परिचय
अंडकोष में दर्द (Testicular Pain) क्या है?
अंडकोष दो वृषणों यानी टेस्टिस से मिलकर बना है और इसे अंग्रेजी में टेस्टिकल्स कहते हैं, जो कि मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का हिस्सा होता है। इसका कार्य वीर्य और टेस्टोस्टेरोन नामक मेल हॉर्मोन का उत्पादन करना होता है। वृषणों का आकार अंडे की तरह होता है, जिन्हें बाहर से स्क्रॉटम यानी अंडकोष की थैली सुरक्षा प्रदान करती है। इस अंग में दर्द या असहजता होना अंडकोष में दर्द कहलाता है, जो कि एक्यूट (कुछ समय के लिए) और क्रॉनिक (लंबे समय तक) हो सकता है। यह दर्द किसी बीमारी व चोट के कारण हो सकता है। इसके अलावा, अंडकोष की समस्या के कारण अंडकोष में पेन होने से पहले आपको पेट दर्द या ग्रोइन पेन का सामना भी करना पड़ सकता है।
और पढ़ें : Vertigo : वर्टिगो क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
लक्षण
अंडकोष में दर्द के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Testicular Pain)
- स्क्रॉटम में उभार महसूस होना
- स्क्रॉटम पर लालिमा आना
- छूने पर स्क्रॉटम गर्म लगना या उसकी त्वचा संवेदनशील होना
- स्क्रॉटम में सूजन
- टेस्टिकल्स में सूजन
- जी मिचलाना
- उल्टी आना
- पेट में दर्द
- ग्रोइन एरिया में दर्द
- पेशाब में खून आना
- किसी एक टेस्टिकल की स्थिति या पोजिशन में बदलाव
आप ध्यान रखें कि, यह बिल्कुल जरूरी नहीं कि हर किसी में अंडकोष में दर्द (Testicular Pain) की वजह से या उसके साथ एक जैसे लक्षण दिखाई दें। विभिन्न व्यक्तियों में इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा, यह भी ध्यान रखें कि, सभी में ऊपर बताए गए सभी लक्षण दिखाई देना जरूरी नहीं है, इनमें से एक या दो लक्षण या फिर इनसे अलग कुछ लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर, आपके मन में टेस्टिकुलर पेन से जुड़े लक्षणों के बारे में कोई सवाल या शंका है, तो अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।
और पढ़ें : Anal Fistula : भगंदर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
कारण
टेस्टिकुलर पेन के क्या कारण होते हैं? (Cause of Testicular Pain)
किसी चोट व क्षति आदि के कारण टेस्टिकल में दर्द (Testicular Pain) हो सकता है। लेकिन, इसके अलावा यह किसी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या की वजह से भी हो सकता है, जिसे इलाज की जरूरत हो। जैसे-
- टेस्टिकुलर टॉर्जन के कारण भी अंडकोष में दर्द हो सकता है। यह समस्या तब होती है, जब आपके वृषणों ट्विस्ट हो जाते हैं, जिससे किसी एक वृषण की ब्लड वेसल ब्लॉक हो जाती है। कुछ लोगों में यह विकासात्मक समस्याओं के कारण भी हो सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति को एमरजेंसी मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है, वरना इलाज न मिलने पर वृषण डैमेज भी हो सकता है।
- किडनी स्टोन के कारण भी यह दर्द हो सकता है।
- ग्रैंग्रीन या टेस्टिकुलर टॉर्जन में इलाज न मिल पाने या ट्रॉमा की वजह से मृत टिश्यू की वजह से दर्द होना।
- ऑर्काइटिस या टेस्टिकल में सूजन आने के कारण दर्द होना।
- अंडकोष में अत्यधिक बढ़ी हुई नसों के समूह या वेरीकोसील की समस्या के कारण दर्द होना।
- स्पर्मोटोसील या अंडकोष में फ्लूड के कारण दर्द होना।
- स्क्रॉटम में सूजन आने की वजह से हाइड्रोसील के कारण अंडकोष में दर्द (Testicular Pain) हो सकता है।
- डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण स्क्रॉटम की नसों के डैमेज होने की वजह से दर्द हो सकता है।
- सेक्शुअल ट्रांसमिटिड इंफेक्शन, क्लामाइडिया के कारण अंडकोष में सूजन आने या एपिडिडीमाइटिस के कारण दर्द होना।
- टेस्टिकुलर कैंसर की वजह से भी अंडकोष में दर्द की समस्या हो सकती है, हालांकि यह थोड़ा दुर्लभ है।
- इनगुइनल हर्निया के कारण दर्द होना।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें : Chest Pain : सीने में दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
निदान
अंडकोष में दर्द (Testicular Pain) की जांच करने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं?
