
जानिए मूल बातें
क्या है क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट?
हाइपरटेंशन और प्लाज्मा कैटिकोलामाइंस (catecholamines) या यूरीनरी कैटिकोलामिन मेटाबोलाइट्स में बदलाव आने की स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति में फियोक्रोमोसाइटोमा (अधिवृक्क ग्रंथि के ऊतकों में दुर्लभ ट्यूमर) के निदान के लिए क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट किया जाता है।
क्लोनिडीन एक दवा है जो हाइपरटेंशन के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। यह ‘सिंपैथेटिक टोन’ को कम करने के लिए मस्तिष्क पर कार्य करती है। ‘सिंपैथेटिक टोन एड्रेनल मैड्युला से नसों को संकेत मिलने की तीव्रता को कहते हैं। क्लोनिडीन सामान्य एड्रेनल मेड्यूला से कैटिकोलामिन और मेटानेफ्रिन (Metanephrines) को रिलीज होने से रोकती है।
यह टेस्ट क्यों किया जाता है?
निम्न स्थितियों की जांच के लिए क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है :
- इडियोपैथिक हाइपरएड्रेनर्जिक या फीयोक्रोमोसाइटोमा के कारण प्लाज्मा कैटिकोलामाइंस के सामान्य स्तर के बढ़ने की जांच करने के लिए।
- प्लाज्मा के कैटिकोलामाइंस और/या मेटानेफ्रिन में बढ़ोतरी।
- यह टेस्ट मरीजों में प्लाज्मा या फीयोक्रोमोसाइटोमा के लिए किए गए मूत्राशय बायोकेमिकल टेस्ट के पॉजिटिव संकेतो के बारे में नहीं दर्शाता है।
- यह टेस्ट सामान्य आधारभूत प्लाज्मा फ्री मेटानेफ्रिन और नॉरमेटानेफ्रिन के मरीजों के लिए आवश्यक नहीं है।
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सावधानियां और खतरे
क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट कराने से पहले क्या जानना है जरूरी?
क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट को जांच का सबसे प्रभावशाली टेस्ट नहीं माना जाना चाहिए। यह एक ऐसा टेस्ट है जो केवल फीयोक्रोमोसाइटोमा की जांच में मदद करता है। इसके अलावा इस टेस्ट के परिणाम भ्रमित भी कर सकते हैं। कैटिकोलामाइंस और मेटानेफ्रिन हो सकता है विभिन्न दिशाओं में जा रहे हों।
क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट अधिकतर मरीजों के लिए आवश्यक नहीं होता है। यहां तक कि उन मरीजों के लिए भी जो इसका सबसे अधिक फायदे उठा सकते हैं।
प्रक्रिया
क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट के लिए खुद को कैसे तैयार करें?
क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट से पहले कई आवश्यक तैयारियां की जाती हैं जिनमें निम्न मुख्य रूप से शामिल हैं :
- टेस्ट से 1 से 5 घंटे पहले अन्य दवाओं का सेवन बंद कर दें।
- मरीज को टेस्ट से एक रात पहले 10 घंटों तक कुछ नहीं खाना है।
- टेस्ट के दौरान रिलैक्स रहें।
- शांत वातावरण वाली जगह चुनें।
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टेस्ट के दौरान क्या होता है?
- मरीज को टेस्ट के समय पेट के बल लिटा दिया जाएगा जिसके बाद नसों से ब्लड और तरल पदार्थों का जरूरत अनुसार सैंपल लिया जा सकता है।
- रक्त प्रवाह और हृदय गति को तीन बार मापा जाएगा और डाटा में दर्ज कर लिया जाएगा।
- लेटी हुई अवस्था में 30 मिनट आराम के बाद तुरंत ब्लड सैंपल लिया जाएगा। यह क्लोनिडीन टेस्ट की शुरुआत से ठीक पहले किया जाता है।
- रक्त प्रवाह और हृदय गति पर लगातार नजर रखी जाती है और क्लोनिडीन के 1 और 2 घंटे बाद इन्हें मापा जाता है और डाटा शीट में दर्ज किया जाता है।
- क्लोनिडीन के 3 घंटे बाद टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लिया जाता है और उसे डाटा में रिकॉर्ड किया जाता है।
- 3 घंटे बाद टेस्ट के लिए निकाले गए ब्लड सैंपल के तुरंत बाद रक्त प्रवाह और हृदय गति को 3 बार मापा और दर्ज किया जाता है।
- 3 घंटे के अंतिम टेस्ट सैंपल के खून के नमूनों को इकट्टा करते ही तुरंत लैब भेज दिया जाता है।
क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट के बाद क्या होता है?
