जानिए मूल बातें
थायरॉइड गले में पाए जाने वाले एक ग्लैंड यानी ग्रंथि को कहा जाता है जो शरीर की कई मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के काम आती है। यह ग्लैंड गले के आगे वाले हिस्से में होता है। वहीं, अल्ट्रासाउंड एक ऐसा तरीका है जिसमे ध्वनि तरंगों का प्रयोग कर के शरीर के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीर ली जाती है। आईये जाने थायरॉइड अल्ट्रासाउंड के बारे में विस्तार से।
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड क्या है?
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड एक ऐसा तरीका है जिसमे तस्वीर के माध्यम से गले के अंदर की ग्रंथि यानी थायरॉइड के रोग के बारे में जानकारी मिलती है। इस अल्ट्रासाउंड के माध्यम से थायरॉइड की असमानताओं को जांचा जाता है थायरॉइड अल्ट्रासाउंड को तब कराने की सलाह दी जाती है जब डॉक्टर को आपके शरीर में निम्नलिखित समस्याएं नजर आएं जैसे:
- आपकी थायरॉइड ग्रंथि में अनचाहा विकास हो जिसे थाइराइड गांठ कहा जाता है
- थायरॉइड ग्रंथि बड़ी हो
- थायरॉइड के अंदर असामान्य लसीका ग्रंथि हो
- गांठे
- ट्यूमर
- सिस्टस
इस टेस्ट के लिए अलग से कोई तैयारी की जरूरत नहीं होती।
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है?
अल्ट्रासाउंड एक बिना दर्द वाला तरीका है जिसमे ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है। इस टेस्ट को अल्ट्रासाउंड और रेडियोलोजी डिपार्टमेंट द्वारा किया जाता है व इसे क्लिनिक में किया जाता है। इस टेस्ट को इस तरह से किया जाता है।
- इस टेस्ट को करने के लिए आपको एक तकिये या किसी नरम चीज के ऊपर अपने गर्दन को रखना है और आराम से लेटना है। आपकी गर्दन थोड़ी खींची होनी चाहिए। अल्ट्रासाउंड करने से पहले तकनीशियन आपकी गर्दन के नीचे तकिया रख देंगे ताकि आपका सिर पीछे की तरफ हो और आपकी गर्दन पूरी तरह से दिख रही हो। यह स्थिति अधिक आरामदायक नहीं होती।
- वहां मौजूद तकनीशियन आपकी गर्दन पर एक जेल लगाएंगे जो ठंडा महसूस होता है।
- तकनीशियन आपके गर्दन में एक वेंड लगाया जाएगा जिसे ट्रांसड्यसर कहा जाता है। आपके गर्दन में ट्रांसड्यसर को धीरे-धीरे चलाया जाता है।
- ट्रांसड्यूसर ध्वनि तरंगों को बंद कर देता है। अब यह ध्वनि तरंगे शरीर में जाएंगी और इनसे एक तस्वीर बनती है।
- इससे आपकी थायरॉइड ग्रंथि की तस्वीर स्क्रीन पर दिखाई देगी। इस तस्वीर को डॉक्टर के पास ले जा कर उन्हें दिखाया जाता है ताकि सही बीमारी के बारे में जाना जा सके।
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड कराने से पहले जानने योग्य बातें
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड कब कराया जाता है?
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड तब कराया जा सकता है अगर आपके थायरॉइड फंक्शन टेस्ट सामान्य न हो या आपके डॉक्टर थायरॉइड में जरूरत से अधिक ग्रोथ हो रही हो। इसलिए थायरॉइड अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जाती है। अगर आपके थायरॉइड ग्लैंड कम या बहुत अधिक कार्य कर रहे हों तब भी यह टेस्ट कराया जाता है।आपके पूरे शरीर की जांच में भी इसे शामिल किया जा सकता है। अल्ट्रासाउंड से उच्च रेसोलुशन तस्वीरें आती है जिससे डॉक्टर आपके स्वास्थ्य के बारे में अच्छे से जान पाते हैं। डॉक्टर आपको यह अल्ट्रासाउंड की सलाह तब भी दे सकते हैं। अगर उन्हें आपके इस हिस्से में सूजन, दर्द और इन्फेक्शन आदि का आभास हो।
अल्ट्रासाउंड की तैयारी
यह अल्ट्रासाउंड अस्पताल में किया जाता है। टेस्ट से पहले अपने शरीर से सभी गहने खासतौर पर गले के गहनों को उतार दें। इसके साथ ही आपको कमर के ऊपर के कपडे उतारने की भी सलाह दी जाती है।
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड के समय और बाद में कैसा महसूस होता है?
