परिचय
पेरिकार्डिटिस (Pericarditis) पेरिकार्डियम में होने वाली सूजन है। हमारे हृदय के बाहरी भाग में दो परतों वाली एक द्रव से भरी थैली स्थित होती है,जिसे पेरिकार्डियम कहते हैं। इसका मुख्य कार्य हमारे हृदय का आराम देना, संक्रमण से दूर रखना होता है। यदि इन परतों में सूजन होती है, तो इसके परिणामस्वरूप सीने में दर्द हो सकता है।पेरीकार्डियम आपके दिल को आपके चेस्ट की दीवार के अंदर रखने में मदद करता है।
पेरिकार्डिटिस (Pericarditis) क्या है?
जैसा आपको बताया गया है कि, पेरिकार्डिटिस पेरिकार्डियम की सूजन है। यह आपके शरीर में अचानक से विकसित होता है।; कई मामलों में देखा गया है कि पेरिकार्डिटिस अपने आप ही सही हो जाती है। जबकि इसके दोबारा होने की भी संभावना अधिक होती है।कभी-कभी यह बहुत दर्दनाक हो सकता है।यह हफ्ते भर या कई महीनों तक रह सकता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में यह 3 महीने के बाद साफ हो जाती है, लेकिन यह कुछ समय बाद वापस भी शुरु हो जाते हैं। यदि यह अपने आप ठीक हो जाते हैं, तो य़ह दोबारा नहीं होगा इसका कोई सबूत नहीं है। आइए जानते हैं इसके मुख्य कारण क्या है।
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कारण
पेरिकार्डिटिस के कारण क्या हैं? (Pericarditis Causes)
आमतौर पर तो पेरिकार्डिटिस के कारणों के बारें में डॉक्टरों का कहना है कि, कभी-कभी पेरिकार्डिटिस के कोई कारण स्पष्ट नहीं होते हैं। लेकिन आमतौर पर इसके मुख्य कारण इस प्रकार से हो सकते हैं।
- ऑटोइम्यून रोग
- ट्यूमर
- संक्रमण
- रिडिएशन ट्रीटमेंट
- दिल का दौरा
- दिल की सर्जरी
- किडनी खराब
- कुछ आनुवंशिक रोग, जैसे कि पारिवारिक भूमध्य ज्वर
- ट्रामा
- हार्ट अटैक
- एचआईवी
- वायरस
- जीवाणु
- कैंसर
लक्षण
पेरिकार्डिटिस के लक्षण क्या हैं? (Pericarditis Symptoms)
पेरिकार्डिटिस के लक्षण ज्यादातर बहुत दर्दनाक होते हैं। पेरिकार्डिटिस दिल का दौरा पड़ने जैसा महसूस होता है।यह अचानक आते हैं, इसमें आपके चेस्ट में तेज दर्द उठता है। आपके लक्षण इसपर निर्भर करते हैं, कि आपको इस प्रकार का पेरिकार्डिटिस हुआ है।
- यदि किसी संक्रमण के कारण होता है तो इसमें आपको बुखार, ठंड लगना या पसीना आ सकता है।
- इसमें आपके सीने में दर्द लगभग हमेशा बना रहता है।
- गर्दन, कंधे, पीठ, या पेट में आपको दर्द महसूस हो सकता है।
- अक्सर गहरी सांस लेने में दर्द महसूस होता है।
- इसमें निगलने में आपको दर्द होता है।
- बैठने और आगे झुकने या झुकने से राहत मिलती है
-इसके अन्य लक्षणों इस प्रकार से हो सकते हैं।
- चिंता
- लेटने पर सांस लेने में कठिनाई
- टखने, पैर में सूजन
- सूखी खांसी
- थकान
जोखिम
पेरिकार्डिटिस के जोखिम क्या हैं? (Pericarditis Risk factors)
पेरिकार्डिटिस सभीउम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन 20 से 50 वर्ष के पुरुष दूसरों की तुलना में पेरिकार्डिटिस विकसित करने की अधिक संभावना रखते हैं। तीव्र पेरिकार्डिटिस के लिए इलाज करने वालों में, 15 से 30 प्रतिशत लोगों में यह दोबारा होने कि संभावना होती है। यह कभी-कभी बहुत साधारण और कभी-कभी बहुत तीव्र हो सकते हैं।
हृदय तीव्रसम्पीड़न
जब पेरिकार्डियम में बहुत अधिकतरल पदार्थ जमा हो जाता है, तो कार्डिक टैम्पोनैड नामक खतरनाक स्थिति विकसित हो सकती है। अतिरिक्त तरल पदार्थ दिल पर दबाव डालता है और इसे ठीक से भरने की अनुमति नहीं देता है। इसका मतलब है कि कम रक्त हृदय को छोड़ देता है, जो ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ाता है। यदि इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो कार्डियक टैम्पोनैड घातक हो सकते है।
इलाज
पेरिकार्डिटिस का निदान क्या है? (Pericarditis Diagnosis)
पेरिकार्डिटिस का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपके लक्षणों की जांच करते हैं। जिससे वो यह निश्चित कर पाते हैं कि आपको किस प्रकार का पेरिकार्डिटिस हुआ है। इसमें आपसे कई सवाल पूछते हैं जैसे कि आपको कितने समय से समस्या हो रही है। सभी सवालों के बाद डॉक्टर आपके निदान परीक्षण करेगें। जो इस प्रकार से हो सकती है।