दुर्लभ मामलों में नस से खून का सैंपल निकालने के कारण समस्या उत्पन्न होने की आशंका होती है। सबसे पहले आपको उस जगह पर एक हल्का निशान दिखाई देगा। हालांकि, नमूना निकालने वाली जगह पर कुछ समय के लिए दबाव बनाकर निशान की आशंका को कम किया जा सकता है।
कुछ दुर्लभ मामलों में खून का सैंपल लेने पर नस में सूजन आ सकती है। इस स्थिति को फिलीबाइटिस (phlebitis) कहा जाता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिन में 2 से 3 बार गर्म सिकाई करें।
रक्तस्राव (ब्लीडिंग) के विकार से ग्रस्त मरीजों को लगातार खून बहने की शिकायत हो सकती है। एस्पिरिन, वार्फरिन और अन्य खून को पतला करने वाली दवाओं से रक्तस्राव को और अधिक बढ़ा सकती हैं।
यदि आपको रक्तस्राव या खून के थक्के जैसी समस्या है या आप खून को पतला करने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो डॉक्टर को खून का सैंपल लेने से पहले यह बता दें।
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क्लोनिडीन सप्रेशन टेस्ट के परिणाम
मेरे टेस्ट के परिणामों का क्या मतलब है?
यदि रिजल्ट सामान्य है तो :
- प्लाज्मा के नॉरमेटानेफ्रिन का स्तर सामान्य होगा
- प्लाज्मा के नॉरमेटानेफ्रिन के स्तर में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आना
- प्लाज्मा के कुल कैटिकोलामाइंस में गिरावट
- प्लाज्मा के नॉरमेटानेफ्रिन में 40 प्रतिशत तक गिरावट
हालांकि, प्लाज्मा एपिनेफ्रीन और मेटानेफ्रिन अलग-अलग हैं और इसलिए यह टेस्ट फीयोक्रोमोसाइटोमा के लिए गैर परीक्षणात्मक है।उपरोक्त बातों से यह पता चलता है कि पॉजिटिव परिणामों को कई तरह से लिखा जा सकता है।उदाहरण के तौर पर उच्च रक्तचाप के मरीज जिन्हें फीयोक्रोमोसाइटोमा नहीं है या सामान्य है या फिर सामान्य के करीब है तो उनके नोरएपिनेफ्रीन का स्तर 50 प्रतिशत तक कम होने में विफल हो सकते हैं।
इसका मतलब है कि परिणाम गलत रूप से पॉजिटिव आ सकते हैं। उसके विपरीत, वे लोग जिन्हें फीयोक्रोमोसाइटोमा सामान्य स्तर के करीब है उनमें नोरएपिनेफ्रीन सामान्य स्तर तक कम हो सकता है। इसका मतलब है कि परिणाम गलत तरह से नेगेटिव आएंगें। ये दोनों समस्याएं नोरमेटानेफ्रिन के प्रयोग से ठीक की जा सकती हैं।
अपने परिणामों की सही जानकारी के लिए डॉक्टर से बातचीत करें। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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कुछ जरूरी बातें
कुछ प्रकार की दवाएं क्लोनिडीन सप्रेशन को दिखाई देने से रोक सकती हैं जिसके कारण टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। इसमें बीटा ब्लॉकर, ट्राईसाइक्लिक और एंटीडिप्रेस्सेंट शामिल हैं। कोशिश करें कि आप इन ड्रग का सेवन टेस्ट के 48 घंटों से पहले ही रोक दें।
अल्फा ब्लॉकर एजेंट क्लोनिडीन सप्रेशन को नहीं रोकते हैं और न ही टेस्ट में किसी प्रकार की बाधा डालते हैं। हालांकि, इसकी अधिक जानकारी के लिए आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
टेस्ट से 1 हफ्ते पहले केले, अखरोट और स्थिति को प्रभावित करने वाली दवाओं का सेवन बंद कर देना चाहिए।
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