प्रीमेच्योर शिशुओं के लिए ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज
प्रीमेच्योर शिशुओं का इम्यून सिस्टम अन्य बच्चों की तरह नहीं होता है। उन्हें इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। उन्हें अधिक देखभाल और सुरक्षा की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत भी अधिक होती है। ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) प्रीमेच्योर बच्चों को वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं।
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डे केयर में रहने वाले बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज
जो बच्चे डे केयर में रहते हैं उनके लिए भी ब्रेस्ट मिल्क बहुत लाभदायक है। ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाने वाले एंटीबॉडीज बच्चों को बचपन में होने वाली कई बीमारियों से बचाते हैं। जिनका शिकार बच्चे डे केयर में बहुत आसानी से हो जाते हैं। अगर मां बीमार है जैसे उसे सर्दी-जुकाम या अन्य कोई बीमारी है, तो भी उसे ब्रेस्टफीडिंग जारी रखनी चाहिए। सामान्य बीमारियों में अपने बच्चे को स्तनपान कराना सुरक्षित होता है। अगर आपकी बीमारी से आपका बच्चा भी प्रभावित हो, तब भी आपको ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) को अपने बच्चे तक पास करना जारी रखना चाहिए। ताकि आपका बच्चा आसानी से इनसे लड़ सके। क्योंकि, अगर बच्चा बीमार होता है, तो यह एंटीबॉडीज उन्हें लड़ने में मदद करती हैं। इसके साथ ही यह ब्रेस्ट मिल्क बीमार बच्चे को न्यूट्रिशन, फ्लूइड और आराम यह सब भी प्रदान करता है।
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ऐसी बहुत ही दुर्लभ स्थितियां होती हैं जब शिशु को ब्रेस्ट मिल्क देने की सलाह नहीं दी जाती है। जैसे मां का बीमार होना या कोई खास दवाई लेना। यानी, मां अगर किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो या कोई दवा ले रही हो। तो डॉक्टर उन्हें स्तनपान कराने से मना कर सकते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। अधिकतर दवाइयां स्तनपान कर रहे शिशु को प्रभावित नहीं करती हैं। लेकिन, डॉक्टर को भी हमेशा शिशु को स्तनपान करा रही मां को दवा के रिस्क और लाभों के बारे में जानने के बाद ही कोई दवा देनी चाहिए। अब जानिए यह एंटीबॉडीज ब्रेस्ट मिल्क में कब होते हैं?
ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी कब होते है?
शुरुआत में जब ब्रेस्ट मिल्क बनता है, तभी से उनमें इम्युनिटी बूस्टिंग एंटीबॉडीज होती हैं। कोलोस्ट्रम, वो पहला दूध है जो मां अपने बच्चे के लिए बनाती है और यह एंटीबॉडीज से भरा होता है। ऐसे में शिशु के जन्म के तुरंत बाद अगर आप अपने बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क देती हैं तो यह उसके लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। शोधकर्ता भी इस बात को मानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग शिशु के लिए जरूरी है। इसलिए, शिशु के जन्म के शुरू के 6 महीनों से दो साल तक उसे मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (Center for Disease control and Prevention) के अनुसार ब्रेस्ट मिल्क अधिकतर शिशुओं जिनमें प्रीमेच्योर और बीमारी नवजात शिशुओं के लिए सबसे बेहतर न्यूट्रिशन प्रदान करता है।