अंडकोष में दर्द के पीछे का कारण जानने के लिए डॉक्टर फिजिकल एग्जाम और मेडिकल हिस्ट्री के साथ निम्नलिखित टेस्ट की मदद ले सकता है। जैसे-
- ब्लड टेस्ट
- एसटीडी की आशंका के कारण यूरेथ्रा के स्वैब की जांच
- यूरिन कल्चर
- यूरिनलिसिस टेस्ट
- रेक्टल एग्जाम के द्वारा प्रोस्टेट के सीक्रेशन की जांच
- टेस्टिकल्स तक होने वाले ब्लड फ्लो, टेस्टिकुलर ट्यूमर की आशंका, फ्लूड कलेक्शन, टेस्टिकुलर रप्चर और हर्निया की जांच करने के लिए एक कलर ड्रॉप्लर टेस्टिकुलर अल्ट्रासाउंड।
- टेस्टिकुलर टॉर्जन या अंडकोष में दर्द के अन्य कारणों की जांच करने के लिए रेडियोन्यूक्लाइड इमेजिंग करना।
- किडनी/यूरेटर/ब्लैडर का एक्सरे या सीटी स्कैन।
और पढ़ें : Sprain : मोच क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
नियंत्रण और सावधानी
अंडकोष में दर्द (Testicular Pain) को नियंत्रित कैसे किया जाता है?
अंडकोष में दर्द के हर कारण का बचाव नहीं किया जा सकता है, हालांकि फिर भी नियंत्रित करने या इससे बचाव के लिए कुछ तरीके अपनाए जा सकते हैं। जैसे-
- टेस्टिकल्स को चोट लगने से बचाने के लिए एथलीट सपोर्टर पहनना।
- कॉन्डम आदि की मदद से इंटरकोर्स के दौरान सेफ सेक्स प्रैक्टिस करना।
- महीने में कम से कम एक बार अपने अंडकोष में बदलाव या उभार की जांच करना।
- पेशाब करते हुए अपने ब्लैडर को पूरी तरह खाली करना, जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की किसी भी आशंका को खत्म किया जा सके।
- सूजन को कम करने के लिए स्क्रॉटम पर बर्फ से सिकाई करना।
- गर्म पानी से नहाना।
- लेटते समय स्क्रॉटम के नीचे रोल किया हुआ तौलिया लगाना।
- आइबूप्रोफेन दवा जैसी ओवर द काउंटर दवाओं के सेवन से दर्द से राहत प्राप्त करना।
- बचपन में ही बच्चों को एमएमआर वैक्सीन लगवाना।
और पढ़ें- Swollen Knee : घुटनों में सूजन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
उपचार
टेस्टिकुलर पेन (Testicular Pain) का इलाज कैसे किया जाता है?
अंडकोष में दर्द का इलाज उसके कारण के ऊपर निर्भर करता है और इसका समय पर इलाज होना जरूरी भी है, क्योंकि इससे भविष्य में इनफर्टिलिटी, स्थाई किडनी डैमेज, टेस्टिकल के आकार घटना, कॉस्मेटिक डिफॉर्मिटी आदि की समस्याएं हो सकती हैं।। जैसे-
- टेस्टिकुलर टॉर्जन की समस्या के लिए यूरोलॉजिस्ट के द्वारा सर्जरी की जरूरत होना। सर्जरी के दौरान प्रभावित टेस्टिकल को अनट्विस्ट किया जाता है। इसके अलावा, अप्रभावित टेस्टिकल को भविष्य में ट्विस्ट होने से बचाने का भी कार्य किया जाता है, क्योंकि कुछ पुरुषों में दोनों तरफ बेल क्लैपर असमान्यताएं होती हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में डॉक्टर द्वारा मैनुयली टेस्टिकल को अनट्विस्ट किया जाता है।
- एपिडिडीमाइटिस के लिए एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट की मदद, आराम और स्क्रॉटल सपोर्ट करना।
- किडनी स्टोन के लिए दर्द निवारक दवाएं, जी मिचलाने की समस्या से राहत के लिए दवाएं, पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन या कुछ मामलों में किडनी स्टोन को बाहर निकालने के लिए दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- टेस्टिकुलर कैंसर के इलाज के लिए ऑनकोलॉजिस्ट के पास जाने की सलाह देना।
- ऑर्काइटिस के इलाज के लिए दर्द निवारक दवाएं, आराम और स्क्रॉटल सपोर्ट की सलाह देना।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको टेस्टिकुलर पेन यानी अंडकोष में दर्द (Testicular Pain) की समस्या हो रही है तो कोई घरेलू उपाय न करें। आपको ऐसी परिस्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाह भी माननी चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी मेडिसिन न लें।