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हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स ...जोड़ों से जुड़ी इस तकलीफ के बारे में जरूर जानें।

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/05/2021

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स ...जोड़ों से जुड़ी इस तकलीफ के बारे में जरूर जानें।

    बॉडी के जॉइन्ट्स के मूवमेंट के दौरान जरूरत से ज्यादा मूव करने पर महसूस होने वाले दर्द को मेडिकल टर्म में हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) कहते हैं। हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। वहीं रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार 58.7% भारतीय बच्चे हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की समस्या के शिकार हैं। इस आर्टिकल में हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स से जुड़ी पूरी जानकारी आपसे शेयर करने जा रहें हैं।

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) क्या है?

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints)

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की समस्या शरीर के किसी खास जॉइन्ट पर या पूरे शरीर में होने वाली परेशानी है। ऐसा माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह तकलीफ ठीक हो सकती है। जोड़ों से जुड़ी इस परेशानी के लिए ज्यादातर दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति एथलीट (Athletes), जिम्नास्ट (Gymnasts) या डांसिंग (Dancing) जैसे किसी अन्य प्रोफेशन से जुड़ा हुआ है, तो उन्हें हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) की समस्या हो सकती है, क्योंकि इन्हें अपनी बॉडी को जरूरत से ज्यादा एक्स्टेंड करने की जरूरत पड़ती है।

    नोट: हायपरमोबिलिटी (Hypermobility) या हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) की समस्या को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। जैसे: जॉइन्ट लेग्जीटी (Joint laxity) या हायपरलेग्जीटी (Hyperlaxity), डबल जॉइन्टेड (Double-jointed), लूज जॉइन्ट (Loose joints) या हायपरमोबिलिटी सिंड्रोम (Hypermobility syndrome)।

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    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) की समस्या शरीर के कौन-कौन से हिस्से पर महसूस की जा सकती है?

    निम्नलिखित शारीरिक अंगों में हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की समस्या महसूस की जा सकती है। जैसे:

    अगर किसी बच्चे को हायपरमोबिलिटी (Hypermobility) की समस्या है, उम्र बढ़ने के साथ-साथ बॉडी मूवमेंट में परेशानी होना।

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    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स के कारण क्या हैं? (Cause of Hypermobile joints)

    हायपरमोबिलिटी सिंड्रोम (Hypermobility syndrome) हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स का मुख्य कारण माना जाता है। इसके अलावा निम्नलिखित कारण हायपरमोबाइल जॉइन्ट के हो सकते हैं। जैसे:

    • हड्डियों की बनावट (Bone shape) ठीक ना होना या जॉइन्ट सॉकेट (Joint sockets) से जुड़ी परेशानी होना।
    • मांसपेशियां कमजोर होना
    • सोचने-समझने (Proprioception) की क्षमता कम होना।
    • परिवार में हायपरमोबिलिटी की समस्या होना।
    • जोड़ों से जुड़ी परेशानी या दर्द के कारण हायपरमोबिलिटी सिंड्रोम (Hypermobility syndrome) होना।

    इन कारणों के अलावा अन्य मेडिकल कंडिशन की वजह से भी हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की समस्या हो सकती है। इन मेडिकल कंडिशन में शामिल है:

    • डाउन सिंड्रोम (Down syndrome) की समस्या होना।
    • बोन डिसेबिलिटी, जिसे क्लिडोक्रानियल डिसोस्टोसिस (Cleidocranial dysostosis) की समस्या होना।
    • एहलर्स-दानलॉस सिंड्रोम (Ehlers-Danlos syndrome) की समस्या होना। इस सिन्ड्रोम की वजह से बॉडी की एलास्टिसिटी पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है।
    • कनेक्टिव टिशू डिसऑर्डर (Connective Tissue Disorder) या मार्फन सिंड्रोम (Marfan syndrome) की समस्या होना।
    • मॉर्कियो सिंड्रोम (Morquio syndrome) होना।

    ये अलग-अलग तरह की सिंड्रोम हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) की समस्या को दावत देने में सक्षम होते हैं। इसलिए इन बीमारियों का इलाज ठीक तरह से करवाना बेहद जरूरी होता है।

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    डॉक्टर से कब कंसल्ट करना है जरूरी?

    निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से कंसल्ट करें। जब-

    • जॉइन्ट्स को मूव करने में परेशानी हो या मूवमेंट के दौरान या बाद में दर्द हो।
    • जोड़ों के आसपास बदलाव आना।
    • हाथ या पैर मूव ना कर पाना।

    इन स्थितियों के साथ-साथ अगर और कोई भी परेशानी मसल्स या बोन हेल्थ से जुड़ी महसूस कर रहें हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Hypermobile joints?)

