परिभाषा
जब इम्यून सिस्टम (Immune system) गलती से खुद ही शरीर के अंगों और ऊतकों पर हमला बोल देता है तो शरीर में विभन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इसे ही ऑटोइम्यून डिजीज कहते हैं। ये स्थिति सुनने में थोड़ी सी अजीब लग सकती है क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली जो शरीर की रक्षा करती है, उल्टा शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाओं पर हमला कर देती है।
इम्यून सिस्टम का काम
प्रतिरक्षा प्रणाली या हमारा इम्यून सिस्टम आमतौर पर बैक्टीरिया और वायरस से शरीर को बचाता है। रक्षा करने के लिए इम्यून सिस्टम कोशिकाओं की एक सेना भेजती है। यह प्रणाली मुख्य रूप से फॉरेन सेल और खुद के सेल के बीच अंतर करना जानती है लेकिन इस बीमारी की स्थिति में ये अच्छी कोशिकाओं को घायल करना शुरू कर देती है। ये ऑटोएंटीबॉडीज नाम की प्रोटीन रिलीज करती है जो हेल्दी सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ ऑटोइम्यून डिजीज किसी एक ऑर्गन को ही हार्म करते हैं। टाइप 1 डायबिटीज पैन्क्रियाज को क्षति पहुंचाती है और ल्युपस (lupus) रोग पूरा बॉडी को प्रभावित करता है।
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ऑटोइम्यून डिजीज के उदाहरणों में शामिल हैं,
रुमटॉएड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis):
प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का उत्पादन करती है जो जोड़ों की लाइनिंग से जुड़ी होती है। प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं जोड़ों पर हमला करती हैं जिससे वजह से सूजन और दर्द की समस्या उत्पन्न होती है। यदि उपचार न किया जाए तो रुमटॉएड अर्थराइटिस ज्वाइंट को परमानेंट डैमेज कर देता है। इसके उपचार के लिए ओरल मेडिसिन या इंजेक्शन दिए जाते हैं।
सिस्टमेटिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Lupus):
ल्यूपस के कारण ऑटोइम्यून एंटीबॉडी विकसित होती है। ये पूरे शरीर में ऊतकों से जुड़ सकते हैं। ल्यूपस में आमतौर पर जोड़ों, फेफड़े, रक्त कोशिकाओं, नसों और किडनी को प्रभावित करता है। उपचार के तौर पर अक्सर डेली ओरल प्रेडनिसोन की जरूरत होती है। स्टेरॉयड प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य को कम करता है।
बाउल डिजीज (IBD):
प्रतिरक्षा प्रणाली आंतों के लाइनिंग में हमला करती है, जिससे दस्त, गुदा से खून आने जैसी समस्याएं होती हैं। पेट में दर्द, बुखार और वजन कम होना आदि समस्याएं शुरू हो जाती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग, आईबीडी के दो प्रमुख रूप हैं। ओरल और इंजेक्टेड इम्यून-सप्रेसिंग मेडिसिन आईबीडी का इलाज कर सकती हैं।
मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis):
प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला करती है, जिसके कारण दर्द, अंधापन, कमजोरी, खराब कॉर्डिनेशन और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या हो सकती है। विभिन्न दवाएं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाती हैं उनका उपयोग मल्टीपल स्क्लेरॉसिस के इलाज के लिए किया जा सकता है।
टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस ( Type 1 diabetes mellitus):
प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी अग्न्याशय (Pancreas) में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करती हैं और उन्हें नष्ट कर देती हैं। युवावस्था में, टाइप-1 मधुमेह वाले लोगों को जीवित रहने के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
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ऑटोइम्यून डिजीज कितना आम हैं?
ऑटोइम्यून डिजीज पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को लगभग 2: 1 की दर से ऑटोइम्यून बीमारियां होती हैं।आप मान सकते हैं कि यदि 6.4 प्रतिशत महिलाएं पीड़ित होंगी तो पुरुषों का प्रतिशत 2.7 होगा। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
लक्षण
ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases) के लक्षण क्या हैं?
ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षण
- थकान
- एची मसल्स(Achy muscles)
- सूजन और लालिमा
- लो ग्रेड फीवर
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- हाथों और पैरों में झुनझुनी
- बाल झड़ना
- त्वचा के चकत्ते पकड़ना
शरीर के हिसाब से व्यक्ति में दूसरे लक्षण भी दिखाई पड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, टाइप 1 मधुमेह में अत्यधिक प्यास लगना, वजन घट जाना और थकान की समस्या होती है। IBD में पेट दर्द, सूजन और दस्त की समस्या होती है।
ऑटोइम्यून डिजीज जैसे सोरायसिस या RA में लक्षण आते हैं और फिर चले जाते हैं। जब लक्षण दिखना बंद हो जाते हैं तो इस स्थिति को रीमिशन(Remissions)कहा जाता है।
ऊपर दिए गए कुछ लक्षण शायद आपको न महसूस हो। अगर आपको किसी लक्षण के बारें में जानकारी चाहिए तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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मुझे अपने डॉक्टर को कब देखना चाहिए?
आपको बीमारी का कोई भी संकेत महसूस हो तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग तरह से कार्य करता है। डॉक्टर के साथ चर्चा करके आपके स्थिति का सही अंदाजा लगा सकते हैं।
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कारण
ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases) का कारण क्या है?
- डॉक्टर्स अब इसका सटीक कारण नहीं जानते हैं। फिर भी ऐसा मत है कि कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में ऑटोइम्यून बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis) और ल्यूपस(Lupus) जैसे कुछ ऑटोइम्यून रोग परिवारों में लंबे समय से चलते आ रहे हैं। जरूरी नहीं कि परिवार के हर सदस्य को एक ही बीमारी हो, लेकिन वो इस बीमारी को इनहेरिट करते हैं।
- ऑटोइम्यून बीमारियों की घटना बढ़ने की वजह से शोधकर्ताओं को पर्यावरणीय कारकों पर संदेह जताया है। कुछ रसायनों या सॉल्वैंट्स में संक्रमण के कारण जोखिम बढ़ रहा है।
- वेस्टर्न फूड को भी इसका कारण माना जा सकता है। हाई फैट, हाई शुगर और हाई प्रोसेस्ड फूड खाने से सूजन की समस्या बढ़ जाती है। ये इम्यून रिस्पॉन्स को बंद कर सकता है। ये बात अब तक साबित नहीं हो पाई है।
एक और थ्योरी के अनुसार, इसे हाइजीनिक हाइपोथिसस कहा जाता है। टीकों और एंटीसेप्टिक्स की वजह से कीटाणु बच्चों के पास नहीं पनप पाते है। इस कारण भी बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया है।
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रिस्क फैक्टर
ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases) बीमारियों के लिए कई जोखिम कारक हैं जैसेः
- महिला लिंग
- यंग टू मिडिल एज
- अफ्रीकी -अमेरीकन, अमेरिकन-इंडियन या Latino ethnicity
- ऑटोइम्यून विकारों का पारिवारिक इतिहास
- पर्यावरण एजेंट के लिए एक्सपोजर
- कोई पुराना इंफेक्शन
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निदान और उपचार
प्रदान की गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases) का निदान कैसे किया जाता है?
किसी एक परीक्षण से इस बीमारी का निदान नहीं किया जा सकता है। आपका डॉक्टर निदान करने के लिए कुछ टेस्ट कर सकता है।
एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट (ANA)
एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट पहला टेस्ट होता है जो डॉक्टर बीमारी का पता लगते ही करते हैं। पॉजिटिव टेस्ट का मतलब है कि आपको इनमें से एक बीमारी है। लेकिन टेस्ट में ये नहीं पता चलता है कि आपको कौन सी बीमारी है। आपका डॉक्टर शरीर में बीमारियों के कारण होने वाली सूजन की जांच करने के लिए टेस्ट भी कर सकता है।
ऑटोइम्यून डिजीज का इलाज कैसे किया जाता है?
ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज नहीं कर सकते हैं, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सूजन को कम कर सकते हैं। इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में शामिल हैं:
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) जैसे आईबूप्रोफेन (मोट्रिन, एडविल) और नेप्रोक्सन (नेप्रोसिन)
- इम्यून-सप्रेसिंग ड्रग्स
- दर्द, सूजन, थकान और त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षणों से राहत के लिए भी दवा उपलब्ध है।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
ऑटोइम्यून डिजीज के लिए घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव लाभकारी होंगे ?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको ऑटोइम्यून बीमारी से निपटने में मदद कर सकते हैं,
- संतुलित आहार लें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
यदि आपके कोई प्रश्न हैं तो बेहतर समाधान के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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