- यह टेस्ट पूरी तरह से बिना दर्द के, सरल और जल्दी हो जाता है।
- आमतौर पर थायरॉइड अल्ट्रासाउंड को अधिकतम तीस मिनट लगते है।
- टेस्ट के दौरान आपको अपनी गर्दन को अच्छे से खींचना होता है लेकिन अगर आप को इस दौरान गर्दन में दर्द हो रही हो तो आप अपने तकनीशियन को बता सकते हैं और उनके कहे अनुसार किसी आरामदायक स्थिति में इस प्रक्रिया को करवा सकते हैं।
- जब टेस्ट ख़त्म हो जाए तो आपको कुछ देर बाद अल्ट्रासाउंड की तस्वीर दे दी जायेगी।
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड के बाद मुझे किन बातों की देखभाल करनी चाहिए?
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड के बाद आपको क्या करना चाहिए, यह आपके टेस्ट के परिणामों पर निर्भर कर सकता है। अगर टेस्ट के दौरान आपके डॉक्टर को किसी भी तरह के गांठ होने की संभावना लगती है, तो वह आपको बायोप्सी कराने का निर्देश दे सकते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, आपका डॉक्टर कैंसर का परीक्षण करने के लिए परीक्षण गांठ से तरल पदार्थ खींचने के लिए आपके थायरॉइड की पुटी में एक लंबी, पतली सुई डालते हैं और नमूना लेते हैं।
अगर अल्ट्रासाउंड में कोई असामान्यता नहीं दिखाई देती है, तो आपको किसी अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता नहीं हो सकती है। हालांकि, ऐसी स्थिति में आपका डॉक्टर कुछ-कुछ समय के अंतराल पर दोबार से टेस्ट के लिए बुला सकते हैं। इसके अलावा, आपके डॉक्टर आपके स्वास्थ्य और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी आपसे बात करेंगे। थायरॉइड अल्ट्रासाउंड का तरीका कैंसर के जोखिमों या गांठों की जानकारी कम समय में दे सकता है। यह तरीका दर्द रहित होता है।
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लाभ और जोखिम
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड के लाभ और जोखिम क्या हैं?
लाभ
- अल्ट्रासाउंड करने के लिए किसी भी तरह का इंजेक्शन नहीं लगाया जाता यानी यह दर्द रहित प्रक्रिया होती है।
- यह टेस्ट पूरी तरह से आरामदायक होता है अगर आप को कोई समस्या होती भी है तो यह थोड़ी देर के लिए ही होती है।
- अल्ट्रासाउंड आप कहीं भी करा सकते हैं, इसे कराना भी बहुत आसान है और यह बेहद सस्ता होता है।
- इसमें कोई रेडिएशन का प्रयोग नहीं होता इसलिए यह तरीका पूरी तरह से सुरक्षित है।
- अल्ट्रासाउंड से शरीर के अंगों की वो तस्वीरें भी ली जा सकती हैं जो एक्स रे से सही नहीं आती।
जोखिम
थायरॉइड अल्ट्रासाउंड से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता अर्थात यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं
इसमें कोई संदेह नहीं है कि थायरॉइड अल्ट्रासाउंड पूरी तरह से आसान, दर्द रहित और शीघ्र किया जाने वाला टेस्ट है जिससे आप घातक समस्या का भी आसानी से पता लगा सकते हैंभी इसलिए, अगर आप को भी थाइरॉइड संबंधी समस्या है तो देरी न करें। अपने डॉक्टर की सलाह लेकर तुरंत थायरॉइड अल्ट्रासाउंड करा कर इसका उपचार शुरू कराएं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपका इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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