के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ऑस्टियोपीनिया हड्डियों से संबंधित एक समस्या है। ऑस्टियोपीनिया में व्यक्ति की हड्डियां कमजोर हो जाती है। आसान भाषा में कहा जा सकता है कि हड्डियों की सघनता कम हो जाती है। अक्सर ऑस्टियोपीनिया 35 साल के उम्र के बाद होता है। ऑस्टियोपीनिया का इलाज अगर समय से नहीं किया गया तो आगे चल कर ऑस्टियोपोरोसिस (Osteopenia) हो जाता है।
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पुरुषों की तुलना महिलाओं को ऑस्टियोपीनिया का ज्यादा शिकार होती हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
ऑस्टियोपीनिया का कोई लक्षण नहीं पता चलता है। हड्डियों (Bone) की सघनता खत्म होने के कारण दर्द (Pain) का एहसास भी नहीं होता। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।
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ऑस्टियोपीनिया अलग-अलग लोगों पर अलग प्रभाव पड़ता है। इसलिए डॉक्टर से बात कर लें।
ऑस्टियोपीनिया होने के कारण हड्डियां पतली होती जाती हैं। हड्डी के पतले होने की प्रक्रिया आधी उम्र के बाद शुरू होती है। इस उम्र में कोशिकाएं शरीर द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं। जिसके कारण हड्डी से मिनरल आदि खोने लगता है। जिससे उसके फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। कभी-कभी ऑस्टियोपीनिया दवाओं आदि के कारण भी हो जाता है।
ऑस्टियोपेनिया (Osteopenia) के जोखिम उन लोगों में ज्यादा होता है जिनके फैमिली में ऑस्टियोपोरोसिस का इतिहास रह चुका हो, हड्डी का फ्रैक्चर, धूम्रपान, संधिशोथ, कोर्टिकोस्टेरोइड (प्रेडनिसोन या प्रेडनिसोन) का उपयोग, महिलाओं में कम एस्ट्रोजन, पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन, कुपोषण की
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ऑस्टियोपीनिया में निम्न रिस्क फैक्टर हैं :
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कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं ऑस्टियोपीनिया का जोखिम और बढ़ा देती हैं :
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प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
ऑस्टियोपीनिया की जांच बॉडी मिनरल डेंसिटी (BMD) के द्वारा किया जाता है। ये टेस्ट नेशनल ऑस्टियोपीनिया फाउंडेशन की तरफ से रिकमंड किया जाता है। जिसमें एक्स-रे (X-ray) एब्सॉर्पटियोमेट्री या डीएक्सए स्कैन (DXA scan) किया जाता है। डीएक्सए स्कैन से नितंब, स्पाइन, कलाई आदि में BMD की जांच की की जाती है। ये सभी अंगों पर बोन फ्रैक्चर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। फ्रैक्चर रिस्क को बताने के लिए BMD सबसे सटीक तरीका है।
डीएक्सए स्कैन दो तरह के रिजल्ट दोता है : टी स्कोर (T Score) और जेड स्कोर (Z Score)। जेड स्कोर की तुलना समान उम्र और लिंग के साथ की जाती है। टी स्कोर की तुलना समान लिंग के 30 साल की उम्र के स्वस्थ व्यक्ति से की जाती है। मानक के आधार पर ही ऑस्टियोपीनिया का रिजल्ट निकाला जाता है।
वहीं, ऑस्टियोपीनिया के लिए अन्य टेस्ट भी होते हैं। जैसे- एक्स-रे एब्सॉर्पटियोमेट्री [X-ray absorptiometry (pDXA)], क्वांटेटिव कंप्यूटेड टोमोग्राफी (QCT), पेरिफेरल क्यूसीटी (pQCT) और क्वांटेटिव अंट्रासाउंड डेंसिटोमेट्री (QUS)। कभी कबार रुटीन एक्स-रे भी ऑस्टियोपीनिया के बारे में बता देता है, जैसे- स्पाइनल ऑस्टियोपीनिया।
ऑस्टियोपीनिया का इलाज इस तरह से किया जाता है कि वह आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस (Osteopenia) न बने। इसके आपके इलाज के साथ डाइट और एक्सरसाइज को भी शामिल किया जाता है। जब आपका BMD लेवल ऑस्टियोपीनिया के बहुत पास होता है तो डॉक्टर किसी भी तरह की दवा नहीं देते हैं। डॉक्टर कैल्शियम और विटामिन-डी (Vitamin-D) के सप्लिमेंट्स को आपके डाइट में शामिल करने के लिए कहते हैं।
ऑस्टियोपीनिया को लाइफस्टाइल में बदलाव और घरेलू उपाय से भी ठीक किया जा सकता है :
कैल्शियम और विटामिन-डी के लिए बिना फैट वाले डेयरी उत्पाद का सेवन करें, जैसे- चीज, दूध और दही। इसके अलावा संतरे का जूस, ब्रेड और फोर्टिफाइड अनाज खाएं। कुछ अन्य भोजन को आप कैल्शियम के लिए खा सकते हैं :
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए आपको एक दिन में लगभग 1200 मिलीग्राम कैल्शियम और 800 आईयू विटामिन डी लेनी चाहिए।
अगर आपको प्रीमीनोपॉज हुआ है तो आपको रोजाना आधे घंटे टहलना, कूदना या दौड़ना चाहिए। ऐसा करने से आपकी हड्डियों में मजबूती आएगी। वेट लिफ्टिंग या घुटने को जमीन पर छूने वाली एक्सरसाइज आप कर सकते हैं। स्वीमिंग और साइकलिंग आपके दिल (Heart) और मांसपेशियों की मजबूती में मदद करेगा। इससे आपका BMD लेवल ठीक रहेगा।
इसके अलावा आप हड्डियों की मजबूती के लिए निम्न एक्सरसाइज कर सकते हैं :
हफ्ते में दो या तीन बार इस एक्सरसाइज को करने से नितंबों में बैलेंस के साथ मजबूती आएगी।
टो एंड हिल रेज (Toe and heel raises)
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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