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इन वजहों से हो जाता है लो स्पर्म काउंट, जानिए बढ़ाने का तरीका

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    इन वजहों से हो जाता है लो स्पर्म काउंट, जानिए बढ़ाने का तरीका

    लो स्पर्म काउंट का अर्थ है इजैकुलेशन के दौरान आने वाले सीमेन (Semen) में स्पर्म की संख्या कम होना लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) भी कहते हैं। सीमेन में स्पर्म की पूरी तरह से कमी को एजोस्पर्मिया (Azoospermia) कहते हैं। किसी भी पुरुष के स्पर्म में 15 मिलियन/मिलीलीटर सीमेन की कमी लो स्पर्म काउंट को दर्शाती है।

    स्पर्म काउंट में कमी होने पर ओवोल्यूशन नहीं हो पाता है, जिस कारण महिला गर्भवती नहीं हो पाती है। हालांकि ऐसा नहीं है की लो स्पर्म काउंट की वजह से पुरुष पिता नहीं बन सकते हैं। बढ़ती टेक्नोलॉजी और दवाओं की मदद से लो स्पर्म काउंट को बढ़ाया जा सकता है।

    स्पर्म काउंट फर्टिलिटी के लिए क्यों जरूरी है? (Why is sperm count necessary for fertility?)

    स्पर्म काउंट प्रेग्नेंट होने की क्षमता को कम कर सकता है क्योंकि आपके पार्टनर के गर्भवती होने की संभावना कम स्पर्म काउंट के साथ कम हो जाती है। पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या लो स्पर्म के कारण हो सकती है। लो स्पर्म काउंट से महिलाओं के गर्भधारण संभावनाएं कम हो जाती हैं। हालांकि इनफर्टिलिटी लो स्पर्म काउंट के साथ-साथ अन्य परेशानी की वजह से भी हो सकती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) के अनुसार भारत समेत अन्य देशों में स्पर्म काउंट में कमी इनफर्टिलिटी की बढ़ती समस्या का प्रमुख कारण है।

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    लो स्पर्म काउंट के कारण क्या हैं? (What are the causes of low sperm count?)

    स्पर्म की संख्या में कमी के कई कारणों से हो सकती है। इन कारणों में शामिल हैंं:

    1. शारीरिक परेशानी या बदलती लाइफस्टाइल

    2. वातावरण

    3. चिकित्सा

    1. शारीरिक परेशानी या बदलती लाइफस्टाइल

    • ड्रग का उपयोग- एनाबॉलिक स्टेरॉइड मसल्स को स्ट्रांग करने के लिए लिया जाता है लेकिन, इसके ज्यादा उपयोग से टेस्टिकल्स (testicles) शिरिंक हो सकते हैं और स्पर्म काउंट में भी कमी आ सकती है। कोकीन जैसे अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से स्पर्म की संख्या और क्वालिटी दोनों पर ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • एल्कोहॉल का सेवन- एल्कोहॉल के अत्यधिक सेवन से टेस्टोस्टोरेन (testosterone) में कमी आने के साथ ही स्पर्म काउंट भी कम हो जाता है।
    • आक्यूपेशन- लगातार कई घंटे तक बैठने वाला काम खासकर ट्रक ड्राइवर या वेल्डिंग जैसे आक्यूपेशन से जुड़े हुए लोगों में स्पर्म काउंट लो होने की संभावना ज्यादा होती है।
    • स्मोकिंग करना- स्मोकिंग नहीं करने वाले पुरुषों की तुलना में स्मोकिंग करने वाले पुरुषों में लो स्पर्म काउंट की संभावना ज्यादा होती है।
    • इमोशनल स्ट्रेस- अत्यधिक तनाव में रहना भी स्पर्म काउंट को कम करने में मददगार हो सकता है।
    • ड्रिप्रेशन- डिप्रेशन से पीड़ित पुरुषों में स्पर्म काउंट को कम हो सकता है।
    • वजन- अत्यधिक बढ़ता वजन डायबिटीज की बीमारी और हार्ट जैसी बीमारियों के साथ-साथ इनफर्टिलिटी जैसी परेशानी भी शुरू कर सकता है। इससे मोटापे के कारण पुरुषों में हॉर्मोनल बदलाव भी हो सकते हैं।
    • स्पर्म टेस्टिंग इशू- कभी-कभी लैब में टेस्ट ठीक तरह से नहीं होने के कारण भी स्पर्म काउंट कम हो सकते हैं।

