परिचय
इओसिनोफिलिया (Eosinophilia) क्या है?
इओसिनोफिलिया ब्लड में इओसिनोफिल की बढ़ी संख्या होने की स्थिति को बताता है। यह स्थिति ज्यादातर पैरासिटिक इंफेक्शन (parasitic infection), एलर्जी रिएक्शन (allergic reaction) या कैंसर (cancer) का संकेत देती है। असल में शरीर में इओसिनोफिल सेल्स के स्तर के बढ़ने को इओसिनोफिलिया कहा जाता है।
इओसिनोफिल (Eosinophils) एक तरह के बीमारी से लड़ने वाले व्हाइट ब्लड सेल होते हैं। ये सेलुलर इम्यून सिस्टम के सामान्य हिस्सा है। इम्यून सिस्टम के लिए ये बेहद जरूरी होते हैं। सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं में ये अहम भूमिका निभाते हैं। ये पैरासिटिक इंफेक्शन और एलर्जिक रिएक्शन के प्रति शरीर को सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
इओसिनोफिलिया को एलर्जी की समस्या भी कहते हैं। इओसिनोफिलिया रोग होने पर व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कुछ लोगों को दुम घुटने का भी अनुभव हो सकता है। उन्हें किसी आहार या दवा से एलर्जी की भी समस्या हो सकती है। साथ ही, उनके गले में सूजन की भी समस्या हो सकती है। इओसिनोफिलिया के कारण दिल, दिमाग, किडनी फेलियर की भी समस्या हो सकती है। इसलिए सही समय पर इसका उपचार कराना जरूरी होता है।
इओसिनोफिलिया तब होता है जब प्रति माइक्रोलीटर में 500 से अधिक इओसिनोफिल (Eosinophils) होते हैं।
- हल्का (Mild): 500 to 1500/mcL
- मॉडरेट (Moderate): 1500 to 5000/mcL
- गंभीर (Severe): > 5000/mcL
इओसिनोफिलिया दो तरह के होते हैं:
ब्लड इओसिनोफिलिया (Blood eosinophilia): जब खून में इओसिनोफिल कोशिकाओं का स्तर बढ़ता है तो इसे ब्लड इओसिनोफिलिया कहते हैं।
टिश्यू इओसिनोफिलिया (Tissue eosinophilia): शरीर में संक्रमण या सूजन से प्रभावित शरीर के ऊतकों में यदि व्हाइट ब्लड सेल्स का स्तर बढ़ता है तो इसे टिश्यू इओसिनोफिलिया कहते हैं।
इओसिनोफिलिक डिसऑर्डर (Eosinophilic disorders) जिस समस्या को दर्शाते हैं उसी नाम से जाने जाते हैं:
इओसिनोफिलिक सिस्टिटिस (Eosinophilic cystitis): यह एक ब्लेडर डिसऑर्डर है।
इओसिनोफिलिक फाससिटिस (Eosinophilic fasciitis): यह प्रावरणी (fascia) का एक विकार है, जिसमें कनेक्टिग टिश्यू डैमेज हो जाते हैं।
इओसिनोफिलिक गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Eosinophilic gastroenteritis): पेट और आंत से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक गैस्ट्रिटिस (Eosinophilic gastritis): पेट से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक निमोनिया (Eosinophilic pneumonia): फेफड़ों से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक कोलिटिस (Eosinophilic colitis): कोलन (बड़ी आंत) से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक इसोफेगाइटिस (Eosinophilic esophagitis): इसोफेगस से जुड़ा डिसऑर्डर
और पढ़ें: Migraine: माइग्रेन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपचार
लक्षण
इओसिनोफिलिया (Eosinophilia) के लक्षण क्या हैं?
