परिचय
किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) कैसे होता है?
किडनी शरीर का सबसे जरूरी अंग है जो खून में मौजूद अवशिष्ट पदार्थ (Waste) को अलग करने का काम करता है। किडनी फेल होने पर पेशाब की समस्या शुरू हो जाती है या पेशाब से खून आने लगता है। जिसके लिए मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। ऐसे में किसी स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर से एक किडनी निकाल कर मरीज को लगाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को किडनी ट्रांसप्लांट कहते हैं।
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आइए जानें कि किडनी क्यों फेल होती है? किडनी फेल्योर के कई कारण है। किडनी से संबंधित कई बीमारियां किडनी को फेल करने के लिए जिम्मेदार होते हैं :
- डायबिटीज टाइप 1 या टाइप 2
- हाई ब्लड प्रेशर
- ग्लॉमेरुलो नेफ्राइटिस, जो किडनी के फिल्टर यूनिट से संबंधित रोग है
- इन्टरस्टीशियल नेफ्राइटिस, किडनी की नलिओं और संरचना से संबंधित बीमारी है
- पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
- वेसिकोयूरेट्रल रिफ्लक्स, यूरीन से संबंधित बीमारी जो किडनी के कारण होती है
- किडनी में पथरी या कैंसर होना
- पायलोनेफ्राइटिस या किडनी में संक्रमण होना
- ज्यादातर मामलों में गुर्दे के प्रत्यारोपण के बाद मरीज एक स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करता है।
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किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत कब होती है?
लक्षणों के आधार पर डॉक्टर किडनी में समस्या होने पर कुछ टेस्ट कराते हैं। कई तरह की बीमारियों के कारण गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा डॉक्टर आपके शारीरिक परिस्थिति को भी देखते हैं।
- आपका शरीर सर्जरी के योग्य होता है तो डॉक्टर ट्रांस्पलांट करते हैं।
- किडनी ट्रांसप्लांट की बहूत जरूरत होती है।
- जब दवाएं आपके किडनी को ठीक करने मे असफल होती है तो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।
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जोखिम
किडनी ट्रांसप्लांट करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
गुर्दे का प्रत्यारोपण कराना हमेशा बेहतर विकल्प नहीं होता है। इसलिए कुछ मामलों में आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए :
- किसी भी तरह के संक्रमण से ग्रसित होना
- हृदय संबंधी बीमारी
- लिवर की बीमारी
- मेटास्टेटिक कैंसर (पूरे शरीर में फैलने वाला कैंसर)
- एड्स
- डायबिटीज
इसके साथ ही आपको जानना जरूरी है कि किडनी ट्रांसप्लांट के पहले किडनी मिलने में वक्त लगता है। डोनर से किडनी लेने से पहले ब्लड ग्रुप, किडनी की स्थिति आदि डॉक्टर द्वारा चेक किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि कभी-कभी मरीज का शरीर किडनी को स्वीकारता नहीं है। किडनी ट्रांसप्लांट एक बड़ी सर्जरी है। ऐसे में आपको डॉक्टर के पास रेग्यूलर चेक अप के लिए जाना पड़ेगा।
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किडनी ट्रांसप्लांट के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
बढ़ती तकनीकी और आधुनिकता के चलते पिछले कई दशकों से गुर्दे के प्रत्यारोपण का रिस्क कम हुआ है। लेकिन, इसके बावजूद ये सर्जरी पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं है। जैसे :
- प्रकिया से सम्बंधित जोखिम
- इम्यून सिस्टम को दबाने वाली दवाएं (Immunosuppressant)
- ट्रांसप्लांट की गई किडनी के साथ भी कई तरह के रिस्क होते हैं।
कम समय के लिए होने वाली समस्याएं :
- खून की नसों का ब्लॉक होना
- पेशाब की नली का ब्लॉक या लीक होना
- किडनी का देर से काम करना
- संक्रमण
- फ्लूइड का इकट्ठा
- नर्वस डैमेज
- कैंसर
लंबे समय के लिए होने वाली समस्याएं :
- किडनी का फेल होना
- पेशाब की नली का ब्लॉक होना
ऐसा नहीं है कि हर मामले में ये समस्याएं आएं। लेकिन, फिर भी आपको जानना जरूरी है कि सर्जरी के बाद भी किस तरह की समस्याएं सामने आ सकती है।
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प्रक्रिया
किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
ट्रांसप्लांट कराने से पहले आपको मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से तैयार होना चाहिए। सबसे पहले आप किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ से मिलें। किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ आपकी जांच कर के ये कंफर्म करते हैं कि आपका शरीर किडनी ट्रांसप्लांट के लायक है या नहीं। इसके लिए विशेषज्ञ आपका ब्लड सैंपल और एक्स-रे लेगा।
