परिचय
फेरिटिन टेस्ट क्या है?
फेरिटिन टेस्ट खून संबंधित एक प्रकार का टेस्ट है। जो खून में आयरन की कमी होने पर कराया जाता है। फेरेटिन खून में पाई जाने वाली एक तरह की प्रोटीन होती है जो आयरन को स्टोर करने का काम करता है। फेरेटिन के लेवल में कमी होने पर खून में आयरन की कमी हो जाती है। जिसे आसान भाषा में खून की कमी कहा जा सकता है। फेरिटिन टेस्ट से डॉक्टर फेरिटिन लेवल के ज्यादा या कम होने का पता लगाते हैं। फेरिटिन की ज्यादा मात्रा होने पर कुछ तरह के कैंसर भी होते हैं। वहीं, लिवर से संबंधित बीमारी, रयूमेटॉइड आर्थराइटिस, हाइपरथारॉयडिज्म या अन्य बीमारियां हो सकती हैं।
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फेरिटिन टेस्ट कराने की सलाह डॉक्टर कब देता है?
यदि आपके डॉक्टर को आपमें आयरन की कमी के लक्षण नजक आते हैं तब डॉक्टर फेरिटिन टेस्ट कराने की सलाह देता है। इस टेस्ट को निम्नलिखित परेशानियों के होने पर रिकमेंड किया जाता है:
- आयरन की कमी एनीमिया (Iron Deficiency Anemia)
- हीमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis)
- लिवर संबंधित रोग (Liver Disease)
फेरिटिन टेस्ट क्यों किया जाता है है?
फेरिटिन टेस्ट को करने के पीछ कई वजह हैं :
- फेरिटिन टेस्ट कराने के लिए डॉक्टर तब कहते हैं जब आपके खून में आयरन की कमी हो या एनीमिया के लक्षण सामने आ रहे हो।
- अगर पैरों में लगातार उलझन बनी हुई है तो भी फेरिटिन टेस्ट किया जाता है।
- हीमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis) , लिवर संबंधित रोग आदि बीमारियां होने पर भी डॉक्टर फेरिटिन टेस्ट कराने के लिए कहते हैं।
- पूरे शरीर में आयरन की स्थिति जानने के लिए भी फेरिटिन टेस्ट को संयोजन के साथ कराते हैं। इसका मतलब है कि आयरन टेस्ट, टोटल आयरन-बाइंडिंग कैपेसिटी (TIBC) और ट्रांसफेरेटिन टेस्ट के कॉम्बिनेशन का टेस्ट कराया जाता है।
- फेरिटिन टेस्ट सिर्फ आयरन की कमी की स्थिति में ही नहीं बल्कि आयरन की अधिकता की स्थिति में भी कराया जाता है। जैसे- हिमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis) या हिमोसिडेरोसिस (Hemosiderosis)।
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जोखिम
फेरिटिन टेस्ट करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
फेरिटिन टेस्ट कराने से पहले आप हेल्थ प्रोफेशनल से मिल लें। उनसे टेस्ट के पहले दवाओं (जो आप पहले से ले रहे हैं) के बारे में बात करें। साथ ही सभी तरह के साइड इफेक्ट्स के बारे में भी पूछ लें। फेरेटिन टेस्ट के लिए नॉर्मल ब्लड टेस्ट की तरह नस में से खून निकाला जाता है। इसे दिन में किसी भी समय किया जाता है। इस टेस्ट को कराने के लिए आपको कोई खास तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती।
फेरिटिन टेस्ट के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
फेरिटिन टेस्ट के साथ ज्यादा साइड इफेक्ट्स नहीं है। लेकिन किसी भी तरह समस्या होने के बाद आप अपने हेल्थ प्रोफेशनल से जरूर बात करें। फेरिटिन टेस्ट में बहुत ही रेयर कॉम्प्लिकेशन देखने को मिले हैं :
- ज्यादा ब्लीडिंग होना
- बेहोश होना या सिर चकराना
- किसी प्रकार का संक्रमण होना
- खरोच से निशान पड़ना
डॉक्टर से सम्पर्क कब करें?
