परिचय
चिंता क्या है?
हमारा शरीर तनाव, डर, असहजता, मुश्किल या नयी स्थिति आदि की प्रतिक्रिया में एक भाव का उत्पादन करता है, जो कि चिंता कहलाता है। इसकी वजह से आपके शरीर में कुछ क्षणिक बदलाव दिख सकते हैं और यह प्रतिक्रिया काफी सामान्य है और इसकी मदद से आपको ध्यान लगाने, अपना बेस्ट परफॉर्मेंस देने और डेडलाइन कंप्लीट करने में आसानी होती है। लेकिन, स्थिति तब नुकसानदायक होने लगती है, जब यह चिंता लंबे समय तक चलती रहती है और हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती रहती है। जिसकी वजह से कई खतरनाक और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याएं हमारे शरीर को अपना शिकार बना सकती हैं। चिंता की समस्या किसी भी लिंग और उम्र के व्यक्तियों में हो सकती है।
चिंता को अंग्रेजी में एंजायटी (Anxiety) कहते हैं और आपको बता दें कि, जब चिंता काफी लंबे समय तक चलती रहती है तो उसे एंजायटी डिसऑर्डर्स (Anxiety Disorders) कहते हैं। समय पर इलाज न मिलने के कारण यह विकार गंभीर हो सकते हैं और आपकी दैनिक गतिविधियों में भी बाधा बन सकते हैं। आइए, इन एंजायटी डिसऑर्डर्स के बारे में जानते हैं।
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सोशल एंजायटी डिसऑर्डर – सोशल सिचुएशन में लोगों द्वारा अपने प्रति राय कायम कर लेने का अत्यधिक डर लगना।
पैनिक डिसऑर्डर – इस विकार में अप्रत्याशित समय पर बार-बार पैनिक अटैक का अनुभव करना। इस डिसऑर्डर में व्यक्ति अगले पैनिक अटैक के डर में रह सकता है।
फोबिया – किसी चीज, स्थिति या गतिविधि से अत्यधिक डर लगना फोबिया कहलाता है।
इल्नेस एंजायटी डिसऑर्डर – अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता होना।
पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर – किसी ट्रॉमेटिक इवेंट की वजह से चिंता होना।
ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर – मन में आने वाले तर्कहीन विचारों की वजह से किसी खास व्यवहार को बार-बार करना ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहलाता है।
सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर – घर या किसी अपने करीबी से दूर जाने का डर लगना।
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लक्षण
चिंता की वजह से किन लक्षणों का सामना करना पड़ता है?
चिंता की वजह से किसी को निम्नलिखित लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे-
- सांस फूलना
- मुंह सूखना
- हाथों या पैरों का ठंडा होना, पसीना आना, सुन्न हो जाना
- शांत और स्थिर रहने में दिक्कत
- नींद से जुड़ी समस्या
- डर और असहज होना
- मसल्स में तनाव आना
- चक्कर आना
- तेज और असामान्य धड़कन
- ध्यान न लगा पाना
- चिड़चिड़ापन
- शरीर में कंपन, आदि
ध्यान रखें कि, यह जरूरी नहीं कि सभी व्यक्तियों में चिंता की वजह से एक जैसे लक्षण दिखाई दें। विभिन्न व्यक्तियों में चिंता के विभिन्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा, यह भी जरूरी नहीं कि, सभी में ऊपर बताए गए सभी लक्षण दिखाई दें, इनमें से एक या दो लक्षण या फिर इनसे अलग कुछ लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर, आपके मन में चिंता से जुड़े लक्षणों के बारे में कोई सवाल या शंका है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
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कारण
चिंता होने के पीछे कौन-से कारण होते हैं?
चिंता होने के पीछे के कारणों के बारे में शोधकर्ताओं के पास अभी तक कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है। लेकिन, फिर भी अन्य मानसिक समस्याओं की तरह ही उन्होंने कुछ व्यवहारिक, जेनेटिक, व्यक्तिगत, वातावरण से जुड़े या फिर सामाजिक बदलावों को इसके पीछे की वजह माना है। जैसे-
- कार्यक्षेत्र, रिश्तों या फिर घर से जुड़ी समस्याएं
- किसी क्रॉनिक बीमारी की वजह से स्वास्थ्य के प्रति चिंता
- घर में किसी से अनुवांशिक रूप से मिली ओवरथिंक करने की समस्या, आदि
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निदान
चिंता का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं?