टेस्ट में ये प्रक्रियाएं होती हैं :
- संक्रमण से बचाव के लिए ब्लड और स्कीन टेस्ट होगा।
- इकोकार्डियोग्राम, इकेजी (EKG) या कार्डियक कैथेटराइजेशन जैसे हृदय के टेस्ट होंगे।
- कैंसर की जांच होगी।
- ट्रांसप्लांट की गई किडनी रिजेक्ट न हो इसके लिए टिश्यू और ब्लड टाइप का टेस्ट होगा।
इसके अलावा आप एक से ज्यादा हॉस्पिटल की स्पेशलाइजेशन भी देख सकते हैं। इसके बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट कराने का फैसला लें। अपने विशेषज्ञ से पूछे कि उसने अब तक कितनी किडनी ट्रांसप्लांट की है। कितने ऑपरेशन सफल रहें। इस नंबर की तुलना पर ही आप किडनी ट्रांस्पलांट विशेषज्ञ का चुनाव करें।
इसके बाद आपका विशेषज्ञ आपको वेटिंग लिस्ट में डालेगा। जब तक आप वेटिंग लिस्ट में रहेंगे तब तक डॉक्टर आपको कुछ निर्देश देंगे :
- आपको ट्रांसप्लांट टीम द्वारा दिया गया डायट प्लान अपनाना होगा।
- शराब न पिएं।
- स्मोकिंग न करें।
- अपने वजन को सर्जरी के मुताबिक नियंत्रित करें। अगर ज्यादा है तो वजन कम करने वाली एक्सरसाइज करें।
- समय से डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को लेते रहें।
- डॉक्टर और ट्रांसप्लांट वाली टीम के पास नियमित रूप ले चेकअप के लिए जाते रहें।
- अस्पताल जाने के लिए हमेशा तैयारी कर के रखें। क्योंकि आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कभी भी हो सकती है।
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किडनी ट्रांसप्लांट में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
किडनी ट्रांसप्लांट करने में लगभग तीन घंटे लगते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्ति को सर्जरी से पहले बेहोश किया जाता है। इसके बाद इस तरह की प्रक्रिया की जाती है :
- पेट के निचले हिस्से पर सर्जन एक चीरा (Cut) लगाते हैं।
- सर्जन आपके पेट के निचले हिस्से में नई किडनी को रखते हैं।
- इसके बाद किडनी से सर्जन धमनी और नसों को जोड़ते हैं। ये धमनी और नसें कुल्हे की तरफ जोड़े जाते हैं। जिससे आपके नई किडनी में रक्त संचार (Blood Flows) होने लगता है।
- इसके बाद मूत्रनली (Ureter) को मूत्राशय (Bladder) से जोड़ा जाता है।
- इसके बाद चीरा लगे हुए स्थान पर डॉक्टर टांकें लगाते हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद क्या होता है?
- किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के तीन से चार दिन के बाद आप घर जा सकते हैं।
- सर्जरी के एक महीने बाद ही आप ऑफिस या काम पर जाने योग्य हो पाएंगे। लेकिन तीन से चार महीने तक किसी भी तरह का भारी काम न करें। जैसे- वजन उठाना, दौड़ना आदि।
- सर्जरी के बाद आप हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं। ये एक्सरसाइज आपको सिर्फ एक्टिव रखने के लिए होनी चाहिए। इसलिए बेहतर होगा कि किसी भी तरह की एक्सरसाइज शुरू करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से पूछ लें।
- इन सभी बातों के अलावा अगर आपको किसी भी तरह की समस्या आती है तो अपने सर्जन और डॉक्टर से जरूर मिलें और परामर्श लें।
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रिकवरी
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मुझे खुद का ख्याल कैसे रखना चाहिए?
- किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आपको कई तरह के अपना बहुत ज्यादा ख्याल रखना चाहिए। सर्जरी कराने के लगभग दो से तीन हफ्ते तक आपको हॉस्पिटल के नजदीक ही रुकना चाहिए। ताकि किसी भी तरह की दिक्कत होने पर आप तुरंत डॉक्टर से मिल सकें।
- डॉक्टर और सर्जन द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन सर्जरी के तुरंत बाद से ही शुरू कर दें। इसके बाद भी आप डॉक्टर से एक निश्चित अंतराल पर मिलते रहें। ताकि ट्रांसप्लांट की गई किडनी में होने वाले बदलाव और समस्याओं के बारे में जाना जा सके।
- किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर आपको इम्यूनिटी को दबाने वाली दवाएं (immunosuppressant) देते हैं। ताकि शरीर द्वारा किडनी के रिजेक्ट होने का रिस्क कम हो जाए।
- डॉक्टर द्वारा दिए गए एक्सरसाइज और डायट प्लान को हमेशा और ईमानदारी से फॉलो करते रहें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करने पर आपका किडनी ट्रांसप्लांट सफल हो सकती है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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