भारत को कोरोनावायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किए काफी समय हो चुका है। धीरे-धीरे और लगातार, हम एक राष्ट्र के रूप में COVID19 के खिलाफ इस युद्ध को जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में, आंकड़े कहते हैं कि भारत की लगभग 20 प्रतिशत आबादी ने दो खुराक प्राप्त कर ली है और दूसरी डोज लोगों को दी भी जा रही है। लेकिन कई आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में कम महिलाओं ने अपना टीका प्राप्त किया है। लेकिन यह भी देखा गया है कि महिलाओं में टीकाकरण (Vaccination in women) को लेकर कई तरह के मिथ देखे गए हैं। जिस वजह से वो टीका लगवाने से डर रही हैं। जानिए महिलाओं में टीकाकरण (Vaccination in women) के मिथ और उसके जवाब।
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महिलाओं में टीकाकरण (Vaccination in women) के लिए जरूरी है जागरूकता
महिलाओं में टीकाकरण (Vaccination in women) की बात करें, तो अब तक कि कई रिपोर्ट में देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में टीके की हिचकिचाहट और वैक्सीनेशन से जुड़ें डर अधिक देखे गए हैं। यह COVID19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ा चिंता का विषय है। भारत के लगभग 65% निवासी ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहां टीकों की प्रभावकारिता के बारे में मिथक व्यापक रूप से फैले हुए हैं। महिलाओं में टीकाकरण के दुष्प्रभावों के बारे में बहुत सारी गलत मिथ बैठ चुके हैं। वर्तमान समय में, COVID19 से लड़ने के लिए हमारा एकमात्र हथियार वैक्सीनेशन ही है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने वैक्सीन शॉट्स (Vaccine Shot) को प्राथमिकता देनी चाहिए। हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर्स और एपिडेमियोलॉजिस्ट्स ने पहले ही एक गैर-टीकाकृत आबादी के खतरों के खिलाफ चेतावनी दी है। इसलिए, महिलाओं में टीकाकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मिथकों को दूर करना जरूरी है।
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महिलाओं में टीकाकरण को लेकर मिथक (Myths about vaccination in women)
महिलाओं में टीकाकरण को लेकर जो सबसे ज्यादा मिथ है, वो है कि वैक्सीनेशन महिलाओं में बांझपर का कारण बन सकती है, जो गलत है और बस एक मिथ है। इस बात के प्रमाण हैं कि टीकाकरण के बाद महिलाएं गर्भवती हुई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को वैक्सीनेशन से बचना चाहिए क्योंकि यह चक्र को बाधित करेगा। कई लोगों को यह भी डर है कि टीके से मौत हो जाएगी या कोविड 19 उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। शहरी क्षेत्रों के लोगों ने भी इस तरह के मिथकों को अपने दिमाग पर हावी होने दिया है, लेकिन यह गांवों में अधिक महिलाएं इस तरह के मिथक की शिकार है।
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यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस तरह की जानकारी का कोई आधार नहीं है। लोगों को अफवाहों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, क्योंकि जीवन बचाने के लिए वैक्सीनेशन लेना महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी स्वास्थ्य स्थितियों वाली गर्भवती महिलाओं में कोविड -19 होने की संभावना अधिक होती है, ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) इतनी मजतबूत नहीं होती है। इसलिए, उन्हें सुरक्षित रहने के लिए टीका लगवाना चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में टीकों के लिए कोई ज्ञात खतरे भी नहीं देखे गए हैं। एक टीकाकृत स्तनपान कराने वाली मां में बनी एंटीबॉडी (Antibodies) स्तन के दूध के माध्यम से बच्चे तक जा सकती है, जोकि केवल सुरक्षा के रूप में काम कर सकते हैं। इस प्रकार, कोविड -19 के खिलाफ टीकाकरण नहीं होने से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए अभी बचाव का सबसे बड़ा उपाय वैक्सीनेशन ही है। टीका लगवाने के दुष्परिणाम मामूली होते हैं और इसे कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है। किसी को बुखार, थकान, सिरदर्द, निर्जलीकरण, इंजेक्शन स्थल पर मांसपेशियों में दर्द आदि का अनुभव हो सकता है। ये दुष्प्रभाव सभी में आम हैं।
