपयोग करें।
- नाखूनों को नहाने के बाद काटें क्योंकि इस समय नाख़ून नरम होते हैं और आसानी से कट जाते हैं।
- क्यूटिकल्स को न तो काटें, न ही क्यूटिकल्स रिमूवर का प्रयोग। क्यूटिकल्स रिमूवर नाखूनों के आसपास की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है।
- अपने नाखूनों का खास ख्याल रखें, उन्हें साफ रखें और हाथों को धोने के बाद मॉइस्चराइज़र
का प्रयोग करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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