परिचय
वातस्फीति (Emphysema) क्या है?
वातस्फीति फेफड़ों की एक स्थिति है, जो सांस लेने की समस्या का कारण बन सकती है। यह क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) है। समय के साथ यह परेशानी और भी गंभीर हो सकती है।
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज वाले अधिकांश लोगों में वातस्फीति और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस दोनों होते हैं, लेकिन इस रोग की स्थिति हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है। जब हम सांस अंदर लेते हैं तो क्षतिग्रस्त एल्वियोली ठीक से काम नहीं करती है और पुरानी हवा फंस जाती है। जिससे ताजी, ऑक्सीजन युक्त हवा के शरीर में प्रवेश के लिए कोई जगह नहीं बचती। वातस्फीति एक अपरिवर्तनीय स्थिति है, इसलिए उपचार का उद्देश्य इसको बढ़ने से रोकना और लक्षणों को कम करना होता है।
और पढ़ें : Lung Cancer : फेफड़े का कैंसर क्या है?
लक्षण
वातस्फीति (Emphysema) के लक्षण? (Symptoms of Emphysema)
वातस्फीति के दो मुख्य लक्षण हैं वो हैं सांस लेने में समस्या और गंभीर खांसी। यह लक्षण शुरुआत में ही दिखाई देने लगते हैं। सांस लेने में समस्या शुरुआत में केवल शारीरिक श्रम करने या थकने पर ही होती है लेकिन धीरे -धीरे यह परेशानी सामान्य रूप से होने लगती है।
वातस्फीति और COPD जैसे रोग समय के साथ बढ़ते हैं, इनमे रोगी को निम्नलिखित लक्षण भी महसूस होने लगते हैं, जैसे :
- लगातार फेफड़ों में इंफेक्शन
- बहुत सारा बलगम आना
- सांस लेते हुए घरघराहट की आवाज़ आना
- थकावट
- ऑक्सीजन की कमी के कारण होंठ या नाखून (Nail) नीले होना, या सायनोसिस होना
- तनाव (Tension)
- सोने में समस्या
- ऑक्सीजन की कमी के कारण सुबह सिरदर्द (Headache), होना
- रात में सांस लेने में ज्यादा परेशानी होना
अन्य स्थितियों में भी आपको वातस्फीति और सीओपीडी के कई लक्षणों जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं, इसलिए चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें : पैरों के लिए लंजेस (lunges) एक्सरसाइज है सबसे बेस्ट !
कारण
वातस्फीति के दो मुख्य कारण (Cause of Emphysema) इस प्रकार हैं:
- धूम्रपान (Smoking): इस रोग का कारण अधिकतर तंबाकू है। हालांकि, डॉक्टरों को भी इस बात की सही जानकारी नहीं है कि धूम्रपान कैसे एयर सैक लाइनिंग को नष्ट करता है, लेकिन अध्ययन के अनुसार जो लोग धूम्रपान नहीं करते, उनकी तुलना में धूम्रपान करने वाले लोगों को यह समस्या अधिक होती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन, अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इस आदत को छोड़ कर आप अपने फेफड़ों को नुकसान से बचा सकते हैं। इसके अलावा अगर आप ऐसे व्यक्तियों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं जो धूम्रपान करते हैं, तो भी आपको यह बीमारी हो सकती है।
- AAT की कमी: अल्फा-1 ऐंटीट्रैप्सिन (AAT) एक प्राकृतिक प्रोटीन (Protein) है, जो मनुष्य के खून में होती है। इसका मुख्य कार्य श्वेत रक्त कोशिकाओं से सामान्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाने से रोकना है। संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर को इन कोशिकाओं की आवश्यकता होती है। अगर आपके शरीर में AAT की कमी है तो श्वेत रक्त कोशिकाएं आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। समय के साथ अधिकतर लोग जिन्हे AAT की कमी होती है, उन्हें वातस्फीति जैसा रोग हो सकता है। अगर आपको यह बीमारी है तो आपको लिवर संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- हवा प्रदूषण : वैज्ञानिकों के अनुसार हवा प्रदूषण भी वातस्फीति का एक कारण हो सकता है।
और पढ़ें : फेफड़ों के बाद दिमाग पर अटैक कर रहा कोरोना वायरस, रिसर्च में सामने आईं ये बातें
जोखिम
वातस्फीति की स्थिति में जोखिम (Risk factor of Emphysema) इस प्रकार हैं:
- धूम्रपान: धूम्रपान करने वाले लोगों में यह रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसा पाया गया है कि वातस्फीति से पीड़ित 75 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं। इसके साथ ही जो लोग धूम्रपान करने वाले लोगों के सम्पर्क में रहते हैं या जिन जगहों पर हवा का प्रदूषण अधिक है, वहां रहने वाले लोगों में भी यह रोग होने की संभावना अधिक होती है।
- उम्र : चालीस साल या इससे अधिक उम्र के लोगों में वातस्फीति के लक्षणों को देखा गया है।
- आनुवंशिकी : इसमें अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन की कमी शामिल है, जो एक आनुवंशिक स्थिति है। इसके अलावा, धूम्रपान करने वाले लोग जिन्हे वातस्फीति रोग है, सीओपीडी के पारिवारिक इतिहास होने पर उन में भी वातस्फीति की संभावना बढ़ जाती है।
