परिचय
वायरल फीवर (Viral fever) क्या है?
वायरल फीवर यानी वायरस बुखार या वायरल इंफेक्शन (Viral infection)। यह बिल्कुल बुखार के जैसा ही होता है। हालांकि, इसके शुरूआती दौरान में शारीरिक रुप से बहुत ज्यादा थकान महसूस करना, मांसपेशियों या बदन में गंभीर दर्द होने की समस्या हो सकती है। वायरल फीवर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम (Immune system) काफी कमजोर रहता है। वायरल फीवर आमतौर पर हवा में फैलने वाले वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है। इसे हम कह सकते हैं कि वायरल फीवर (Viral fever) एयरबॉर्न होता है। लेकिन, इसके अलावा इसका कारण दूषित पानी के फैलने के कारण भी हो सकता है जिसे हम वाटरबॉर्न संक्रमण (Waterborne infection) कहते हैं। इसके अलावा, वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण के शुरूआती लक्षण भी एक जैसे हो सकते हैं, जिस वजह से इनके बीच के अंतर को स्पष्ट करना मुश्किल हो सकता है।
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वायरल फीवर (Viral fever) और बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial infection) के कारण होने वाले बुखार में कैसे अंतर कर सकते हैं?
वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण में अंतर समझने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः
वायरल फीवर के लक्षण (Symptoms of Viral fever)
- शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा होना
- पिछले 48 घंटो के बाद भी शरीर के तापमान में कमी नहीं आना
बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण (Symptoms of Bacterial infection)
- शरीर में दर्द (Body pain) होना
- पूरी त्वचा पर चकत्ते निकलना
- सिर दर्द (Headache) होना
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लक्षण
वायरल फीवर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Viral fever)
अगर शरीर का तापमान 99 ° F से 103 ° F (39 ° C) तक है या इससे अधिक है, तो यह वायरल बुखार के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा इसके निम्न लक्षण भी हो सकते हैं, जैसेः
- ठंड लगना
- बहुत पसीना आना
- डिहाइड्रेशन (Dehydration) की समस्या
- सिरदर्द करना
- मांसपेशियों में दर्द (Muscles pain) होना
- बदन दर्द (Body pain) होना
- कमजोरी महूसस करना
- भूख में कमी होना
- गले में दर्द होना
- खांसी-जुकाम होना
- डायरिया (Diarrhea) होना
- उल्टी आना
- पेट में दर्द होना
- नाक बहना
- बंद नाक
- आंखें लाल होना
- खाना निगलने में कठिनाई महसूस करना
- शरीर के अलग-अलग जोड़ों में दर्द होना
- गले में खराश
- चेहरे में सूजन आना
- चक्कर आना
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सामान्य तौर पर, ये लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो सकते हैं। लेकिन, अगर अगर ऊपर बताए गए निम्न में से कोई भी लक्षण एक हफ्ते से अधिक समय तक के लिए बने रहते हैं या स्वास्थ्य स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तो आपको जल्द ही अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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कारण
वायरल फीवर के क्या कारण हो सकते हैं? (Cause of Viral fever)
दरअसल, हमारे शरीर के अंदर ऐसे कई वायरस होते हैं, जो शरीर में बाहर से प्रवेश करने वाले संक्रमणों से लड़ते हैं और शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन, कमजोर इम्यूनिटी (Weak immunity) के कारण ये शरीर के ये गुड वायरस की संख्या कम हो सकती है, जो बाहरी संक्रमण से शरीर की सुरक्षा करने में असमर्थ हो सकते हैं। इसके अलावा, बुखार (Fever) या वायरस बुखार होने पर अचानक या धीरे-धीरे हमारे शरीर का तापमान अधिक हो जाता है। जिसका मतलब होता है कि हमारे शरीर के वायरस शरीर में प्रवेश करने वाले बाहरी वायरस से लड़ रहे होते हैं। ये बाहरी वायरस (Virus) किसी भी स्वस्थ्य शरीर के अंदर तेजी से फैल सकते हैं।
वायरल फीवर के ऐसे कई मुख्य कारण हो सकते हैं जिससे हमारा शरीर संक्रमित हो सकता है। जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- ऐसे किसी व्यक्ति से सामान्य या यौन रूप से संपर्क में आना जिसे किसी तरह का संक्रमण जैसे- सर्दी-खांसी (Cold & cough) या फ्लू (Flu) हुआ हो
- प्रदूषित वातावरण में रहना
- दूषित पानी या भोजन का सेवन करना
- मच्छरों या किसी कीट का काटना जो डेंगू, मलेरिया, रेबीज या बुखार जो जन्म देते हो
- वायरल संक्रमित व्यक्ति का खून प्राप्त करना, जैसे- किसी हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) या एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का खून प्राप्त करना
- जंग लगे या पहले से किसी द्वारा इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन या ब्लेड का इस्तेमाल करना
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निदान
वायरल फीवर (Viral fever) के बारे में पता कैसे लगाएं?
