परिचय
वैसे तो मुंह से बदबू आना एक आम-सी समस्या है। लेकिन, आंकड़ों की माने तो 90 फीसदी लोग संबंधित हेल्थ प्रॉब्लम्स के चलते मुंह से बदबू आने की शिकायत करते हैं। यह समस्या लंबे अरसे तक चलती रहे तो इसे हेलिटोसिस (Halitosis) कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार मुंह की बदबू को दूर करने के लिए मुंह की साफ-सफाई पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है। तो आइए जानते हैं कि मुंह की बदबू को हमेशा के लिए दूर कैसे करें, मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज क्या है।
आयुर्वेद में मुंह से बदबू आना क्या है?
आयुर्वेद की भाषा में मुंह की बदबू को मुखदुर्गंधी कहते हैं। बैक्टीरियल संक्रमण, मुंह की सफाई न करने, जिंजीवाइटिस (मसूड़ों की सूजन), मुंह में सूखापन, जीईआरडी (GERD), टॉन्सिलाइटिस, ओरल कैंसर, लंग्स या थ्रोट इंफेक्शन या मुंह की अन्य समस्याओं के चलते मुंह से बदबू आने लगती है। इसके अलावा डायबिटीज और कुछ ऑटोइम्यून डिजीज भी मुंह से बदबू आने की वजह बन सकती हैं। आयुर्वेद में माना जाता है कि शरीर की मुख्य प्रक्रिया डाइजेशन की शुरुआत मुंह से ही होती है। ऐसे में ओरल हाइजीन को बनाए रखना बेहद जरूरी है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में ओरल हेल्थ को बेहतर बनाए रखने के लिए गण्डूष और कवल (तेल से गरारे करना), दंतधावन, जिह्वा निर्लेखन (जीभ की सफाई) और प्रतिसारण विधि को अपनाने की सलाह दी जाती है।
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कारण
आखिर मुंह से बदबू क्यों आती है? इसकी तीन वजह हो सकती हैं। जैसे-
- मौखिक (oral) समस्या
- गैर मौखिक (non-oral) समस्या
- अन्य कारण
मौखिक कारण
मुंह के अंदर लाखों की संख्या में जीवाणु रहते हैं। ऐसे में मुंह की साफ-सफाई पर ठीक से ध्यान न देने की वजह से बैक्टीरिया बहुत तेजी से बढ़ते हैं। नतीजन, मुंह से बदबू आने लगती है। दांतों पर जमा हुआ प्लाक, कैविटी (cavities), मुंह में इंफेक्शन, दांतों से पस निकलना, पीरियडोंटल डिजीज (पीरियंडोटिटिस (periodontitis), मसूड़ों में सूजन) आदि मुंह की बदबू का कारण बनते हैं।
गैर-मौखिक कारण
मुंह की बदबू के कुछ नॉन-ओरल कारण भी होते हैं जैसे-डायबिटीज, लिवर की बीमारी, साइनस (नाक की बीमारी), किडनी डिजीज, फेफड़ों की बीमारी आदि मुंह की बदबू का कारण बन सकती है।
मुहं से आने वाली बदबू के अन्य कारण
कभी-कभी कुछ खाद्य पदार्थों को लेने की वजह से भी मुंह से बदबू आना शुरू हो जाती है। जैसे- मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि।
मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज
दंतपवन/दातुन
ओरल समस्याओं से बचने के लिए ओरल हाइजीन जरूरी है। इसलिए, मुंह की साफ-सफाई के लिए दिन में दो बार सुबह रात को दातुन करने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार दातुन में कसैले और कड़वे गुण होने चाहिए। दातुन के लिए नीम, अर्जुन, मुलेठी, निर्गुण्डी, अपामार्ग, करंज आदि जड़ी बूटियां सही रहती हैं। इनके इस्तेमाल से जिंजीवाइटिस, कैविटी आदि होने की संभावना को कम किया जाता है। नतीजन, मुंह की बदबू की संभावना कम होती है।
जिह्वा निरलेखन
दातुन करने के बाद जीभ की सफाई भी जरूरी होती है। इससे डाइजेस्टिव फायर (पाचन अग्नि) सुधरता है जिससे पाचन तंत्र उत्तेजित होता है। इससे मुंह से आने वाली बदबू से निजात मिलती है।
गण्डूष और कवल
गण्डूष और कवल को आयुर्वेद में मुंह की स्वच्छता के लिए बेस्ट माना जाता है। इस आयुर्वेदिक कर्म में औषधीय लिक्विड का इस्तेमाल किया जाता है। इस लिक्विड से ही मुंह को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। यदि गण्डूष की नियमित अंतराल पर किया जाए तो इससे दुर्गंध (बदबू), दांतों में दर्द, दांतों का टूटना और मसूड़ों की सूजन भी कम होती है।
प्रतिसारण
दांतों के बीच में जमे मैल यानी प्लाक को साफ करने और दांतों को हेल्दी बनाए रखने के लिए आयुर्वेदिक थेरिपी प्रतिसारण को उपयोग में लाते हैं। त्रिकुट, त्रिफला और त्रिजात (तीन मसाले) को मिलाकर पाउडर तैयार किया जाता है जिससे दांतों और मसूड़ों की मालिश की जाती है।
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मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज : जड़ी-बूटियां
दालचीनी
2017 में हुई एक लेबोरेटरी स्टडी में पाया गया कि दालचीनी के तेल में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। सिनेमन ऑइल का इस्तेमाल ओरल हाइजीन प्रोडक्ट्स में करने से मुंह की बदबू को दूर करने में मदद मिल सकती है। इसमें वायुनाशक (पेट फूलने से राहत देने वाले), एंटी-इंफ्लेमेटरी, डाइजेस्टिव और कफ को दूर करने वाले गुण भी पाए जाते हैं। ये सभी प्रॉपर्टीज मुंह से आने वाली बदबू के कारणों को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।
