के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
इओसिनोफिलिया ब्लड में इओसिनोफिल की बढ़ी संख्या होने की स्थिति को बताता है। यह स्थिति ज्यादातर पैरासिटिक इंफेक्शन (parasitic infection), एलर्जी रिएक्शन (allergic reaction) या कैंसर (cancer) का संकेत देती है। असल में शरीर में इओसिनोफिल सेल्स के स्तर के बढ़ने को इओसिनोफिलिया कहा जाता है।
इओसिनोफिल (Eosinophils) एक तरह के बीमारी से लड़ने वाले व्हाइट ब्लड सेल होते हैं। ये सेलुलर इम्यून सिस्टम के सामान्य हिस्सा है। इम्यून सिस्टम के लिए ये बेहद जरूरी होते हैं। सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं में ये अहम भूमिका निभाते हैं। ये पैरासिटिक इंफेक्शन और एलर्जिक रिएक्शन के प्रति शरीर को सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
इओसिनोफिलिया को एलर्जी की समस्या भी कहते हैं। इओसिनोफिलिया रोग होने पर व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कुछ लोगों को दुम घुटने का भी अनुभव हो सकता है। उन्हें किसी आहार या दवा से एलर्जी की भी समस्या हो सकती है। साथ ही, उनके गले में सूजन की भी समस्या हो सकती है। इओसिनोफिलिया के कारण दिल, दिमाग, किडनी फेलियर की भी समस्या हो सकती है। इसलिए सही समय पर इसका उपचार कराना जरूरी होता है।
इओसिनोफिलिया तब होता है जब प्रति माइक्रोलीटर में 500 से अधिक इओसिनोफिल (Eosinophils) होते हैं।
ब्लड इओसिनोफिलिया (Blood eosinophilia): जब खून में इओसिनोफिल कोशिकाओं का स्तर बढ़ता है तो इसे ब्लड इओसिनोफिलिया कहते हैं।
टिश्यू इओसिनोफिलिया (Tissue eosinophilia): शरीर में संक्रमण या सूजन से प्रभावित शरीर के ऊतकों में यदि व्हाइट ब्लड सेल्स का स्तर बढ़ता है तो इसे टिश्यू इओसिनोफिलिया कहते हैं।
इओसिनोफिलिक डिसऑर्डर (Eosinophilic disorders) जिस समस्या को दर्शाते हैं उसी नाम से जाने जाते हैं:
इओसिनोफिलिक सिस्टिटिस (Eosinophilic cystitis): यह एक ब्लेडर डिसऑर्डर है।
इओसिनोफिलिक फाससिटिस (Eosinophilic fasciitis): यह प्रावरणी (fascia) का एक विकार है, जिसमें कनेक्टिग टिश्यू डैमेज हो जाते हैं।
इओसिनोफिलिक गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Eosinophilic gastroenteritis): पेट और आंत से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक गैस्ट्रिटिस (Eosinophilic gastritis): पेट से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक निमोनिया (Eosinophilic pneumonia): फेफड़ों से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक कोलिटिस (Eosinophilic colitis): कोलन (बड़ी आंत) से जुड़ा डिसऑर्डर
इओसिनोफिलिक इसोफेगाइटिस (Eosinophilic esophagitis): इसोफेगस से जुड़ा डिसऑर्डर
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यदि आपको इओसिनोफिलिया है तो लक्षण नीचे दिये गए लक्षणों द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं। यदि इओसिनोफिलिया मामूली रूप में बढ़ा हुआ है तो हो सकता है इसका कोई लक्षण नजर न आए। लेकिन गंभीर स्थिति में शरीर का कोई अंग डैमेज हो सकत है। इओसिनोफिलिया के कॉमन लक्षण:
हो सकता है उपरोक्त बताए लक्षण से भी अलग कुछ लक्षण हो। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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इओसिनोफिलिया होने के कई कारक हो सकते हैं। नीचे कुछ ऐसे स्वास्थ्य स्थितियां बताई गई हैं जिनके कारण इओसिनोफिलिया की स्थिति पैदा हो सकती है:
आंतों और प्रणालियों को शामिल करने वाले रोग, जैसे