यदि आपको इओसिनोफिलिया है तो लक्षण नीचे दिये गए लक्षणों द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं। यदि इओसिनोफिलिया मामूली रूप में बढ़ा हुआ है तो हो सकता है इसका कोई लक्षण नजर न आए। लेकिन गंभीर स्थिति में शरीर का कोई अंग डैमेज हो सकत है। इओसिनोफिलिया के कॉमन लक्षण:
- रैशेज (Rash)
- खुजली (Itching)
- डायरिया (पैरासाइट इंफेक्शन के मामले में) (Diarrhea, in the case of parasite infections)
- अस्थमा (Asthma)
- बहती नाक (खासकर एलर्जी से जुड़ा हो) (Runny nose, particularly if associated with allergies)
- घबराहट (Nervousness)
- सांस लेने में दिक्कत (Shortness of breath)
- पेट में दर्द (Stomach pain)
- बुखार (Fever)
- खांसी (Cough)
- त्वचा पर चकत्ते (Skin rashes)
- लिम्फ नोड्स के आकार का बड़ा होना (Enlargement of lymph nodes)
हो सकता है उपरोक्त बताए लक्षण से भी अलग कुछ लक्षण हो। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
और पढ़ें: Anal Fistula : भगंदर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
कारण
इओसिनोफिलिया (Eosinophilia) के क्या कारण हैं?
इओसिनोफिलिया होने के कई कारक हो सकते हैं। नीचे कुछ ऐसे स्वास्थ्य स्थितियां बताई गई हैं जिनके कारण इओसिनोफिलिया की स्थिति पैदा हो सकती है:
- एलर्जी और अस्थमा (Allergies and asthma)
- किसी दवा से एलर्जी (Drug allergy)
- एडरीनल कंडीशन (Adrenal conditions)
- स्किन डिसऑर्डर (Skin disorders)
- टॉक्सिन्स (Toxins)
- ट्यूमर (Tumors)
- ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune disease)
- एंडोक्राइन डिसऑर्डर (Endocrine disorders)
- पैरासाइट संक्रमण (parasite infection)
- ब्लड डिसऑर्डर और कैंसर (Blood disorders and cancers)
आंतों और प्रणालियों को शामिल करने वाले रोग, जैसे
- स्किन (Skin)
- फेफड़े (Lungs)
- जोड़ों, मांसपेशियों और कनेक्टिव टिशू (Joints, muscles and connective tissue
- हृदय (Heart)
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम (Gastrointestinal system)
- न्यूरोलॉजिकल सिस्टम (Neurological system)
[mc4wp_form id=’183492″]
इन बीमारियों के कारण भी हो सकता है ब्लड और टिश्यू इओसिनोफिलिया:
- एलर्जी (Allergies
- एस्केरिस (Ascariasis)
- अस्थमा (Asthma)
- एक्जिमा (eczema)
- कैंसर (Cancer)
- क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease)
- ड्रग एलर्जी (Drug allergy)
- इोसिनोफिलिक इसोफेगाइटिस (Eosinophilic esophagitis)
- इोसिनोफिलिक ल्यूकेमिया (Eosinophilic leukemia)
- हे फीवर (Hay fever)
- हाईपीरियोसिनोफिलिक सिंड्रोम (Hypereosinophilic syndrome)
- लिम्फेटिक फाइलेरिसिस (Lymphatic filariasis (a parasitic infection)
- ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer)
- पैरासिटिक इंफेक्शन (Parasitic infection)
- प्राइमरी इम्यूनोडेफिशिएंसी (Primary immunodeficiency)
- ट्रिकोनोसिस (Trichinosis)
- अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)
और पढ़ें: Anorexia Nervosa: एनोरेक्सिया नर्वोसा क्या है? जानें कारण, लक्षण और इलाज
निदान
इओसिनोफिलिया (Eosinophilia) के बारे में पता कैसे लगाएं?
दूसरे ब्लड डिसऑर्डर की तरह इओसिनोफिलिया का पता कंप्लीट ब्लड टेस्ट (सीबीसी) के द्वारा लगाया जा सकता है। इओसिनोफिल व्हाइट ब्लड सेल्स में से एक हैं जो सीबीसी टेस्ट में पाए जाते हैं। इस रिपोर्ट में हर तरह के व्हाइट बल्ड सेल्स की जानकारी होती है।
इओसिनोफिलिया का पता लगाने के बाद आपका डॉक्टर इसका कारण जानने की कोशिश करते हैं। इसका कारण आपके लक्षण पर भी निर्भर करता है। इसमें आपको निगलने में परेशानी, पेट दर्द, उल्टी, अन्नप्रणाली में खाना फंसने जैसी परेशानी हो सकती है। निदान के लिए अन्नप्रणाली की बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है। ज्यादातर पैरासाइट इंफेक्शन के निदान के लिए स्टूल सैंपल का परीक्षण किया जाता है। कई बार इसके लिए वह हेमाटोलॉजिस्ट को दिखाने के लिए भी कह सकते हैं।
इओसिनोफिलिया का कारण पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको इनमें से किसी टेस्ट को कराने के लिए कह सकते हैं:
- लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests)
- छाती का एक्स-रे (Chest X-rays)
- टिशू और बोन मैरो बायोप्सी (Tissue and bone marrow biopsies)
- स्टूल सैंप्ल टेस्टिंग (Stool sample testing)
- यूरिन टेस्ट (Urine tests)
- दूसरे ब्लड टेस्ट (Further blood tests)
और पढ़ें: Ascaris worms : एस्केरिस वॉर्म क्या है?
