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ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस को ना करें नजरअंदाज!

Written by डॉ. प्रदीप महाजन · इंटरनल या जनरल मेडिसिन · Seniority


अपडेटेड 18/02/2022

    ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस को ना करें नजरअंदाज!

    आर्थराइटिस जोड़ों की बीमारी है और इसके कई अलग-अलग प्रकार हैं। इन्हीं में से एक बीमारी है इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस (Inflammatory Arthritis [IA]) की समस्या। इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस के दौरान जोड़ों में सूजन की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसा दरअसल इम्यून रिएक्शन (Immune reaction) या इंफेक्शन (Infection) की वजह से होता है। इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस की समस्या होने पर व्यक्ति अपने रेग्यूलर काम को भी करने में असमर्थ हो जाता है। इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस में कई अलग-अलग तरह की आर्थराइटिस की समस्या होती है। जैसे: रूमेटाइड (Rheumatoid), रिएक्टिव (Reactive), सोरायटिक (Psoriatic) एवं गाउट आर्थराइटिस (Gout arthritis) की समस्या। यह हमेशा ध्यान रखें कि इस तरह के आर्थराइटिस की तकलीफ बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी देखी जा सकती है। बच्चों में होने वाले आर्थराइटिस की समस्या को जुवेनाइल इडियोपैथिक या जुवेनाइल रूमेटाइड आर्थराइटिस (Juvenile Idiopathic or Juvenile Rheumatoid Arthritis) कहते हैं। ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (Autoimmune Inflammatory Arthritis) से जुड़ी पूरी बातों को जरूर समझें। इसके साथ ही यह भी समझें कि इस कोविड 19 के वक्त में इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस पेशेंट्स किन बातों का रखें ध्यान, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (Autoimmune Inflammatory Arthritis) के बारे में।

    ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (Autoimmune Inflammatory Arthritis) क्या है?

    सबसे पहले ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस या जोड़ों की बीमारी के शुरू होने वाले शब्द ऑटोइम्यून के बारे में जान लेते हैं। ऑटोइम्यून का अर्थ है इम्यून सिस्टम (Immune system) में मौजूद फॉरेन बॉडीज के रूप में मौजूद सेल्स। अगर सामान्य शब्दों में समझें, तो किसी कारण या गलती से इम्यून सिस्टम में मौजूद सेल्स जॉइन्ट्स के टिशू पर हमला करता है और उनपर नेगेटिव प्रभाव डालता है। ऐसी स्थिति में जोड़ों में सूजन की समस्या शुरू हो जाती है। हालांकि किन कारणों की वजह से ऐसा होता है, यह अभी भी ठीक तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन इसके कारण जेनेटिक (Genetic), इन्वायरमेंटल फैक्टर्स (Environmental factors) या (Lifestyle) अनहेल्दी लाइफ स्टाइल हो सकती है। ऐसा माना जाता है। ऐसी स्थिति में या इस तकलीफ को अपने आपसे दूर रखने के लिए इसके लक्षणों के बारे में जरूर जानें।

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    ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Autoimmune Inflammatory Arthritis)

    ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस के लक्षण इस प्रकार हैं। जैसे:

  • जॉइन्ट्स में जकड़न महसूस होना।
  • ठंड के मौसम में और सुबह के वक्त जॉइन्ट यानी जोड़ों से जुड़ी परेशानी ज्यादा महसूस होना।
  • जॉइन्ट्स में सूजन आना।
  • जॉइन्ट्स का लाल होना।
  • जोड़ों वाले हिस्से का तापमान सामान्य से ज्यादा होना।
  • मूवमेंट के दौरान परेशानी महसूस होना।
  • इन लक्षणों के अलावा चोट लगने या स्पोर्ट्स इंजरी होने की स्थिति में तकलीफ और ज्यादा बढ़ सकती है। यही नहीं ऑटोइम्यून आर्थराइटिस कुछ अन्य सिस्टमिक सिम्टम्स (Systemic symptoms) जैसे बुखार (Fever) आदि से भी जुड़े होते हैं। हालांकि बढ़ती उम्र में भी ऑटोइम्यून आर्थराइटिस (Autoimmune arthritis) की समस्या हो सकती है।

    नोट: डिजनरेटेड आर्थराइटिस (Degenerative arthritis) की समस्या बढ़ती उम्र में होती है, लेकिन ऑटोइम्यून आर्थराइटिस (Autoimmune arthritis) की समस्या किशोरावस्था में भी शुरू हो सकती है। इसलिए अगर जोड़ों से जुड़ी कोई तकलीफ महसूस होती है, तो इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए और ऐसे वक्त में कंसल्टेशन करना आवश्यक होता है।