चिंता का वास्तविक रूप से पता करने के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं है। हां, आपका डॉक्टर आप में दिख रहे लक्षणों के पीछे किसी बीमारी की आशंका को खत्म करने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट या किसी अन्य टेस्ट की सहायता ले सकता है। इसके अलावा, वह आपके द्वारा महसूस की जा रही भावनाओं और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता लगाने की कोशिश करता है। अगर वह किसी भी तरह की निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाता है, तो वह आपको किसी मनोचिकित्सक के पास भेज सकता है, जो कुछ सवालों और टूल्स की मदद से आपके एंजायटी डिसऑर्डर का पता लगा सकते हैं।
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नियंत्रण और सावधानी
चिंता को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं?
चिंता को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में निम्नलिखित बदलावों की सहायता ली जा सकती है। जैसे-
- चिंता की वजह से आपकी नींद लेने के व्यवहार में समस्या आ सकती है। इसलिए, पर्याप्त व अच्छी नींद लेने के लिए अपने सोने का टाइम फिक्स रखें। रात को सोने से ठीक पहले गैजेस्ट का उपयोग न करें।
- कॉफी, चाय, कोला, एनर्जी ड्रिंक या चॉकलेट जैसे कैफीनयुक्त पदार्थों का सेवन करने से बचें। ऐसा करना आपके चिंता के लक्षणों को गंभीर बना सकता है।
- स्वस्थ व पौष्टिक आहार का सेवन करें। इससे आपका शरीर और दिमाग स्वस्थ रहेगा।
- एक्सरसाइज करें, जिससे आपके शरीर और दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और तनाव आदि से लड़ने में मदद मिलती है।
- मेडिटेशन करने से हमारी एकाग्रता मजबूत होती है और दिमाग को सही जगह फोकस करने में आसानी होती है।
- धूम्रपान या शराब का सेवन न करें।
- इसके अलावा, आप खुद ही चिंता को जन्म देने वाले कारणों की पहचान करें और जितना हो सके उनसे दूर रहने की कोशिश करें, इससे काफी सहायता मिलती है।
- अपने करीबी लोगों, दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ बात करें जिनके साथ आपको बात करना अच्छा लगता है।
यहां बताए गए जीवनशैली के बदलावों से प्रभाव जरूर पड़ता है, लेकिन यह चिकित्सीय सहायता का विकल्प नहीं है। अगर, आपको इन तरीकों से आराम नहीं मिल रहा है, तो किसी डॉक्टर की मदद जरूर लें।
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उपचार
चिंता का इलाज कैसे किया जाता है?
चिंता का इलाज न किया जाए तो यह डिप्रेशन का कारण भी बन सकती है। इसलिए, समय पर इसे नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। चिंता का इलाज करने के लिए डॉक्टर जीवनशैली में कुछ बदलावों की सलाह के साथ निम्नलिखित तरीके अपना सकता है। जैसे-
दवाओं का सेवन
कुछ एंटीडिप्रेसेंट दवाएं एंजायटी डिसऑर्डर में भी प्रभावशाली होती हैं, जैसे लेक्साप्रो या प्रोजैक। इसके अलावा, एंटीडिप्रेसेंट, ट्राइसाइक्लिक , बेंजोडायजेपाइन या बीटा-ब्लॉकर्स मेडिसिन का सेवन करने की भी सलाह दी जा सकती है।
साइकोथेरिपी
साइकोथेरिपी एक काउंसलिंग होती है, जो कि आपकी मानसिक समस्या के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रिया पर केंद्रित होती है। इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी भी शामिल होती है, जिसमें आपको एंजायटी/चिंता के कारणों या विचारों को मैनेज करना सीखाया जाता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।