के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
नाइट टेरर की समस्या बच्चों में देखी जाती है। नाइट टेरर (Night Terror) में बच्चे सोते समय जोर-जोर से चीखते हैं, डरते हैं और रोने लगते हैं। ऐसे में बच्चे को बहुत पसीना (Sweating) आता है, सांस तेज हो जाती है और घबराहट महसूस होती है। जब आप बच्चे को पकड़ने की कोशिश करते हैं तो वो आपको धक्का दे सकते हैं। ऐसा उनके साथ बार-बार होता है। आमतौर पर 3 से 12 साल के उम्र के बच्चों में ये बीमारी देखी जाती है। कुछ नए मामलों में ये समस्या 3 साल के उम्र के बच्चों में ज्यादा दिखने लगी है।
नींद (Sleep) के दो मुख्य प्रकार होते हैं। पहला रैपिड आई मूवमेंट (REM) और दूसरा नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (नॉन-आरईएम)। नाइट टेरर नॉन रैपिड आई मूवमेंट के समय होता है। नाइट टेरर (Night Terror) बच्चे के सो जाने के 90 मिनट बाद शुरू होता है। 100 में से लगभग 1 से 6 बच्चों में नाइट टेरर होता है। इस बीमार को स्लीप टेरर भी कहा जाता है। बच्चों के अलावा यह लड़के-लड़कियों दोनों को होता है।
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नाइट टेरर करीब 45 मिनट तक परेशान कर सकता है। कुछ बच्चे नाइट टेरर के तुरंत बाद गहरी नींद में सो जाते हैं क्योंकि वास्तव में वो नींद में ही ये सब महसूस करते हैं। नाइटमेयर (Nightmare) यानी किसी सपने की तरह नाइट टेरर भी याद नहीं रहता है। स्लीप टेरर (Sleep Terror) को पैरासोमनिया (Parasomnia) माना जाता है। यह नींद के दौरान होने वाली घटना है। ज्यादा बार नाइट टेरर होना खतरे का कारण बन सकता है। इससे बच्चे या वयस्क पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। इसका इलाज करवाना जरूरी होता है।
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नाइट टेरर बुरे सपनों जैसे बिलकुल नहीं होते हैं। बुरे सपने कभी-कभी याद रहते हैं और सुबह उठकर लोग उसके बारे में बात करते हैं, लेकिन जो व्यक्ति नाइट टेरर से जूझता है वो पूरी तरह से नींद में होता है। बच्चों को आमतौर पर सुबह नाइट टेरर के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता है। वयस्कों को नाइट टेरर (Night Terror) के दौरान आने वाले बुरे सपने (Bad dream) याद रह सकते हैं। कुछ लोग नाइट टेरर के दौरान नींद में चल भी सकते हैं। स्लीप टेरर (Sleep Terror) या नाइट टेरर के दौरान एक व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:
रात को डर क्यों लगता है इसका कारण पता लगाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति नींद ना पूरी होने या ज्यादा तनाव लेने की वजह से होती है। घर में बच्चे अगर लड़ाई-झगड़ा देखते हैं तो इसका उनके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। जिससे वो तनाव (Stress) में आ जाते हैं और सोते समय उस डर (Fear) को महसूस करते हैं। इसके अलावा नाइट टेरर (Night Terror) के कुछ अन्य कारण भी हैं। जैसे:
बचपन में नाइट टेरर की समस्या (Night Terror problem) अपरिपक्व तंत्रिका तंत्र की वजह से हो सकती है। अगर ऐसा बार-बार होता है तो बच्चे बिना वजह किसी से भी लड़ाई-झगड़ा कर सकते हैं। अगर बच्चे किसी अपरिचित जगह पर रात बिताते हैं तो उन्हें रात में डर लग सकता है। आमतौर पर बिना किसी इलाज के ही ये बीमारी ठीक हो जाती है। हालांकि, कई बार बच्चे को डॉक्टर को दिखाने की जरूरत पड़ती है। अगर इस तरह के लक्षण दिखें तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें:
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आमतौर पर नाइट टेरर को ठीक करने के लिए दवा की आवश्यकता नहीं होती है। अगर नाइट टेरर (Night Terror) बच्चों के लिए हानिकारक नहीं लग रहे हैं तो डरने की जरूरत नहीं है। ये अपने आप ही आना बंद हो जाते हैं। बच्चे का हाथ पकड़ें और उससे धीरे-धीरे बात करें। इससे नाइट टेरर खत्म हो जाएगा।
उपचार की आवश्यकता तभी होती है जब यह मरीज या उसके परिवार पर नकारात्मक प्रभाव (Negative Impact) डालने लगते हैं। ये समस्या बढ़ती है तो मरीज के काम करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है।
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मानसिक बीमारी (Mental illness) : मरीज को स्लीप एप्निया (Sleep apnea) या कोई मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसलिए डॉक्टर इसका इलाज करते हैं।
नींद में सुधार: यदि नींद ना पूरी होने की वजह से ऐसा होता है तो वातावरण को बदलना चाहिए। जिससे मरीज पूरी नींद ले पाएं।
दवा (Medicine for Night Terror) : इस बीमारी के लिए ड्रग्स का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है, लेकिन बेंजोडायजेपाइन और सेरोटोनिन री-अपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) जैसी दवाएं कुछ मामलों में मदद कर सकती हैं।
तनाव से निपटना: यदि तनाव (Tension) नाइट टेरर का एक कारण है तो थेरिपी की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है।
बच्चे के नाइट टेरर (Night Terror) को देख आप खुद परेशान ना होंं। शांत रहें। कई बार माता-पिता के लिए यह कष्टदायक हो सकते हैं। अपने बच्चे को जगाने की कोशिश न करें। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा खुद को चोट ना पहुंचाए। यदि वह बिस्तर से बाहर निकलने की कोशिश करता है, तो उसे धीरे से रोकें। थोड़े समय के बाद आपका बच्चा खुद ही आराम करने लगेगा और सो जाएगा। यदि आपके बच्चे को नाइट टेरर आते हैं, तो बेबीसिटर्स को जरूर बताएं। साथ ही ये भी बताएं कि ऐसा होने पर वो क्या करें और क्या ना करें। अगर रात में डर लगता है तो डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
इस तरह आप नाइट टेरर (Night Terror) से बच्चे को बचा सकते हैं और समय रहते इसे क़ाबू में कर सकते हैं। ध्यान रहे कि जरूरत पड़ने पर आपको डॉक्टर से सम्पर्क ज़रूर करना चाहिए।
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