उपचार
इओसिनोफिलिया (Eosinophilia) का उपचार कैसे किया जाता है?
इओसिनोफिलिया का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। हो सकता इसके इलाज के दौरान डॉक्टर आपकी कोई दवा रोक दें। क्योंकि कई दवा की वजह से भी यह स्थिति होने की संभावना रहती है। डॉक्टर आपको कुछ चीजों को डायट से बाहर करने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा एंटी-इंफेक्टिव औऱ एंटी-इन्फलामैटेरी दवाओं का सेवन बंद कर सकते हैं।
इओसिनोफिलिया होने का जो कारण है डॉक्टर आपको उस रोग की दवा रिकमेंड करेंगे। इलाज के लिए निम्नलिखित कुछ ऑप्शन हैं जिन्हें डॉक्टर रिकमेंड कर सकते हैं:
- यदि आपका इओसिनोफिलिया माइल्ड है तो डॉक्टर आपके द्वारा ली जा रही पहले से दवाओं को बंद कर कुछ समय बाद दोबारा जांच के लिए कह सकते हैं।
- अस्थमा, एक्जिमा और एलर्जी के लिए अधिक थेरेपी दे सकते हैं।
- पैरासाइट इंफेक्शन के इलाज के लिए एंटी-पैरासिटिक दवाएं दे सकते हैं।
- हाइपेरोसिनोफिलिक सिंड्रोम का इलाज करने के लिए प्रेडनिसोन जैसे स्टेरॉयड का उपयोग किया जा सकता है।
और पढ़ें : खाने से एलर्जी और फूड इनटॉलरेंस में क्या है अंतर, जानिए इस आर्टिकल में
घरेलू उपचार
इओसिनोफिलिया के लिए घरेलू उपचार क्या हो सकते हैं?
इओसिनोफिलिया के लिए घरेलू उपचार के लिए आप निम्न तरीकों को अपना सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
इओसिनोफिलिया में क्या खाना चाहिए?
इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज – नीम
ऐसे व्यक्तियों को खाना खाने के बाद नीम के पत्तों का एक चम्मच जूस पीना चाहिए। नीम के पत्ते खून सीफ करने के साथ ही शरीर में मौजूद संक्रमण को भी खत्म करने में मदद करते हैं।
इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज – शहद या मधु
आप अपने डॉक्टर से सलाह पर सुबह-शाम एक छोटा चम्मच मधु का भी सेवन कर सकते हैं।
इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज – प्याज
अगर किसी को इओसिनोफिलिया की समस्या है, तो उन्हें हर रोज सुबह एक चम्मच प्याज का रस, एक गिलास में पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज – अदरक
आप चाहें तो अदरक से बनी चाय पी सकते हैं या फिर आप अदरक का रस पी सकते हैं। हालांकि, आप अगर अदरक का रस पी रहे हैं, तो ऐसे आपको सिर्फ कुछ ही दनों तक करना चाहिए। एक बार आपको अपने डॉक्टर की परामर्श भी अवश्य लेनी चाहिए।
इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज – शहद और काली मिर्च
आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर एक चम्मच शहद का सेवन करना चाहिए। आप अपने डॉक्टर की परामर्श पर दिन में एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं। काली मिर्च और शहद के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है।
इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज – मेथी
एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच मेथी पाउडर मिलाकर रोजाना गरारा करने से काफी राहत मिल सकती है। मेथी के सेवन से शरीर में मौजूद इंफेक्शन को खत्म करनेऔर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
हमें उम्मीद है कि इओसिनोफिलिया के बारे में अब आप समझ गए होंगे। इससे बचने के लिए आपको यहां बताई गई बातों को फॉलो करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।