परिचय
एनाफिलैक्टिक शॉक क्या है? (Anaphylactic shock)
एनाफिलैक्टिक शॉक एक तरह की एलर्जी होती है, जो काफी गंभीर समस्या है। इससे जान जाने का खतरा भी बना रहता है। ये एलर्जी कुछ मिनट या सेकेंड्स में हो जाती है। यह खाने की कुछ चीजों या किसी कीड़े जैसे मधुमक्खी के काटने से हो सकती है। इस बीमारी को एनाफिलेक्सिस या सीवर एलर्जिक रिएक्शन भी कहा जाता है।
एनाफिलैक्टिक शॉक होने से आपके इम्यून सिस्टम से ऐसे रासायनिक पदार्थ निकलते हैं जो आपके ब्लड प्रेशर को अचानक कम कर देते हैं। जिन अंगों से शरीर के अंदर हवा या सांस जाती है उसे भी संकरा कर देते हैं। इसके लक्षणों की बात करें तो त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं और जी मिचलाता है। कुछ खाद्य पदार्थ और दवाएं एनाफिलेक्सिस को बढ़ा सकती हैं।
एनाफिलैक्टिक शॉक के लक्षणों को कम करने के लिए एपिनेफ्रीन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। यदि एनाफिलेक्सिस का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो यह घातक हो सकता है। यह एक दुर्लभ बीमारी है और ज्यादातर लोग इससे ठीक हो जाते हैं।
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लक्षण
एनाफिलैक्टिक शॉक के लक्षण क्या हैं? (Anaphylactic shock symptoms)
एनाफिलैक्टिक शॉक में आम एलर्जी की तरह ही लक्षण दिखते हैं जैसे नाक से पानी आना या शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना। धीरे-धीरे समस्या बढ़ने लगती है और फिर ये लक्षण दिखते हैं:
- खांसी आना, सीने में दर्द होना, खुजी और सीने में जकड़न होना।
- बेहोशी, चक्कर या कमजोरी होना।
- शरीर पर दाने, खुजली, सूजन और लाल चकत्ते पड़ना।
- बार-बार छींक आना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- दिल की धड़कन तेज हो जाना।
- सूजन।
- होठों और जीभ पर खुजली होना।
- गले में सूजन और खराश होना।
- आवाज भारी हो जाना, निगलने में परेशानी, गले में जकड़न, उल्टी, दस्त और ऐंठन होना।
- अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाना।
- डायरिया हो जाना।
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कारण
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
- अगर आपको, आपके बच्चे या आपके साथ रहने वाले किसी अन्य व्यक्ति को ये एनाफिलैक्टिक शॉक जैसी गंभीर एलर्जी है तो तुरंत इलाज करवाएं। लक्षण कम होने का इंतजार ना करें।
- यदि एलर्जी वाले व्यक्ति के पास एपिनेफ्रीन ऑटो ऑनजेक्टर (epinephrine auto injector) का इंजेक्शन है तो उसे तुरंत लगा दें। अगर इंजेक्शन लगाने के बाद लक्षणों में सुधार होता है, तो भी आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने से यह पता चल जाएगा कि लक्षण फिर से तो नहीं होंगे। अगर दोबारा लक्षण दिखाई देते है। तो उसे बाइफेसिस एनाफ्लैक्सिस कहा जाता है।
- अपने चिकित्सक को देखने के लिए एक नियुक्ति करें अगर आपको या आपके बच्चे को पहले से गंभीर एलर्जी का दौरा पड़ा हो या एनाफिलेक्सिस के लक्षण हों। एनाफिलैक्टिक शॉक का परीक्षण लंबा और मुश्किल हो सकता है।
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एनाफिलैक्टिक शॉक होने के कारण क्या हैं? (Anaphylactic shock Causes)
- आपका इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज पदार्थों को रिलीज करता है जो शरीर में बाहर से आने वाले बैक्टीरिया और वायरस को खत्म कर देता है। वहीं कुछ लोगों के इम्यून सिस्टम पर ऐसे खाद्य पदार्थों का बुरा असर पड़ता है जो आमतौर पर एलर्जी का कारण नहीं होते हैं।
- एलर्जी के लक्षण हमेशा जानलेवा नहीं होते हैं लेकिन एनाफिलैक्टिक शॉक जैसी एलर्जी के लक्षण जानलेवा हो सकते हैं। अगर किसी बच्चे में कभी थोड़े भी एनाफिलैक्टिक शॉक के लक्षण दिखाई दिए हों तो आगे चलकर कोई भी खाद्य पदार्थ उसके लिए एलर्जी का कारण बन सकता है।
- बच्चों को सबसे ज्यादा इन खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है। मूंगफली, ट्री नट्स, मछली, अंडा, गेहूं, शेलफिश और दूध।