इस बारे में एसएल रहेजा अस्पताल, माहिम की सलाहकार चिकित्सक और विशेषज्ञ-आंतरिक चिकित्सा की डॉक्टर परितोष बघेल का कहना है कि यह कार्डिएक टैम्पोनैड एक चिकित्सा आपात स्थिति है, इसलिए इसमें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। कार्डिएक टैम्पोनैड के उपचार के दो उद्देश्य हैं। यह आपके दिल पर पड़ रहे दबाव को दूर करता है और स्थिति का अत्धिक गंभीर होने से पहले इलाज बहुत जरूरी है। प्रारंभिक उपचार में आपके डॉक्टर कुछ बातों को सुनशिचित करेंगे कि डॉक्टर आपके पेरिकार्डियल थैली से तरल पदार्थ निकाल दें। इस प्रक्रिया को पेरीकार्डियोसेंटेसिस कहा जाता है। यदि आपका घाव ताजा है, तो रक्त निकालने या रक्त के थक्कों को हटाने के लिए आपका डॉक्टर एक अधिक आक्रामक प्रक्रिया कर सकते हैं, जिसे थोरैकोटॉमी कहा जाता है। वे आपके दिल पर दबाव को दूर करने में मदद करने के लिए आपके पेरीकार्डियम का हिस्सा निकाल सकते हैं।
और पढ़ें : फेफड़ों का कैंसर था इतना खतरनाक, फिर भी हार नहीं मानी
उपचार
वातस्फीति के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे इसके लक्षण और आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे। इसके बाद आपकी शारीरिक जांच की जायेगी। आपके डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं।
वातस्फीति के लिए टेस्ट (Test for Emphysema)
- इमेजिंग टेस्ट : छाती का एक्स-रे (X-ray) लेकर वातस्फीति का निदान किया जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर यह जान पाएंगे कि आपको सांस लेने में परेशानी होने का सही कारण क्या है।
- कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (CT Scan) स्कैन्स: इसमें अंदरूनी अंगों को अच्छे से देखने के लिए विभिन्न दिशाओं से चित्र लिए जाते हैं। यह टेस्ट भी वातस्फीति के निदान के लिए महत्वपूर्ण है। अगर किसी रोगी के फेफड़ों की सर्जरी करनी हो, तब भी उसे इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जाती है।
- लैब टेस्ट : ब्लड टेस्ट (Blood test) के माध्यम से यह पता किया जाता है कि फेफड़े आपके ब्लडस्ट्रीम से कितनी अच्छी तरह से ऑक्सीजन भेज रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड निकाल रहे हैं।
- लंग फंक्शन टेस्ट : यह टेस्ट बताते हैं कि आपके फेफड़े कितनी हवा अपने अंदर रख सकते हैं और आपके फेफड़ों से कितनी अच्छी तरह से हवा का प्रवाह होता है।
दवाइयां
इस रोग की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर आपको दवाइयां दे सकते हैं, जो इस प्रकार हैं
- ब्रोंकोडाईलेटर्स: इन दवाइयों को लेने से खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है।
- इनहेल्ड स्टेरॉयड: कॉर्टिकोस्टेरॉइड ड्रग्स को एयरोसोल स्प्रे के रूप में इनहेल करके सूजन कम की जा सकती है और इससे सांस की समस्या से भी राहत मिलती है।
- एंटीबायोटिक्स: यदि आपको बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) है, जैसे एक्यूट ब्रोंकाइटिस या निमोनिया (Pneumonia)। तो ऐसे में एंटीबायोटिक्स आपके लिए उपयुक्त हैं।
थेरिपी
- पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन : पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम आपको सांस लेने के व्यायाम और तकनीक सिखा सकता है। जिससे आपको सांस से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
- नुट्रिशन थेरिपी : इसमें आपको नुट्रिशन संबंधी सही सलाह मिलेगी।
- सप्लीमेंटल ऑक्सिजन : अगर आपको गंभीर वातस्फीति की समस्या है और उसके साथ ही लौ ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure) भी है। तो रोजाना घर पर ऑक्सीजन का प्रयोग कर के आपको आराम मिल सकता है। इस बारे में डॉक्टर की सलाह लें।
सर्जरी
वातस्फीति की समस्या की गंभीरता को देखते हुए, डॉक्टर आपको निम्नलखित सर्जरी की सलाह दे सकते हैं :
लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी : इस प्रक्रिया में, सर्जन क्षतिग्रस्त फेफड़े के ऊतकों में होने वाले छोटे घावों को हटा देते हैं। रोगग्रस्त ऊतक को हटाने से बचे हुए फेफड़े के ऊतकों को खुलने और अधिक कुशलता से काम करने में मदद मिलती है और सांस लेने में भी सहायता मिलती है।
लंग ट्रांसप्लांट : लंग ट्रांसप्लांट वो विकल्प है जब आपके फेफड़ों की गंभीर नुकसान हुआ हो और अन्य सभी विकल्प विफल हो गए हों।
और पढ़ें : Kidney transplant : किडनी ट्रांसप्लांट कैसे होता है?
घरेलू उपाय
वातस्फीति के लिए घरेलू उपाय (Home remedies for Emphysema)
- वातस्फीति का मुख्य कारण धूम्रपान या तंबाकू है ऐसी में अगर आप इस रोग से राहत पाना चाहते हैं तो आपको धूम्रपान करना छोड़ना होगा। इसके साथ ही ऐसे लोगों से भी दूर रहें जो धूम्रपान करते हैं।
- वायु प्रदूषण, हानिकारक केमिकल आदि के संपर्क में आने से बचें।
- वातस्फीति का कोई खास इलाज नहीं है। इस बीमारी में समय के साथ रोगी की स्थिति बदतर हो सकती है। लेकिन, आप इस समस्या को बढ़ने से रोक सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर की सलाह मानें। अगर इस रोग के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाये तो ऐसी स्थितियों से बचा जा सकता है जिसमे फेफड़ों और दिल को नुकसान होता है।
- वातस्फीति में राहत पाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है अच्छा खानपान और व्यायाम करना। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह, सही दवाईयों और थेरपी आदि के साथ आप वातस्फीति में भी स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।