अगर किसी व्यक्ति को ऊपर बताये लक्षण निम्नलिखित स्थिति महसूस होती है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जैसे:
- दर्द की वजह से किसी भी वस्तु को पकड़ने में कठिनाई होना या हाथों से काम नहीं कर पाना।
- रोजमर्रा के काम काज में परेशानी होना।
- हाथों में झनझनाहट होना या हाथों का सुन्न होना।
- हाथों की सेंसेटिविटी कम होना
यह हमेशा ध्यान रखें कि अगर कोई भी शारीरिक परेशानी महसूस होती है, तो उसे नजअंदाज नहीं करना चाहिए। किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआत में करने से उस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
इस आर्टिकल में आगे जानेंगे की रिस्ट पेन (Wrist pain) की तकलीफ किन कारणों की वजह होती है, जिससे ऐसी किसी भी बीमारी को दस्तक देने से रोका जा सके।
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कलाई में दर्द के कारण क्या हैं? (Cause of Wrist pain)
शरीर में मौजूद हड्डियां पिलर की तरह काम करती हैं। अगर शरीर के किसे भी अंग की हड्डियां कमजोर पड़ने लगे या इन हड्डियों में कोई परेशानी महसूस हो, तो समझ जाइये कि अब आपकी तकलीफ बढ़ने वाली है। ठीक उसी तरह कलाई भी 8 अलग-अलग हड्डियों से मिलकर बनी है, जिससे हमसभी काम करते हैं। अगर कलाई से संबंधित कोई परेशानी शुरू हो जाए, तो सोचिये ये कितनी गंभीर परिथिति पैदा कर सकती है। इसलिए इसके कारणों को समझना अत्यधिक आवश्यक है। कलाई में दर्द (Wrist pain) के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
- किसी भी कारण चोट लगना
- हाथों में मोच आना या फ्रैक्चर होना
- ज्यादा देर तक कंप्यूटर या मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना
- पहले से गठिया की बीमारी होना
कलाई में दर्द (Wrist pain) के ये चार मुख्य कारण माने जाते हैं, लेकिन कभी-कभी वजन बढ़ने की वजह से भी कलाई में दर्द की समस्या हो सकती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार वजन बढ़ने की वजह से कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome) की समस्या हो सकती है। कार्पल टनल सिंड्रोम भी कलाई में दर्द से संबंधित शारीरिक परेशानी है।
कलाई में दर्द का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Wrist pain)
रिस्ट पेन (Wrist pain) के इलाज से पहले और बीमारी की गंभीरता को देखते हुए निम्नलिखित टेस्ट की सलाह दे सकते हैं या डॉक्टर खुद फिजिकल चेकअप कर सकते हैं। जैसे:
- कलाई को 60 सेकंड के लिए आगे की ओर बेंड करना। इससे कलाई या हाथों में होने वाली सुन्नता या झनझनाहट की स्थिति को समझा जा सकता है।
- कलाई के बीचोबीच नर्व को दबाकर देखना। ऐसा करने से नर्व पेन की स्थिति को समझा जा सकता है।
- किसी वस्तु को होल्ड करना। ऐसा करने से डॉक्टर आपके हाथों के ग्रिप को समझ सकते हैं।
- कलाई की एक्स-रे (X-Ray) – एक्स-रे से जॉइंट्स और हड्डी की स्थिति की जानकारी मिल जाती है।
- एलेक्ट्रोग्राफी (Electromyography)- इस टेस्ट से नर्व की स्थिति का पता लगाया जाता है।
- नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्ट (Nerve conduction velocity test)- इस टेस्ट से भी नर्व की जानकारी ली जाती है।
- जॉइंट्स के फ्लूइड का भी टेस्ट किया जा सकता है, जिससे कैल्शियम की जानकारी मिल सकती है।
- इन ऊपर बताये टेस्ट के अलावा ब्लड टेस्ट (Blood test) और यूरिन टेस्ट (Urine test) की भी सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।