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इन बीमारियों के कारण भी हो सकता है ब्लड और टिश्यू इओसिनोफिलिया:
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दूसरे ब्लड डिसऑर्डर की तरह इओसिनोफिलिया का पता कंप्लीट ब्लड टेस्ट (सीबीसी) के द्वारा लगाया जा सकता है। इओसिनोफिल व्हाइट ब्लड सेल्स में से एक हैं जो सीबीसी टेस्ट में पाए जाते हैं। इस रिपोर्ट में हर तरह के व्हाइट बल्ड सेल्स की जानकारी होती है।
इओसिनोफिलिया का पता लगाने के बाद आपका डॉक्टर इसका कारण जानने की कोशिश करते हैं। इसका कारण आपके लक्षण पर भी निर्भर करता है। इसमें आपको निगलने में परेशानी, पेट दर्द, उल्टी, अन्नप्रणाली में खाना फंसने जैसी परेशानी हो सकती है। निदान के लिए अन्नप्रणाली की बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है। ज्यादातर पैरासाइट इंफेक्शन के निदान के लिए स्टूल सैंपल का परीक्षण किया जाता है। कई बार इसके लिए वह हेमाटोलॉजिस्ट को दिखाने के लिए भी कह सकते हैं।
इओसिनोफिलिया का कारण पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको इनमें से किसी टेस्ट को कराने के लिए कह सकते हैं:
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इओसिनोफिलिया का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। हो सकता इसके इलाज के दौरान डॉक्टर आपकी कोई दवा रोक दें। क्योंकि कई दवा की वजह से भी यह स्थिति होने की संभावना रहती है। डॉक्टर आपको कुछ चीजों को डायट से बाहर करने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा एंटी-इंफेक्टिव औऱ एंटी-इन्फलामैटेरी दवाओं का सेवन बंद कर सकते हैं।
इओसिनोफिलिया होने का जो कारण है डॉक्टर आपको उस रोग की दवा रिकमेंड करेंगे। इलाज के लिए निम्नलिखित कुछ ऑप्शन हैं जिन्हें डॉक्टर रिकमेंड कर सकते हैं:
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इओसिनोफिलिया के लिए घरेलू उपचार के लिए आप निम्न तरीकों को अपना सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
ऐसे व्यक्तियों को खाना खाने के बाद नीम के पत्तों का एक चम्मच जूस पीना चाहिए। नीम के पत्ते खून सीफ करने के साथ ही शरीर में मौजूद संक्रमण को भी खत्म करने में मदद करते हैं।
आप अपने डॉक्टर से सलाह पर सुबह-शाम एक छोटा चम्मच मधु का भी सेवन कर सकते हैं।
अगर किसी को इओसिनोफिलिया की समस्या है, तो उन्हें हर रोज सुबह एक चम्मच प्याज का रस, एक गिलास में पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
आप चाहें तो अदरक से बनी चाय पी सकते हैं या फिर आप अदरक का रस पी सकते हैं। हालांकि, आप अगर अदरक का रस पी रहे हैं, तो ऐसे आपको सिर्फ कुछ ही दनों तक करना चाहिए। एक बार आपको अपने डॉक्टर की परामर्श भी अवश्य लेनी चाहिए।
आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर एक चम्मच शहद का सेवन करना चाहिए। आप अपने डॉक्टर की परामर्श पर दिन में एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं। काली मिर्च और शहद के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है।
एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच मेथी पाउडर मिलाकर रोजाना गरारा करने से काफी राहत मिल सकती है। मेथी के सेवन से शरीर में मौजूद इंफेक्शन को खत्म करनेऔर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
हमें उम्मीद है कि इओसिनोफिलिया के बारे में अब आप समझ गए होंगे। इससे बचने के लिए आपको यहां बताई गई बातों को फॉलो करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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