नीम
एंटी-वायरस, एंटीमाइक्रोबियल, दर्द निवारक और रक्तशोधक (खून साफ) गुणों से भरपूर नीम का इस्तेमाल मलेरिया, पीलिया, सिफलिस जैसे तमाम रोगों के उपचार में किया जाता है। इसकी दातुन का उपयोग दांतों को साफ करने में कई सदियों से चला आ रहा है। इससे मुंह के बैक्टीरिया को मारने में मदद मिलती है जिससे सांसों की बदबू का इलाज भी होता है। नीम का प्रयोग अर्क, काढ़े और पाउडर के रूप में डॉक्टर की सलाह से किया जा सकता है।
इलायची
इलायची का प्रयोग डाइजेस्टिव सिस्टम में सुधार करने के साथ ही परिसंचरण तंत्र, तंत्रिका और रेस्पिरेटरी सिस्टम (respiratory) पर भी अच्छा काम करती है। पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करके और जीईआरडी की वजह से आने वाली मुंह की बदबू के उपचार में उपयोगी साबित होती है। डॉक्टर के निर्देशानुसार आप इसे काढ़े या पाउडर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा लौंग, अदरक, सौंफ आदि हर्ब्स का उपयोग भी मुंह संबंधित समस्याओं को दूर करने में किया जाता है।
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मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज : दवा
कुमार भरण रस
यह मुंह की बदबू हटाने की आयुर्वेदिक दवा आमलकी, पिप्पली, अदरक, अश्वगंधा, मुलेठी जैसी अन्य हर्बल सामग्रियों से मिलकर बनी है। इसके साथ ही इसमें सोने-चांदी की भस्म भी मिली होती है जिनको गुडूची, तुलसी या ब्राह्मी के रस में मिलाकर बनाते हैं। काफी टाइम से चली आ रही टॉन्सिलाइटिस की समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए कुमार भरण रस मददगार साबित है।
त्रिफला चूर्ण
आमलकी (आंवला), हरीतकी (हरड़) और विभीतकी (Terminalia bellirica) इन तीन जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बना त्रिफला चूर्ण लिनोलिक एसिड, विटामिन सी, स्टीयरिक एसिड और फ्रुक्टोज से भरपूर होता है। इसलिए, अगर आप मुंह से बदबू हटाने की दवा ढूंढ रहे हैं तो यह आपके लिए बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है।
नागरादि क्वाथ
जिंजीवाइटिस या दांतों से संबंधित अन्य बिमारियों की वजह से आने वाली मुंह की बदबू का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए नागरादि क्वाथ का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक आयुर्वेदिक हर्बल मिश्रण है जिसमें त्रिफला, शुंथि और अन्य हर्बल मिले होते हैं।
ऊपर बताई गई मुंह से बदबू दूर करने की आयुर्वेदिक दवा या हर्बल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
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ओरल हेल्थ के लिए योगासन
शीर्षासन (Sirshasana), सर्वांगासन (Sarvangasana), शवासन (Shavasana) जैसे कई योगा पोजेज डेंटल हेल्थ के लिए अच्छे माने जाते हैं। उज्जायी (Ujjayi) और शीतली (Sheetali) प्राणायाम को नियमित रूप से करना दांतों की समस्या को दूर रखता है।
मुंह की बदबू की आयुर्वेदिक दवा कितनी प्रभावी होती है?
एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि मसूड़ों से खून आना, दांतों में सेंसटिविटी और मुंह में बदबू को दूर करने के लिए त्रिफला के काढे का उपयोग लाभकारी पाया गया। साथ ही ओवरऑल ओरल हेल्थ में भी सुधार पाया गया। साथ ही कुमार भरण रस का प्रयोग टॉन्सिलाइटिस की बीमारी के उपचार में प्रभावी पाया गया है।
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आयुर्वेद के अनुसार मुंह से बदबू आने पर जीवनशैली में किए जाने वाले बदलाव
क्या करें?
- दिन में दो बार ब्रश करें
- जिह्वा निर्लेखन (जीभ की सफाई) करें
क्या न करें?
- एसिडिक पदार्थों का सेवन न करें
- धूम्रपान और एल्कोहॉल लेने से बचें।
- कोशिश करें कि मीठा कम खाएं।
- सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक न पिएं।
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मुंह की बदबू दूर करने के घरेलू उपाय
- माउथ फ्रेशनर के रूप में सौंफ का इस्तेमाल करने से मुंह की दुर्गन्ध पर कंट्रोल पाया जा सकता है। इसके लिए आप सौंफ की चाय या सीधे सौंफ भी खा सकते हैं।
- सांसों को फ्रेश रखने के साथ ही मुंह की बदबू को कम करने के लिए लौंग बहुत मददगार होती है। इसके साथ ही लौंग का तेल भी दांत-दर्द के इलाज में उपयोगी है। लौंग के कुछ टुकड़े रखें या क्लोव टी का इस्तेमाल इसके लिए किया जा सकता है।
- मुंह की बदबू को रोकने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल करें। इसके लिए सिनेमन ऑइल या पाउडर का प्रयोग किया जाता है।
- बेकिंग सोडा का उपयोग मुंह की दुर्गंध को दूर करने में किया जाता है। इससे मुंह के बैक्टीरिया कम होते हैं।
हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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