के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
सेमिनल फ्लूइड पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण है। जिन पुरुषों के वीर्य या सीमेन में शुक्राणु नहीं होते हैं, उन्हें निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) की परेशानी होती है। एक साल तक बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करने के बाद भी यदि प्रग्नेंसी नहीं होती है तो पुरुष या महिला में से किसी एक को फर्टिलिटी की परेशानी हो सकती है। इन्फर्टाइल कपल्स में 40 प्रतिशत पुरुषों को फर्टिलिटी की परेशानी होती है।
निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) के बीमारी में आप इजैक्युलेट तो करते हैं लेकिन इसमें शुक्राणु नहीं होते हैं। आपने ‘लो स्पर्म काउंट‘ के बारे में सुना होगा लेकिन निल शुक्राणु से तात्पर्य है ‘नो स्पर्म काउंट‘।
निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) तीन तरह के होते हैं:
प्री टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया (Pre-testicular azoospermia): प्री टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया शुक्राणु बनाने के लिए जिम्मेदार हार्मोन के ठीक से उत्पादन न होने के कारण होता है। इसमें आपके अंडकोष सामान्य होते हैं लेकिन आपका शरीर उन्हें शुक्राणु नहीं बनाने देता। ऐसा शुक्राणु बनाने वाले हॉर्मोन के कम स्तर के कारण होता है। कई लोगों में कीमोथेरेपी के बाद भी यह परेशानी हो सकती है।
टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया (Testicular azoospermia): टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया अंडकोष के कार्य या संरचना में किसी भी तरह की असामान्यता के कारण होता है।
पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया (Post-testicular azoospermia): पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में किसी तरह की रुकावट के कारण इजैक्युलेशन में समस्या के कारण होता है।
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हो सकता है आपको निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) के कोई लक्षण नजर न आएं। इसके बारे में आपको तब पता चले जब आप गर्भधारण के प्रयास में लगातार असफल हो रहे हो। यदि आपको कोई लक्षण नजर आ रहे हैं तो इसका संबंध हॉर्मोनल असंतुलन या जेनेटिक क्रोमोसोमल कंडिशन से हो सकता है। निल शुक्राणु के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
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10% से 15% पुरुषों में लो और नो स्पर्म प्रोडक्शन की समस्या जेनेटिक होती है। क्रोमोसोम में डिफेक्ट के कारण स्पर्म के साइज और नंबर पर असर पड़ता है।
टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया: इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया : पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में किसी तरह की रुकावट के कारण होता है। इसमें अंडकोष सामान्य शुक्राणु बनाते हैं, लेकिन कुछ उन्हें बाहर निकलने से रोकता है, जैसे:
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निल शुक्राणु का पता लगाने का जो सबसे बेसिक तरीका है वो है सीमेन एनालिसिस (semen analysis) टेस्ट। इसके लिए आपका डॉक्टर आपको एक कप में इजैक्युलेट करने के लिए कहेगा। परीक्षण के लिए यह नमूना लैब में भेजा जाएगा। यदि इजैक्युलेट में नो लिविंग स्पर्म देखा जाता है तो संभव है कि आपको निल शुक्राणु की समस्या है।
फिजिकल एग्जाम के साथ आपका डॉक्टर आपका मेडिकल हिस्ट्री देखेगा। इसके लिए डॉक्टर आपसे नीचे बताए सवाल पूछ सकता है:
निल शुक्राणु की समस्या को डायग्नोस के लिए ये टेस्ट कराने के लिए भी कह सकता है आपका डॉक्टर:
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निल शुक्राणु की समस्या को समझने और इलाज के लिए जेनेटिक टेस्टिंग और काउंसलिंग बेहद आवश्यक हैं।
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