डायबिटीज के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज की समस्या बदलती जीवनशैली के कारण बढ़ती जा रही है। डायबिटीज कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन दिन प्रतिदिन डायबिटीज पेशेंट्स की बढ़ती संख्या इस बीमारी के प्रति सतर्क जरूर करते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में डायबिटीज के पेशेंट्स की संख्या 77 मिलियन है और आने वाले सालों में डायबिटीज पेशेंट्स की संख्या बढ़ सकती है। वहीं कुछ अन्य शारीरिक कारण भी डायबिटीज की समस्या को दावत दे सकती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) से जुड़ी जानकारी शेयर करने जा रहें हैं। इसके साथ ही बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क पर क्या है रिसर्च रिपोर्ट्स यह भी जानेंगे।
- बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क क्या है?
- बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज से जुड़े रिसर्च क्या हैं?
- डायबिटीज के रिस्क को कैसे करें कम?
- बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी के कारण कौन-कौन सी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है?
चलिए बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) क्या है?
बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी (Bilateral Oophorectomy) क्या है?
जब दोनों ओवरी को रिमूव कर दिया जाए, तो ऐसी स्थिति में बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी (Bilateral oophorectomy) कहते हैं। वहीं अगर सर्जरी के दौरान सिर्फ एक ओवरी को रिमूव किया जाए, तो इसे ओफोरेक्टॉमी (Oophorectomy) कहते हैं। ओफोरेक्टॉमी की प्रक्रिया यूट्रस को रिमूव करने के लिए भी फॉलो की जाती है, जिसे मेडिकल टर्म में हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) भी कहते हैं। ओवरी और यूट्रस के बारे में पढ़कर यह आसानी से समझा जा सकता है कि बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी महिलाओं से जुड़ी समस्या है, लेकिन बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी की वजह से डायबिटीज की समस्या क्यों हो सकती है और इससे जुड़े रिसर्च रिपोर्ट्स क्या कहते हैं इसे भी समझेंगे, लेकिन डायबिटीज (Diabetes) के बारे में भी संछेप में समझ लेते हैं।
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डायबिटीज (Diabetes) क्या है?
डायबिटीज जिसे मेडिकल टर्म में डायबिटीज मेलेटस भी कहा जाता है। यह मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारियों में से एक है। लम्बे वक्त तक अगर ब्लड में शुगर लेवल अगर ज्यादा रहने लगे, तो ऐसी स्थिति डायबिटीज की समस्या को दावत दे सकती है। डायबिटीज की समस्या भी अलग-अलग तरह की होती है जैसे टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes), टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) एवं जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)। अब यहां यह समझना जरूरी है कि बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) पर क्या है रिसर्च।
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बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज से जुड़े रिसर्च क्या हैं? (Research on Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk)
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association), नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) एवं ऑस्ट्रेलिया के दि डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ, स्टेट गवर्नमेंट ऑफ विक्टोरिया (The Department of Health, State Government of Victoria, Australia) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मेनोपॉज के पहले अगर ओवरी को रिमूव किया जाए, तो डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी 45 से 49 साल की महिलाओं में देखी जा सकती है। बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी की स्थिति ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं, जानकारी की कमी, मोटापे की समस्या या फिर कम उम्र शादी होना बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी की स्थिति पैदा कर सकती है। इसलिए अगर रिपोरोडक्टिव ऑर्गन से जुड़ी कोई भी समस्या होती है, तो उसे इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) दोनों पर अभी रिसर्च की जा रही है, लेकिन महिलाओं को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। वहीं रिपोर्ट्स के अनुसार महिलाओं को रिप्रोडक्टिव ऑर्गन से जुड़ी सभी तरह की बातों को समझना चाहिए और अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए।
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डायबिटीज के रिस्क को कैसे करें कम? (Tips to prevent Diabetes)
डायबिटीज की समस्या अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण भी हो सकती है। शरीर का ब्लड शुगर लेवल ना बिगड़े इसलिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
- पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन करें।
- बार-बार खाने (Frequent eating) की आदत से बचें।
- मौसमी फल (Fruits) एवं सब्जियों (Vegetables) का सेवन करें।
- पैक्ड जूस (Juice) एवं खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
- नियमित एक्सरसाइज (Workout), योग (Yoga) या वॉक (Walk) करें।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन कम से कम करें।
- स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
- तनाव (Stress) से बचें।
- 7 से 9 घंटे की नींद (Sleep) लें।
इन बातों को ध्यान में रखकर और इन्हें फॉलो कर डायबिटीज की समस्या से बचा जा सकता है।
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बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk): बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी के कारण कौन-कौन सी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है? (Risk factor of Bilateral Oophorectomy)
मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी के कारण डायबिटीज (Diabetes) के अलावा निम्नलिखित बीमारियों (Other Health Condition) का भी खतरा बढ़ सकता है। जैसे:
- मेनोपॉज (Menopause) के लक्षण जैसे वजायना ड्राय (Vaginal dryness) होना या ऐसी ही कोई अन्य परेशानी।
- डिप्रेशन (Depression) या एंग्जाइटी (Anxiety) की समस्या होना।
- हार्ट डिजीज (Heart disease) का खतरा बढ़ना।
- मेमोरी (Memory) से जुड़ी समस्या होना।
- सेक्स ड्राइव (Sex drive) कम होना।
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की समस्या होना।
इन बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है। इसलिए डॉक्टर से इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में समझें और इससे बचाव के बारे में समझें।
अगर आप बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं कि बाईलेटरल ओफोरेक्टॉमी और डायबिटीज रिस्क (Bilateral Oophorectomy and Diabetes Risk) के बारे में समझने में सुविधा हुई होगी। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी डायबिटिक हैं, तो उन्हें ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस बनाये रखने की सलाह दें, जिससे अन्य बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है।
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