परिचय
बेकर सिस्ट क्या है?
बेकर सिस्ट को पोपलाइटल सिस्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह पोपलाइटल की जगह पर होने वाली सूजन है। पोपलाइटल घुटने के पीछे की जगह को कहते हैं। बेकर सिस्ट होने पर घुटनों में कठोरता आ जाती है और घुटने में दर्द होता है। सिस्ट गांठ को कहते हैं जो घुटने में दर्द का कारण बनती है। ऐसे में मरीज घुटने मोड़ने या पैर को सीधे फैलाने में असमर्थ होता है।
जब किसी को गठिया की समस्या होती है तो घुटने में बहुत अधिक तरल पदार्थ पैदा होता है जो बेकर सिस्ट का निर्माण कर देता है। इलाज के बाद ये समस्या ठीक हो सकती है। बेकर सिस्ट से कोई बीमारी लंबे समय तक नहीं होती है। बेकर सिस्ट आमतौर पर उन महिलाओं को होता है जिनकी उम्र 40 पार होती है।
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लक्षण
बेकर सिस्ट के लक्षण क्या हैं?
- बेकर सिस्ट से घुटनों के पीछे की ओर सूजन आ जाती है। इन सिस्ट में द्रव भरा होता है।
- बेकर सिस्ट अक्सर गठिया के परिणामस्वरूप होता है।
- बेकर सिस्ट के लक्षणों में दर्द और कठोरता के साथ घुटने को मोड़ पाना, हिला पाना, स्ट्रेच कर पाना या दबा पाना मुश्किल होता है।
- कभी—कभी पूरे पैर में भी सूजन हो जाती है।
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कारण
बेकर सिस्ट के कारण क्या हैं?
घुटनों में साइनोविअल नाम का एक तरल पदार्थ होता है, जिससे घुटनों को मोड़ने, हिलाने और सुचारू रूप से चलने में मदद होती है। साथ ही यह घुटनों के बीच होने वाले घर्षण को कम करता है। कभी-कभी घुटने बहुत अधिक साइनोविअल द्रव का उत्पादन करते हैं, जिसके चलते घुटने के पीछे के हिस्से में बेकर सिस्ट हो जाती है। यही बेकर सिस्ट की बीमारी कहलाती है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं:
- गठिया होने पर भी बेकर सिस्ट हो जाती है। इससे पैरों और घुटनों में सूजन बनी रहती है।
- गाउट भी बेकर सिस्ट होने का एक कारण है। यह भी गठिया का एक प्रकार होता है। इससे खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और बेकर सिस्ट का निर्माण हो जाता है।
- घुटने पर किसी तरह की चोट लगने पर भी बेकर सिस्ट की समस्या होती है।
- कभी—कभी बेकर सिस्ट घुटनों के अंदर ही फट जाती है और उससे तरल पदार्थ लीक होना शुरू हो जाता है।
- ऐसा होने से घुटनों में तेज दर्द होता है।
- सूजन हो जाती है।
- घुटनों के आस—पास लालिमा बनी रहती है और घुटनों में ऐसा महसूस होता है जैसे पानी भरा हो।
- ऐसे लक्षण दिखाई देने पर समस्या गंभीर हो जाती है। साथ ही नसों में खून के थक्के भी जम सकते हैं।
- हेमोफिलिया एक वंशानुगत बीमारी है जिसमें खून का थक्का नहीं बनता है और शरी के अंदर होने वाली ब्लीडिंग घुटनों को नुकसान पहुंचाती है।
- ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- सेप्टिक गठिया से भी बेकर सिस्ट का निर्माण होता है। यह बीमारी जीवाणुओं के संक्रमण से होती है।
- घुटने में अगर गहरी चोट लगती है तो भी बेकर सिस्ट बनते हैं। ऐसा अक्सर एथलीट में देखा गया है।
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परीक्षण
बेकर सिस्ट का परीक्षण कैसे होता है?