    2. वातावरण-

    • केमिकल्स- इंडस्ट्रियल केमिकल्स जैसे पेस्टिसाइड्स, पेंटिंग मटेरियल, ऑर्गेनिक सॉल्वेंट या जाइलिन जैसे केमिकल्स के संपर्क में ज्यादा आने की वजह से भी स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है।
    • मेटल्स– लेड या अन्य हेवी मेटल्स के लगातार संपर्क में रहने से इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।
    • रेडिएशन या एक्स-रे- अत्यधिक रेडिएशन या एक्स-रे का अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव स्पर्म पर पड़ता है। रिसर्च के अनुसार रेडिएशन या एक्स-रे के कारण स्पर्म की संख्या में तेजी से कमी आ सकती है।

    लो स्पर्म काउंट

    3. चिकित्सा-

    • वैरिकोसील- वैरिकोसील टेस्टिकल (अंडकोष) और स्क्रॉटम (अंडकोष की थैली) की सूजी हुई नसों को कहते हैं। सूजी हुई नसों में दर्द की समस्या हो सकती है और इसका बुरा प्रभाव पुरुषों के प्रजनन पर भी पड़ता है। वैरिकोस नसों में वॉल्व मौजूद होते हैं, यह ब्लड को टेस्टिकल और स्क्रॉटम से हार्ट की ओर पहुंचाने में मदद करता है। लेकिन, वॉल्व के काम नहीं करने पर ब्लड एक ही जगह रह जाता है, जिस कारण स्क्रॉटम और आस-पास की थैली में सूजन शुरू हो जाती है।
    • इंफेक्शन- सेक्सशुअल इंफेक्शन, HIV या AIDS जैसी अन्य बीमारी होने पर इसका सीधा असर स्पर्म पर पड़ता है।
    • इजैकुलेशन प्रॉब्लम- कई बार सीमेन स्क्रोटम से बाहार नहीं आ पाता है या पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाता है, जिस वजह से सीमेन के इजैकुलेट ठीक से नहीं होने के कारण स्पर्म काउंट कम हो जाता है। इसे रेट्रोग्रेड इजैकुलेशन भी कहते हैं। रेट्रोग्रेड इजैकुलेशन डायबिटीज, स्पाइनल इंजुरी, प्रोस्टेट या ब्लैडर सर्जरी के कारण भी हो सकता है।
    • एंटीबॉडीजएंटी-स्पर्म एंटीबॉडीज का असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है जिस वजह से स्पर्म काउंट कम हो सकता है।
    • ट्यूमर- कैंसर और नॉनमालिगैंट ट्यूमर पुरुष रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पर सीधे बुरा असर डालता है। यही नहीं इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरिपी भी मेल फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं लेकिन, इससे बचा जा सकता है।
    • अनडिसेंडेड टेस्टिकल्स- गर्भ में फीटल डेवलपमेंट के दौरान टेस्टिकल स्क्रॉटम में नहीं आने की स्थिति को अनडिसेंडेड टेस्टिकल्स कहते हैं, जिसका असर फर्टिलिटी पर पड़ता है।
    • हॉर्मोनल इम्बैलेंस- हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी और टेस्टिकल्स में हार्मोन का निर्माण होता है और यही स्पर्म बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। इन हॉर्मोन्स में हो रहे बदलाव का बुरा असर फर्टिलिटी पर पड़ता है।
    • कई कारणों जैसे सर्जरी, इंजुरी या इंफेक्शन की वजह से स्पर्म ठीक तरह से इजैकुलेट नहीं होने पर भी इसका असर फर्टिलिटी पर पड़ता है।
    • क्रोमोसोम डिफेक्ट की वजह से मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम का ठीक तरह से डेवलप नहीं होने की स्थिति में भी इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।

    इन कारणों के अलावा जेनेटिकल कारण भी हो सकते हैं, जिससे स्पर्म काउंट कम हो सकता है। कम स्पर्म काउंट के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या कपल्स में हो सकती है।

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    लो स्पर्म काउंट की समस्या से कैसे बचें? (How to avoid the problem of low sperm count?)