फेरिटिन टेस्ट के साइड इफेक्ट्स से ज्यादा परेशानी होने पर आप डॉक्टर के पास जा सकते हैं। ज्यादा ब्लीडिंग या अन्य किसी स्थिति में खुद से कोई दवा न लें।
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प्रक्रिया
फेरिटिन टेस्ट के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
जब डॉक्टर आपको टेस्ट कराने के लिए कहे तो आप सबसे पहले ये पूछ लें कि आप जो दवाएं पहले से ले रहें हैं, उन्हें बंद करना है? अगर आपको सिर्फ फेरिटिन टेस्ट कराना है तो आप सामन्य रूप से खा पी सकते हैं। लेकिन, अगर उसके साथ आपको कोई औ टेस्ट कराना है तो लगभग छह घंटे पहले से कुछ नहीं खाना चाहिए। ये सभी निर्देश आपको डॉक्टर टेस्ट के दो या तीन दिन पहले देंगे।
फेरिटिन टेस्ट में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
फेरिटिन टेस्ट की प्रक्रिया बेहद आसान है :
- सबसे पहले हेल्थ प्रोफेशनल आपके बाजू (Upper Arm) में एक इलास्टिक बैंड बांधेंगे। जिससे आपके खून का प्रवाह रूक जाएगा।
- फिर जहां से खून निकालना होगा वहां पर एल्कोहॉल से साफ करते हैं।
- आपके हाथ की नस में सुई डाल कर खून निकाल लेते है।
- निकाले हुए खून को एक ट्यूब में भर कर सुरक्षित रख देंगे।
- जहां से खून निकालते हैं, वहां पर रूई से दबा देते हैं ताकि खून बहना बंद हो जाए।
फेरिटिन टेस्ट के बाद क्या होता है?
ब्लड का सैंपल लेने के बाद उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। टेस्ट के बाद आप तुरंत सामान्य हो जाएंगे। आप चाहे तो तुरंत घर जा सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें।
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परिणाम
फेरिटिन टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है?
खून में फेरिटिन का सामान्य स्तर होता है :
- पुरुषों के लिए, 20 से 500 नैनोग्राम/मिलीलीटर
- महिलाओं के लिए, 20 से 200 नैनोग्राम/मिलीलीटर
अगर फेरिटिन इससे कम रहा तो शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। जिससे एनीमिया हो जाती है। इस स्थिति को देख कर डॉक्टर आपको दवा देंगे।
वहीं, अगर फेरिटिन की मात्रा सामान्य से ज्यादा है तो ये बीमारियां हो सकती हैं :
- हिमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis), ये एक ऐसी स्थिति है जब खाने के जरिए हमारा शरीर ज्यादा आयरन अवशोषित कर लेता है।
- प्रेफाइरिया (Porphyria), ये ऐसी स्थिति में जिसमें एंजाइम की कमी होने पर नर्वस सिस्टम और त्वचा प्रभावित होती है।
- रयूमेटॉइट आर्थराइटिस या अन्य क्रॉनिक डिसऑर्डर हो जाता है। (Rheumatoid Arthritis or any other Chronic disorder)
- लिवर से संबंधित बीमारी
- हाइपरथाइरॉडिज्म (Hyperthyroidism)
- ल्यूकिमिया (Leukemia)
- हॉज्किंस लिम्फोमा (Hodgkin’s Lymphoma)
इन सभी बीमारी के मद्देनजर डॉक्टर आपके लिए दवाएं देते हैें। साथ ही जरूरत होने पर दोबारा फेरिटिन टेस्ट या अन्य टेस्ट कराने को कह सकते हैं। वहीं, बता दें कि सीडी 4 काउंट की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में फेरिटिन टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। इससे जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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