- सबसे पहले डॉक्टर आपके घुटने की जांच करेंगे। सूजन होने पर वो ये पता लगाएंगे कि सिस्ट छोटी है या बड़ी है। साथ ही वे स्वस्थ पैर से प्रभावित पैर की तुलना भी कर सकते हैं। अगर सिस्ट का आकार तेजी से बढ़ रहा है या तेज दर्द के साथ बुखार भी है तो डॉक्टर आपको इमेजिंग टेस्ट करवाने की सलाह देंगे।
- इमेजिंग टेस्ट में एमआरआई या अल्ट्रासाउंड हो सकता है। एमआरआई टेस्ट से सिस्ट की जांच अच्छे से हो पाएगी। इससे तस्वीरें साफ आती हैं। सिस्ट का आकार देखकर डॉक्टर आपको बताएंगे कि इससे घुटने को कोई नुकसान होगा या नहीं।
- इस टेस्ट से ये भी पता चल जाएगा कि सिस्ट कहीं ट्यूमर में तो नहीं बदल गई है या कोई अन्य परेशानी है तो उसका भी पता चल जाएगा।
- बेकर सिस्ट एक्स रे कराने से नहीं दिखती है। इससे डॉक्टर सिर्फ सूजन और गठिया जैसी समस्या का ही पता लगा सकते हैं।
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इलाज
बेकर सिस्ट का इलाज क्या है?
बेकर सिस्ट के ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इसके इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। यह अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि सूजन बढ़ने से भयानक दर्द होता है, जिसका इलाज करवाना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर आपका निम्नलिखित तरीकों से इलाज कर सकते हैं।
सिस्ट के तरल पदार्थ को बाहर निकालना
आपका डॉक्टर घुटने के जोड़ में एक इजेक्शन डालेगा और सिस्ट के तरल पदार्थ को बाहर निकाल देगा। इसके लिए अल्ट्रासाउंड की मदद ले सकते हैं जिससे सिस्ट वाली जगह को देखा जा सके।
फिजिकल थेरेपी
डॉक्टर आपको नियमित रूप से करने के लिए कुछ व्यायाम और थेरेपी बताएंगे। व्यायाम से मरीज को आराम मिल सकता है। इससे आप अपने घुटनों और आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बना सकते हैं। साथ ही वे ये भी कह सकते हैं कि चलते समय बैसाखी का उपयोग करें। इससे दर्द कम होगा। डॉक्टर आपको दर्द कम करने के लिए बर्फ से सिकाई करने के लिए भी कह सकते हैं।
दवाइयों का प्रयोग
डॉक्टर आपको कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा जैसे कि कोर्टिसोन दे सकता है। डॉक्टर इस दवा को आपके शरीर में इंजेक्ट करेगा जिससे घुटनों की सिस्ट गलने लगेगी। साथ ही इससे दर्द भी कम होगा। लेकिन यह हमेशा कारगर नहीं होता है।
इलाज करते समय डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते हैं कि सिस्ट फिर से ना हो जाए। इलाज के बाद कुछ समय तक सिस्ट की जांच नहीं करते हैं। धीरे—धीरे वो गलती जाती है और समस्या खत्म होने लगती है। अगर इलाज के बाद भी सिस्ट नहीं गलती तो डॉक्टर मरीज को सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
अगर आपको गठिया की वजह से बेकर सिस्ट हुई तो डॉक्टर सिस्ट से पहले गठिया का इलाज करते हैं। अगर सिस्ट की वजह से दर्द होता है तो वे दर्द की दवा दे सकते हैं। गठिया का इलाज होने पर सिस्ट अपने आप की खत्म हो जाती है। अगर सिस्ट होने के बाद मरीज अपने पैर को हिलाने—डुलाने में असमर्थ होते हैं तो भी डॉक्टर सर्जरी करवाने को कह सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।