वहीं वयस्कों एलर्जी (Allergy) के कारण होते हैं:
- शेलफिश
- बादाम, काजू
- मूंगफली
- कुछ लोग बहुत सेंसिटिव होते हैं जिन्हें खाद्य पदार्थों की महक से ही रिएक्शन हो जाता है। वहीं कुछ को दवाइयों से भी एलर्जी हो जाती है। ये दवाइयां हैं:
- पेनिसिलिन
- एनेस्थीसिया के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां
- एस्पिरिन, आईब्यूप्रूफेन
- कुछ को रबड़, गुब्बारे, दस्तानों से भी एलर्जी हो सकती है।
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परीक्षण
एनाफिलैक्टिक शॉक का परीक्षण कैसे होता है? (Anaphylactic shock Diagnosis)
- डॉक्टर इलाज से पहले इसका परीक्षण करते हैं। वो आपसे कुछ सवाल पूछ सकते हैं। जैसे आपको किन-किन चीजों से एलर्जी है। इसके अलावा किसी खाद्य पदार्थ, दवाई, रबड़ से एलर्जी होने के अलावा कीड़े के काटने की भी जानकारी ले सकते हैं।
- इसके अलावा डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट भी करवा सकते हैं। इससे डॉक्टर ये पता लगाते हैं एनाफिलैक्टिक शॉक होने के बाद आपके शरीर में एंजाइम की मात्रा कितनी बढ़ गई है।
- आपके कुछ स्किन टेस्ट भी हो सकते हैं।
इलाज
एनाफिलैक्टिक शॉक का इलाज क्या है? (Anaphylactic shock treatment)
एनाफिलैक्टिक शॉक एलर्जी गंभीर होती है। ये बीमारी अगर हो जाती है तो घर पर बैठकर ठीक होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। जान लीजिए एलर्जी होने पर क्या करें?
- अगर आपको रिएक्शन होने का कारण पता है तो तुरंत इलाज शुरू करवा दें।
- अगर आप बिना किसी कठिनाई के निगल पा रहे हैं तो एंटीहिस्टामाइन कैप्सूल लें।
- यदि आपको घबराहट हो रही है या सांस लेने में कठिनाई हो रही है तो एक उपलब्ध ब्रोंकोडाईलेटर जैसे अल्ब्युटेरोल का उपयोग करें।
- यदि सिर दर्द हो रहा है या आपको बेहोशी आ रही है तो आराम से पलंग पर लेट जाइए और अपने पैरों को ऊपर उठा लें। इससे मस्तिष्क रक्त का संचार होगा और सिर दर्द या बेहोशी जैसे लक्षण कम हो जाएंगे।
- यदि डॉक्टर ने आपको एपिनेफ्रिन दी है, तो इसे अपने आप को इंजेक्ट करें।
- अस्पताल में आपको ज्यादा मात्रा में एपिनेफ्रीन के इंजेक्शन लगाए जा सकते हैं। आपको ग्लूकोकार्टोइकोड(GLUCOCORTICOIDS) और एंटीहिस्टामाइन भी दिया जाएगा। ये दवाएं वायु नली में सूजन को कम करने में मदद करती हैं। जिससे आप ठीक से सांस ले पाते हो।
- अगर आपके शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत होती है तो डॉक्टर वो भी देते हैं।
- एनाफिलैक्टिक शॉक होने पर आपमें जो भी लक्षण दिख रहे होंगे, उन सबका इलाज किया जाएगा।
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जरूरी जानकारी
एनाफिलैक्टिक शॉक (Anaphylactic shock) से जुड़ी जरूरी जानकारी
- एनाफिलैक्टिक शॉक होने के 6 घंटे बाद असर दिखाना शुरू करता है। कभी-कभी रिएक्शन तुरंत हो जाता है। जितनी जल्दी लक्षण दिखेंगे उतनी जल्दी इलाज शुरू किया जा सकेगा। कभी-कभी रिएक्शन इतना बढ़ जाता है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है।
- अस्पताल से निकलने से पहले डॉक्टर की टीम आपको जो दवाइयां दें उसे समय पर लें, वर्ना ये रिएक्शन दोबारा शुरू हो जाएगा या जिंदगी भर बना रहेगा।
- एपिनेफ्रीन ऑटो इंजेक्टर (AUTO INJECTOR) को हर समय अपने साथ रखना चाहिए।
- एपिनेफ्रीन की एक खुराक होती है जिसे आसानी से शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है। जब भी आपको लक्षण दिखें, आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। एपिनेफ्रीन को जांघ की मांसपेशी में इंजेक्ट किया जाता है। यह बेहद प्रभावी होता है।
- भले ही आपने खुद को एपिनेफ्रीन दे रखा हो लेकिन डॉक्टरों की दी हुई दवाई लेते रहें।
- लक्षण खत्म होने के बाद बार-बार डॉक्टर से चेकअप कराते रहें।
अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपका कोई सवाल है तो हमारे फेसबुक पेज पर भी पूछ सकते हैं।
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