    निम्नलिखित बातों को ध्यान रखकर लो स्पर्म काउंट की समस्या से बचा जा सकता है।

    • स्मोकिंग नहीं करें और स्मोकिंग जोन से भी दूरी बनाएं रखें।
    • एल्कोहॉल का सेवन न करें।
    • उन दवाओं का सेवन न करें जो स्पर्म पर बुरा असर डालती हो।
    • संतुलित आहार का सेवन करें।
    • वजन संतुलित रखें
    • नियमित एक्सरसाइज करें (शरीर की क्षमता अनुसार) या फिर वॉक करें।
    • कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें
    • अत्यधिक गर्मी से बचें।
    • तनाव से दूर रहें।
    • हेवी मेटल और पेस्टीसाइड के संपर्क में ज्यादा न आएं।
    • कॉटन और ढीले बॉक्सर पहने

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    स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए इलाज क्या हैं? What are the treatment to increase sperm count?

    डॉक्टर निम्नलिखित तरह से इलाज कर सकते हैं:

    • सर्जरी की मदद से स्पर्म काउंट बढ़ाया जा सकता है।
    • अगर बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से स्पर्म काउंट में कमी आई है, तो एंटीबायोटिक की मदद से स्पर्म काउंट बढ़ाया जा सकता है।
    • हॉर्मोन में हुए बदलाव की वजह से अगर स्पर्म काउंट में कमी आई है, तो दवा की मदद से हॉर्मोन को बैलेंस कर स्पर्म काउंट ठीक किया जा सकता है।

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    स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए क्या खाएं? (What to eat to increase sperm count?)

    केला-

    केले में मौजूद विटामिन ए, बी 1 और सी और एंटी-इंफ्लमेटरी एंजाइम स्पर्म की क्वॉलिटी और काउंट दोनों को बढ़ाने में मदद करते हैं।

    अंडा-

    अंडे में मौजूद विटामिन-ई और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा शरीर के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ स्पर्म काउंट को बढ़ाने के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है।

    पालक-

    स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए फॉलिक एसिड अनिवार्य होता है। पालक और अन्य हरी सब्जियों में फॉलिक एसिड प्रचुर मात्रा में मौजूद होने के कारण यह शरीर के लिए लाभदायक माना जाता है।

    ब्रोकली-

    ब्रोकली में मौजूद फॉलिक एसिड और विटामिन-बी 9 स्पर्म काउंट को बढ़ाने में मदद करते हैं। ब्रोकली के नियमित और सही मात्रा में सेवन करने से अत्यधिक लाभ मिल सकता है।

    अखरोट-

    ओमेगा-3 फैटी एसिड अखरोट में प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। अखरोट के सेवन से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है और पुरुषों में स्पर्म काउंट को बढ़ाने मदद मिलती है।

    लहसुन-

    इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने के लिए लहसुन का सेवन किया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन-बी 6 इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने के साथ-साथ स्पर्म काउंट को भी बढ़ाने में मदद करता है।

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    अनार-

    अनार के सेवन से स्पर्म काउंट को बढ़ाने के साथ-साथ सीमेन की क्वॉलिटी भी अच्छी हो सकती है। ऐसा अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट की वजह से होता है। आप इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि स्पर्म काउंट को बढ़ाने के लिए किन फलों का सेवन या फिर किस डायट को लेना लाभकारी होगा।

    आप खानपान में सुधार कर स्पर्म काउंट में भी सुधार कर सकते हैं। अगर आपको अन्य समस्या महसूस हो रही है तो अपने डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं। इनफर्टिलिटी के लिए अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। बेहतर होगा कि आप जांच कराएं और ट्रीटमेंट कराएं। लो स्पर्म काउंट की समस्या होने पर लैब टेस्ट ठीक तरह से करवाएं और इस परेशानी को डॉक्टर से शेयर करें। डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें और खुद से इलाज न करें। साथ ही लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

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