वायरल फीवर के बारे में पता लगाने के लिए सिर्फ व्यक्ति के लक्षणों पर भरोसा करना मुश्किल हो सकता है। कुछ स्थितियों में इसके लक्षणों की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood test), सीबीसी टेस्ट (Complete Blood Test) या चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) करवाने की सलाह दे सकते हैं। ब्लड टेस्ट से जहां शरीर में निम्न तत्वों की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है, वहीं सीबीसी शरीर में पनपन रहे किसी तरह के संक्रमण की जानकारी दे सकता है। जिनसे आपके डॉक्टर निम्न स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगा सकते हैं, जैसेः
- डेंगू
- चिकनगुनिया (Chikungunya)
- टाइफाइड (Typhoid)
- मलेरिया
- किसी प्रकार का फ्लू (Flu)
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रोकथाम और नियंत्रण
वायरल फीवर (Viral fever) को कैसे रोका जा सकता है?
वायरल फीवर की रोकथाम करने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं, जैसेः
- शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम (Immune system) को मजबूत बनाना। इसके लिए अपने दैनिक आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें।
- हमेशा स्वच्छ आहार और पानी पीएं
- बहुत भीड़-भाड़ वालों इलाकों में न जाएं
- प्रदूषित स्थानों में न रहें
- छह से आठ घंटों की नींद लें
- भरपूर मात्रा में पानी पीएं
लेकिन अगर आपका वायरल बुखार तीन से चार दिनों के बाद भी है या आपको सांस लेने में अधिक परेशानी हो रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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उपचार
वायरल फीवर का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment for Viral fever)
आमतौर पर वायरल फीवर का उपचार घरेलू देखभाल के जरिए ही ठीक हो सकता है। कुछ मामलों में आप अपने डॉक्टर की सलाह पर मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली एंटीवायरल दवाओं जैसे, एसिटामिनोफेन (Acetaminophen), ओसेल्टामिविर फॉस्फेट (टैमीफ्लू) या आइबूप्रोफेन का भी सेवन कर सकते हैं। इन दवाओं के लिए आपको डॉक्टर की पर्ची की आवश्कता नहीं हो सकती है, लेकिन सेहत के नजरिए से आपको अपने डॉक्टर की उचित सलाह लेनी चाहिए।
इन बातों का भी रखें ख्याल
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन (Aspirin) की खुराक न दें। क्योंकि, इनमें रेये सिंड्रोम (reye’s syndrome) होने का जोखिम बढ़ सकता है। एस्पिरिन उनके दिमाग और लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
- गुनगुने पानी से स्नान करें
- शरीर को हाइड्रेटेड (Hydrate) बनाए रखें
- ताजे फलों के जूस का सेवन करें
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotic) से बैक्टीरिया के कारण जो बुखार होता है उसका उपचार कर सकते हैं। अगर आपको वायरल बुखार है, तो इसकी खुराक न लें।
- डॉक्टर ने आपको जो दवाएं दी हैं, उनका समय पर सेवन करें और साथ ही वायरल फीवर के लक्षण अगर ट्रीटमेंट के दौरान भी ठीक नहीं हो रहे हैं तो डॉक्टर को इसकी जानकारी दें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।