जब भी लेटें तो कुछ मिनट के लिए अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। ऐसा करने से पैरों की नसों के खून को दिल तक पहुंचने में गुरुत्वाकर्षण का बल कम लगेगा। इसके अलावा पैरों के नीचें दो से तीन तकिए का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
नमक कम खाएं
अधिक मात्रा में नमक खाने से रक्त वाहिकाओं में अधिक तरल पदार्थ बनता है, जिससे नसों में दबाव बढ़ सकता है। इसके कारण आपके पैरों के टिश्यू से अधिक द्रव बाहर निकल सकता है जिसके कारण पैर या टखने में सूजन की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए कम से कम मात्रा में नमक का सेवन करें और पानी की उचित मात्रा पीएं।
बैठने की आदत बदलें
बहुत से लोग बैठने के दौरान पैरों को क्रास करके यानी एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रख कर बैठते हैं। जबकि, स्वास्थ्य के लिहाज से ऐसा नहीं करना चाहिए। इस आदत से पैरों में खून का प्रवाह बाधित हो सकता है, जिसके कारण पैर सुन्न भी हो जाते हैं। इसलिए जब भी बैठे दोनों पैरों को सीधा ही रखें। आप चाहें तो पैर के पंजों को क्रास करके बैठ सकते हैं। साथ ही, थोड़ी-थोड़ी देर पर पैर के पंजों को सर्कल में घुमाते भी रहें। इससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है।
खुजली न करें
अगर गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या के दौरान इनमें खुजली होती है, तो ऐसा न करें। खुजली करने से समस्या अधिक बढ़ सकती है और इंफेक्शन होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है।
अगर बच्चे के जन्म के बाद भी नसों में सूजन की समस्या ठीक नहीं होती है, तो क्या करें?
सामान्य तौर पर शिशु के जन्म के तीन से चार महीने में वैरिकोज वेन्स की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। इसके लिए किसी तरह के खास उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। अगर बच्चे के जन्म के बाद नसों की सूजन की समस्या बढ़ती है, तो अपने डॉक्टर से इसके उपचार के बारे में बात करें। इसके लिए काफी सारे उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें केमिकल इंजेक्शन, ऑपरेशन, रेडियोथेरिपी या लेजर ट्रीटमेंट जैसे विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा आप कॉस्मेटिक सर्जरी का विकल्प भी चुन सकते हैं। साथ ही, आपके डॉक्टर आपकी स्थिति और लक्षणों को देखते हुए आपको एंडोवीनस लेजर एब्लेशन ट्रीटमेंट या स्क्लेरोथेरिपी जैसी विधियों की भी सलाह दे सकते हैं। अन्य उपचार की विधियों के मुताबले यह कम दर्द वाले होते हैं।