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कितना सामान्य है गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या? कब कराना चाहिए इसका ट्रीटमेंट

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/03/2021

    कितना सामान्य है गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या? कब कराना चाहिए इसका ट्रीटमेंट

    गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या काफी आम देखी जाती है। लगभग 70 फीसदी महिलाएं गर्भावस्था में नसों की सूजन का अनुभव करती हैं। वैसे तो यह स्थिति गंभीर नहीं मानी जाती है, लेकिन अगर महिला गर्भावस्था में नसों की सूजन के कारण बहुत ज्यादा दर्द महसूस करती है या उठने-बैठने के दौरान सामान्य से अधिक परेशानी महसूस करती है, तो ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स की समस्या चिंताजनक हो सकती है। जिसका समय पर उपचार कराना बेहद जरूरी हो जाता है।

    गर्भावस्था में नसों की सूजन क्या है?

    गर्भावस्था में नसों की सूजन की स्थिति होने पर गर्भवती महिला की त्वचा से नसें ऊभरी हुई नजर आती हैं, जो गहरे नीले या बैंगनी रंग की होती हैं। ये नसें सामान्य से ज्यादा मोटी हो जाती हैं। गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या आमतौर पर पैरों की टखनियों यानी एंकल और जांघ के निचले हिस्से में अधिक देखा जाता है। इन नसों में सूजन के साथ ही दर्द की भी शिकायत होती है।

    गर्भावस्था में नसों की सूजन इससे भी हो सकती है संबंधित

    सामान्य तौर पर नसें शरीर के सभी हिस्सों का खून दिल तर पहुंचाने का कार्य करती हैं। अपने इस कार्य को करते समय शरीर की कुछ नसों, खासतौर पर टांगों और पैरों की नसों को गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ सकता है। शरीर की नसों में मौजूद वॉल्व खून को उल्टी दिशा में बहने से रोकते हैं। हालांकि, कभी-कभी मोटापे के कारण या बहुत देर तक खड़े रहने के कारण ये वॉल्व कमजोर हो जाते हैं।

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    इसके अलावा नसों के वॉल्व कमजोर होने का कारण आनुवंशिकता भी हो सकता है। अगर इनमें से किसी भी कारण से नसों के वॉल्व कमजोर हो जाते हैं, तो हमारे शरीर के निचले हिस्से, यानी कि टांगों और पैरों में खून का प्रवाह प्रभावित हो जाता है। जिसके कारण यहां पर खून बहुत देर तक जम रह सकते हैं। इसके कारण खून का प्रभाव भी धीमा हो सकता है और स्थिति गंभीर होने पर इन हिस्सों में खून ब्लॉक भी हो जाते हैं। इस वजह से इन हिस्सों का खून दिल तक नहीं पहुंच पाता है और न ही शरीर इन जमा हुए खूनों को फिल्टर कर पाता है। जिसके कारण पैरों की नसे मोटी और ऊभरी हुई नजर आने लगती हैं।

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    गर्भावस्था में नसों की सूजन क्यों होती है, यह कितनी सामान्य है?

    गर्भावस्था में  विभिन्न प्रकार के अवस्थाओं के कारण नसों की सूजन हो सकती हैं। सामान्य तौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक तौर पर कई बदलाव होते हैं, जिनमें से कुछ स्थितियां कई तरह की समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है। जिसकी वजह से नसों के जरिए बहने वाले खून की मात्रा भी अधिक हो जाती है। वहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स का लेवल भी सामान्य से काफी बढ़ जाता है। जिसकी वजह से महिला के शरीर की मांसपेशियां ढ़ीली होने लगती हैं और नसें फैलना शुरू कर देती हैं। जब नसे ज्यादा फैलने लगती हैं, तो नसों के वॉल्वों कमजोर होने लगते हैं। इसके कारण इन नसों का खून दिल तक पहुंचने में बाधित होने लगता है।

    इसके अलावा, गर्भावस्था शुरू होने के बाद के चरणों में गर्भाशय का विकास होता है। इस दौरान नचले वेना-कावा और पैल्विक नसों के कार्य करने की क्षमता भी प्रभावित होती है, जो गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या को बढ़ावा दे सकती हैं। एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान वैरीकोज वेन्स होने की समस्या सबसे आम होती है। हालांकि, अगर प्रेग्नेंसी के दौरान वैरीकोज वेन्स की समस्या गर्भवती महिला की योनि और गुदा के बीच के हिस्से में (जिसे पेरिनियम कहा जाता है) हो, तो आपको डॉक्टर के परामर्श की जरूरत हो सकती है। ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर बच्चे के जन्म तक गर्भवती की हर स्थिति पर नजर रखने की सलाह देते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, करीब 10 फीसदी भारतीय गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान योनि में या इसके आसपास के अंगों में नसों की सूजन की समस्या का अनुभव करती हैं। हलांकि, गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या बच्चे के जन्म के बाद अपने आप सामान्य हो जाती है।

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    गर्भावस्था में नसों की सूजन के लक्षण क्या हैं?

    गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या के लक्षण निम्न हैं, जिनमें शामिल हैंः

    ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण महसूस करने पर आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई बार, गर्भावस्था में नसों की सूजन समस्या गंभीर होने पर डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) की समस्या भी हो सकती है। जिससे बचाव करने के लिए डॉक्टर डॉपलर टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं।

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    डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है?

    डीप वेन थ्रोम्बोसिस यानी डीवीटी एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों में खून का प्रवाह होना बंद हो जाता है, या इन हिस्सों में खून जमना शुरू कर देता है।

    गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या होने पर क्या करें?

    सबसे पहले तो याद रखें कि प्रेग्नेंसी के दौरान वैरिकोज वेन्स की समस्या होना बहुत आम है। इसे लेकर ज्यादा घबराएं नहीं। बस कुछ बातों का ध्यान रखना ही इस समस्या से बचाव का हल हो सकता है।

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    बहुत देर तक खड़े या बैठें न रहें

    अगर आप ऑफिस वर्किंग है, तो जाहिर है कि आपको अपनी डेस्क पर घंटों बैठना होता होगा। या फिर आपको किसी अन्य वजह से भी लंबे समय तक खड़े होना पड़ सकता है। गर्भावस्था में नसों की सूजन से बचने के लिए लंबे समय तक बैठें या खड़े न रहें। हर घंटे थोड़ी-थोड़ी देर का ब्रेक लें और कुछ मिनट तक धीरे-धीरे कदमों से टहलें। इससे पैरों की नसों में खून का प्रबाह बेहतर होगा।

    हाई हील्स पहनने से बचें

    हाई हील्स पैर की मांसपेशियों को काम करने से रोकती हैं और इससे नसों में खून जमा हो सकता है। इसलिए, खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान सिर्फ फ्लैट शूज ही पहनें।

    टाइट लेगिंग या स्टॉकिंग पहनें

    गर्भावस्था में नसों की सूजन से बचने के लिए आप टाइट लेगिंग या स्टॉकिंग पहन सकती हैं। इससे टांगों में खून इकट्ठा होने से रोका जा सकता है। इसके लिए आप मेटरनिटी सपोर्ट टाइट्स भी पहन सकती हैं। हालांकि, इस विकल्प को आजमने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। आप अपने डॉक्टर की सलाह पर कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।

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    पैरों को ऊपर उठाएं

    जब भी लेटें तो कुछ मिनट के लिए अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। ऐसा करने से पैरों की नसों के खून को दिल तक पहुंचने में गुरुत्वाकर्षण का बल कम लगेगा। इसके अलावा पैरों के नीचें दो से तीन तकिए का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

    नमक कम खाएं

    अधिक मात्रा में नमक खाने से रक्त वाहिकाओं में अधिक तरल पदार्थ बनता है, जिससे नसों में दबाव बढ़ सकता है। इसके कारण आपके पैरों के टिश्यू से अधिक द्रव बाहर निकल सकता है जिसके कारण पैर या टखने में सूजन की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए कम से कम मात्रा में नमक का सेवन करें और पानी की उचित मात्रा पीएं।

    बैठने की आदत बदलें

    बहुत से लोग बैठने के दौरान पैरों को क्रास करके यानी एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रख कर बैठते हैं। जबकि, स्वास्थ्य के लिहाज से ऐसा नहीं करना चाहिए। इस आदत से पैरों में खून का प्रवाह बाधित हो सकता है, जिसके कारण पैर सुन्न भी हो जाते हैं। इसलिए जब भी बैठे दोनों पैरों को सीधा ही रखें। आप चाहें तो पैर के पंजों को क्रास करके बैठ सकते हैं। साथ ही, थोड़ी-थोड़ी देर पर पैर के पंजों को सर्कल में घुमाते भी रहें। इससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है।

    खुजली न करें

    अगर गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या के दौरान इनमें खुजली होती है, तो ऐसा न करें। खुजली करने से समस्या अधिक बढ़ सकती है और इंफेक्शन होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है।

    अगर बच्चे के जन्म के बाद भी नसों में सूजन की समस्या ठीक नहीं होती है, तो क्या करें?

    सामान्य तौर पर शिशु के जन्म के तीन से चार महीने में वैरिकोज वेन्स की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। इसके लिए किसी तरह के खास उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। अगर बच्चे के जन्म के बाद नसों की सूजन की समस्या बढ़ती है, तो अपने डॉक्टर से इसके उपचार के बारे में बात करें। इसके लिए काफी सारे उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें केमिकल इंजेक्शन, ऑपरेशन, रेडियोथेरिपी या लेजर ट्रीटमेंट जैसे विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा आप कॉस्मेटिक सर्जरी का विकल्प भी चुन सकते हैं। साथ ही, आपके डॉक्टर आपकी स्थिति और लक्षणों को देखते हुए आपको एंडोवीनस लेजर एब्लेशन ट्रीटमेंट या स्क्लेरोथेरिपी जैसी विधियों की भी सलाह दे सकते हैं। अन्य उपचार की विधियों के मुताबले यह कम दर्द वाले होते हैं।

    डिस्क्लेमर

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