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    ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस को मैनेज कैसे करें? (How to manage Autoimmune Inflammatory Arthritis)

    ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस या जोड़ों की बीमारी को मैनेज करने के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है। ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (Autoimmune Inflammatory Arthritis) का इलाज इसके टाइप पर निर्भर करता है। दवाओं की मदद से सूजन को कम किया जा सकता है मेडिकेशन के अलावा सेल-बेस्ड थेरिपी (Cell-based therapy) की भी मदद ली जाती है। इस थेरिपी की मदद से ऑटोइम्यून कंडिशन (Autoimmune condition) को ठीक किया जा सकता है। दरअसल इस थेरिपी के दौरान बीएमएसी (बोन मैरो कंसन्ट्रेट)और पीआरपी (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) विधियों का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस की तकलीफ को दूर रखने के लिए या इस बीमारी से निजात पाने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें।

    कोविड 19 पेंडमिक (COVID 19 Pandemic) के इस वक्त में कई शारीरिक परेशानियों का खतरा ज्यादा रहता है। वहीं अगर आप ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (Autoimmune Inflammatory Arthritis) की समस्या से पीड़ित हैं, तो ऐसे वक्त में मरीजों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।

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    इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस और कोविड 19: क्या यह वक्त है ज्यादा खतरनाक?

    कोरोना वायरस हम सभी के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं है। वहीं अगर कोई सिस्टमिक सिम्टम्स (Systemic symptoms) जैसी शारीरिक परेशानियों से पीड़ित है, तो उनके लिए यह महामारी का ये वक्त अत्यधिक सतर्कता बरतने की ओर इशारा करता है। वहीं अगर इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस (Inflammatory arthritis) के पेशेंट को भी एक्स्ट्रा केयर की जरूरत पड़ती है।

    नोट: ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (Autoimmune Inflammatory Arthritis) या इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस (Inflammatory arthritis) का कोविड 19 (COVID 19) का सीधा प्रभाव पड़ता है या नहीं यह कह पाना थोड़ा कठिन है, लेकिन ऐसे वक्त में प्रिकॉशन लेना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसलिए घर में सुरक्षित रहें और स्वास्थ्य मंत्रालय के ओर से जारी की गईं गाइडलाइंस को फॉलो करें।

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    इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस (Inflammatory arthritis) के पेशेंट अगर कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएं, तो क्या करें?

    अगर आप इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस (ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस) या जोड़ों की समस्या के पेशेंट हैं और कोविड 19 इंफेक्शन (COVID 19 Infection) होने पर सबसे पहले डॉक्टर से कंसल्ट करें। अगर आपको कोरोना वायरस के लक्षण (Symptoms of Coronavirus) नजर आ रहें हैं, तो इसे इग्नोर ना करें। क्योंकि डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन और आप जिन दवाओं का सेवन करते हैं, उसे ध्यान में रखते हुए ट्रीटमेंट शुरू करते हैं। इस दौरान हेल्थ एक्सपर्ट कोविड 19 इंफेक्शन को कैसे कम करें इस ओर ध्यान ज्यादा केंद्रित करते हैं। इसके साथ ही जॉइन्ट फंक्शन (Joint function) को भी ध्यान में रखा जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से विशेष निर्देश जारी किये गए हैं, जो व्यक्ति लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Prolonged corticosteroid) या एमिनो सप्रेसेंट (Immunosuppressant) दवाओं का सेवन करते हैं, उन्हें कोविड 19 वैक्सिनेशन (COVID-19 Vaccination) जरूर लेना चाहिए। हेल्थ केयर प्रोवाइडर आपको इससे जुड़ी पूरी जानकारी आपसे शेयर करेंगे और आपको आपके हेल्थ और मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखकर इम्पोर्टेन्ट टिप्स शेयर करेंगे।

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    “प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर (Prevention is better than cure)” इससे तो हमसभी परिचित हैं। इसलिए कोविड 19 पेंडमिक (COVID 19 Pandemic) के ऐसे वक्त में डरे नहीं और डर ना फैलाएं। ऐसे वक्त में हेल्दी लाइफ स्टाइल मेंटेन करें। अगर आप किसी भी प्रिस्क्राइब्ड दवाओं का सेवन करते हैं, तो उसे डॉक्टर के बताये अनुसार लें। इसके साथ ही मेडिटेशन (Meditation), योग (Yoga) या एक्सरसाइज (Workout) जरूर करें। ऐसा करने से आप कोरोना वायरस के खतरे को भी टाल सकते हैं और आर्थराइटिस (Arthritis) की वजह से होने वाली तकलीफों से भी बच सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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