शारीरिक परीक्षा (Physical Test)
डॉक्टर इसमें आपके कुछ शारीरिक परीक्षण करते हैं। इसमें वो आपसे कुछ सवाल भी कर सकते हैं जो आपके हृदय से जुड़े होगें।
एक्स-रे (X-ray)
आपके दिल के आकार और आपके फेफड़ों में किसी भी समस्या या तरल पदार्थ को देखने के लिए छाती का एक्स-रे किया जाता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) (ईसीजी या ईकेजी)
आपके हर्ट बीट के देखने के लिए यह परीक्षण किया जाता है।पेरिकार्डिटिस के सभी रोगियों में से लगभग हार्ट बीट चार अलग-अलग पैटर्न के अनुक्रम से गुजरता है। तो वहीं कुछ रोगियों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। यह देखने के लिए कि आपका हृदय कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है और हृदय के चारों ओर द्रव या पेरिकार्डियल बहाव के लिए जांच के लिए किया जाता है।
कार्डियक एमआरआई (Cardiac MRI)
पेरिकार्डियम मेंपेरिकार्डियल सूजन होना या मोटा होना, या दिल के संपीड़न में अतिरिक्त तरल पदार्थ की जांच करने के लिए किया जाता है। गैडोलीनियम नाम के उपकरण से इसका परीक्षण के दौरान किया जाता है।
कैथेटेराइजेशन (Catheterization)
इसका उपयोग कॉन्स्टिटिव पेरिकार्डिटिस के निदान की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।
रक्त परीक्षण का उपयोग (Blood tests)
यह परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि आपको दिल का दौरा नहीं हो रहा है। और आपका दिल कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है।
इलाज
पेरिकार्डिटिस का इलाज क्या है? (Pericarditis treatment)
वैसे तो पेरिकार्डिटिस के कई प्रकार से इलाज किए जा सकते हैं। लेकिन पेरिकार्डिटिस का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। जब इसका कारण ज्ञात हो तो इसका इलाज सही रुप से किया जा सकता है। यदि आपको एक जीवाणु संक्रमण है, तो आपको एंटीबायोटिक दवाएं देकर इलाज किया जाएगा। कई मामलों में देखा गया है कि इसका इलाज दवा से किया जा सकता है।
कोलिसिन
कोलिसिन एक सूजन कम करने वाली दवा है जो आपके लक्षणों को कम करने और पेरिकार्डिटिस को दोबारा होने से रोकने में मदद करती है।
एनएसएआईडी (NSAID)
इसके इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) दर्द और सूजन दोनों के लिए निर्धारित हैं। इनमें इबुप्रोफेन या एस्पिरिन जल्दी राहत प्रदान करते हैं। यदि आपका दर्द बहुत गंभीर है, तो आपका डॉक्टर आपको दूसरी स्ट्रॉंग दवा लिखते है।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroid)
यह बहुत प्रभावी दवा होती है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड पेरिकार्डिटिस के लक्षणों को कम करने में बहुत मददगार होती हैं। लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड के शुरुआती उपयोग से पेरीकार्डिटिसके दोबारा होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए यद बाकी उपचार आपकी मदद कर रहें हो,तो इसके प्रयोग से बचना चाहिए। आमतौर पर एक मूत्रवर्धक (“वाटर पिल्स’) कॉन्स्टिटिव पेरिकार्डिटिस के कारण होने वाले अतिरिक्त तरल पदार्थ से छुटकारा पाने में आपकी मदद करता है।
सर्जरी (Surgery)
आमतौर पर सर्जरी पेरिकार्डिटिस के इलाज के लिए एक आखिरी उपचार माना जाता है। सर्जरी का सुझाव तब दिया जाता है, जब बाकी दवाओं का असर नहीं होता है। तो इसके पश्चात् पेरिकार्डिटिस के लिए सर्जरी का उपयोग किया जाता है। पेरिकार्डिटिस बार-बार होने के कारण भी सर्जरी कि आवश्यकता होती है। पेरिकार्डियम को हटाने को पेरीकार्डिक्टोमी कहा जाता है।
जान लें ये भी
पेरिकार्डिटिस आपको बहुत हल्के बीमारी से हो भी सकता है जो अपने आप ही बेहतर हो जाता है। कभी यह जीवन के लिए खतरनाकभी हो सकता है। इसमें दिल के आसपास द्रव बिल्डअप होकर इसे जटिल कर सकता है। यदि पेरीकार्डिटिस का तुरंत सही समय पर इलाज किया जाए तो इसका परिणाम अच्छा हो सकता है। ज्यादातर लोग 2 सप्ताह से 3 महीने में ठीक हो जाते हैं। वहीं पेरिकार्डिटिस वापस आने कि भी संभावना होती है।
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