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की तकलीफ उम्र बढ़ने के साथ-साथ खुद ठीक हो सकती है, लेकिन अगर उम्र बढ़ने के बाद तकलीफ भी बढ़ने लगे तो इसका इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:

    • फिजियोथेरिपिस्ट (Physiotherapist) की मदद से जोड़ों से जुड़ी इस परेशानी को धीरे-धीरे कम की जाती है।
    • अगर जॉइन्ट्स में सूजन, जलन या दर्द अगर असहनीय हो, तो ऐसे में डॉक्टर पैरासीटामोल (Paracetamol) एवं अन्य एंटी इंफ्लामेटरी पेन किलर (Anti-inflammatory painkillers) दवा प्रिस्क्राइब करते हैं।

    इन ऊपर बताये 2 अलग-अलग तरहों से हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स का इलाज किया जाता है।

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    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की तकलीफ को दूर करने के लिए घरेलू उपाय क्या हैं? (Home remedies for Hypermobile joints?)

    अगर आपको हायपरमोबिलिटी की समस्या रहती है, तो निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं। जैसे:

    • गुनगुने पानी से स्नान (Warm baths) करें
    • हॉट बैग या हॉट बोतल (Hot water bottles) से जॉइन्ट्स की सिकाई करें।
    • आप जॉइन्ट्स को गर्माहट पहुंचाने वाले क्रीम (Heat-rub cream) से मसाज कर सकते हैं।
    • फिजिकल एक्टिविटी के दौरान ध्यान रखें कि आपको चोट ना लगे या आप गिरे नहीं।

    इन घरेलू उपायों के साथ-साथ आप योगासन भी अपने दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

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    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की तकलीफ को दूर करने के लिए 🧘‍♀️ योग (Yoga for Hypermobile joints)

    हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints)

    हायपरमोबिलिटी (Hypermobility) या हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) में निम्नलिखित योगासन किये जा सकते हैं। जैसे:

    अधोमुख श्वानासन योग (Adho Mukha Svanasana)

    अधोमुख श्वानासन को अष्टांग योग का सबसे महत्वपूर्ण योगासन माना जाता है। सूर्य नमस्कार के 7 आसनों में से एक आसान अधोमुख श्वानासन ही है। इस योगासन को करने से पैर और हाथों पर ज्यादा दवाब पड़ता है, जिससे जोड़ों और मसल्स को मजबूती मिलती है।

    त्रिकोण आसन (Triangle Pose)

    इस आसन को बॉडी को स्ट्रेट रखकर किया जाता है। इस योग को अपने दिनचर्या में शामिल करें से हिप्स (Hips), जॉइन्ट्स (Joints), पैरों (Leg) और छाती (Chest) को स्ट्रॉन्ग बनाया जा सकता है।

    सेतु-बंध आसन (Bridge pose)

    सेतु-बंध आसन को नियमित करने से घुटनों (Knee) की मांसपेशियों (Muscles) को मजबूत किया जा सकता है। वहीं ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के मरीजों को भी इस आसान का लाभ मिलता है। इस योगासन से मस्तिष्क (Brain) को शांत कर टेंशन फ्री (Tension free) रहने में मदद मिल सकती है।

    भुजगांसन (Bhujangasana)

    योग गुरुओं की मानें,तो इस आसन को रोजाना करने से जोड़ों के दर्द (Joints pain) की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसलिए हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स के पेशेंट्स के लिए भुजगांसन खास माना जाता है।

    धनुरासन (Dhanurasana)

    जोड़ों के दर्द या बैक पेन की समस्या को दूर करने के लिए यह आसन रामबाण माना जाता है। इसलिए हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) के मरीजों को इस आसन को अवश्य करना चाहिए।

    नोट: इन ऊपर बताये योगासनों से हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स (Hypermobile joints) की समस्या से राहत पाया जा सकता है, लेकिन अगर आपने पहले योग नहीं किया है, तो पहले योगा एक्सपर्ट से योगासनों को समझें और योग करने का सही तरीका जानें और फिर इसे निमियत दिनचर्या में शामिल करें।

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    योग से जुड़ी जानकारियों के लिए नीचे दिए इस वीडियो पर क्लिक करें और अपने दिनचर्या में योग रोजाना शामिल करें 🧘‍♀️

    अगर हायपरमोबाइल जॉइन्ट्स की समस्या समझ आये या बच्चे अपनी तकलीफ को आपसे शेयर करें, तो उनकी बातों को इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द इलाज शुरू करवाएं। अगर आप एथलीट (Athletes), जिम्नास्ट (Gymnasts) या डांसिंग (Dancing) जैसे किसी अन्य प्रोफेशनसे जुड़े हुए हैं, तो भी जोड़ों में होने परेशानी को टाले नहीं और डॉक्टर से कंसल्ट करें।

    कहीं आपभी दर्द से जुड़े अनसुलझे सवालों में तो नहीं हैं फंसे! नीचे दिए इस क्विज को खेलिए और जानिए जॉइन्ट से जुड़े मिथ और फैक्ट्स को।

    डिस्क्लेमर

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