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सामाजिक मुद्दों से निपटना:
जब हम भारत की ओर देख रहे हैं, तो हम सामाजिक कंडीशनिंग को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। यहां रूढ़िवादी परिवारों में महिलाओं को कम उम्र से ही अपने परिवार की देखभाल करना सिखाया जाता है। अक्सर, गांवों में आज भी महिलाएं अपने निर्णय लेने मे प्रभारी नहीं होती हैं। अगर परिवार के पुरुष टीकाकरण के खिलाफ सलाह देते हैं, तो यह सोचकर कि यह उनकी प्रजनन क्षमता (Fertility) को प्रभावित कर सकती है; तो महिलाएं और भी इससे डरकर पीछे भागने लगती हैं। यह हर महिला के लिए मामला नहीं है, लेकिन भारत में महिलाओं का एक प्रतिशत ऐसे परिदृश्यों से निपटता है।
टीकाकरण तक पहुंच एक और समस्या है। वंचित महिलाओं के लिए पोर्टल तक पहुंचना भी एक काम बन जाता है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त टीके उपलब्ध होने के बावजूद, स्लॉट हमेशा उपलब्ध नहीं होते हैं। इन सभी चुनौतियों की पृष्ठभूमि में, जागरूकता फैलाने और टीके की झिझक को कम करने का एकमात्र तरीका व्यवहार और मानसिकता में बदलाव है। टीकाकरण (Vaccination) से यदि आप टीकाकरण के बारे में भ्रमित हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करने पर विचार करें: कोविड -19 के संपर्क में आने का आपका जोखिम, गंभीर बीमारी के खतरे, टीकाकरण के ज्ञात लाभ, समझें कि इसे कब लेना है, और इसके सीमित लेकिन बढ़ते प्रमाण गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण की सुरक्षा। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त टीके उपलब्ध होने के बावजूद, स्लॉट हमेशा उपलब्ध नहीं होते हैं। इन सभी चुनौतियों की पृष्ठभूमि में, जागरूकता फैलाने और टीके की झिझक को कम करने का एकमात्र तरीका व्यवहार और मानसिकता में बदलाव है।
महिलाओं में टीकाकरण : नजर आ सकते हैं कुछ लक्षण
टीका लगवाने के दुष्परिणाम मामूली होते हैं और इसे कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है। किसी को बुखार (Fever), थकान, सिरदर्द (Headache), इंजेक्शन स्थल पर मांसपेशियों में दर्द आदि का अनुभव हो सकता है। ये दुष्प्रभाव सभी में आम हैं।
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आपकी शंकाओं को दूर करने के लिए टी सर्वोपरि है। यहाa आप क्या कर सकते हैं। यदि आप टीकाकरण के बारे में भ्रमित हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करने पर विचार करें:
- COVID19 के संपर्क में आने परआप में होने वाले जोखिम क्या हैं?
- गंभीर बीमारी के खतरे
- टीकाकरण के लाभ
- समझें कि इसे कब लेना है
- गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण की सुरक्षा के बारे में जानें यहां
क्या आपको चिंतित होना चाहिए?
वैक्सीनेशन में वैसे सभी में बुखार और बदन दर्द जैसे आम लक्षण दिखते हैं।
- अगर किसी महिला को सामान्य से ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है।
- पीरियड्स (Periods) में लंबी देरी होना।
- दो से अधिक चक्रों के लिए मासिक धर्म पैटर्न में भारी परिवर्तन से गुजरना
- जब रजोनिवृत्त (Menopausal) महिलाओं को रक्तस्राव का अनुभव हो रहा हो।
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यदि किसी महिला को सामान्य से अधिक रक्तस्राव हो रहा हो, या माहवारी में लंबे समय तक देरी हो रही हो, या मासिक धर्म के पैटर्न में दो से अधिक चक्रों से अधिक परिवर्तन हो रहा हो, या रजोनिवृत्ति के दौरान महिला को रक्तस्राव का अनुभव हो सलिए, एक समुदाय के रूप में, टीकाकरण प्राप्त करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को शिक्षित और प्रोत्साहित करना अनिवार्य है। इसके अलावा यदि आपको और भी लक्षण नजर आ रहे हैं या महिलाओं में टीकाकरण को लेकर आपके मन में भी कोई डर है, तो आप डॉक्टर से मिलकर सलाह करें। यदि आपको कोई डिजीज है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही वैक्सीनेशन करवाएं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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