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4. लोसार्टन (losartan)
लोसर्टन खासकर हाई ब्लड प्रेशर, किडनी, लिवर या हार्ट से जुड़ी परेशानियों के लिए डॉक्टर पेशेंट को देते हैं लेकिन, अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो अपने डॉक्टर को इस बारे में जरूर बातएं और इसे न खाएं क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत भी हो सकती है।
5. एटोर्वास्टेटिन (atorvastatin)
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए डॉक्टर एटोर्वास्टेटिन प्रिस्क्राइब करते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान इस ड्रग्स के लेने से गर्भ में पल रहे शिशु को हाइपरकॉलेस्ट्रोलेमा (hypercholesterolemia) होने का खतरा बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी में आहार: क्या है इसका महत्व? (Pregnancy Food)
प्रेग्नेंसी में आहार की बात करें, तो ये किसी भी गर्भवती महिला के लिए जरूरी साबित होता है। यह गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे (भ्रूण) के विकास के लिए आवश्यक होता है। मां के आहार से ही गर्भ में पल रहे बच्चे को संपूर्ण पोषण मिलता है और उचित खानपान प्रसव में भी योगदान देता है।
गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन बढ़ना तय होता है। एक स्वस्थ महिला का वजन 11 से 16kg तक बढ़ता है। इसलिए वजन बढ़ने से घबराए नहीं बल्कि अपनी डाइट पर ध्यान दें। प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान फोलिक एसिड (folic acid), आयरन (iron), विटामिन-सी, विटामिन-डी, कैल्शियम (calcium), ओमेगा-3, ओमेगा-6, और फैटी एसिड (fatty acid) जैसे पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इन तत्वों से युक्त खादृय पदार्थों के सेवन से गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे का ठीक तरह से विकास संभव हो सकता है।
गर्भावस्था के फर्स्ट ट्राइमेस्टर (गर्भधारण से लेकर 12 सप्ताह) में फोलिक एसिड में प्रचुर पदार्थों का सेवन करना चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाह से फोलिक एसिड सप्लिमेंट्स (folic acid supplements) भी लिए जा सकते हैं। इसके आलावा आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का भी सेवन ज्यादा करना चाहिए। इस दौरान महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) की समस्या रहती है। इससे निपटने के लिए विटामिन बी-6 को गर्भवती महिला अपने डायट चार्ट में शामिल करना चाहिए।
दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला का आहार ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त हों चाहिए। इससे गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क का विकास उचित रूप से होगा। हेल्दी स्किन और साफ रक्त के लिए बीटा कैरोटीन को डायट प्लान में शामिल करें। चाय या कॉफी का सेवन न करें क्योंकि उसमें मौजूद टैनिन शरीर में आयरन के अवशोषण को कठिन बनाता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए गर्भवती महिला का आहार चयन करें।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही (third trimester) में प्रेग्नेंट लेडीज को अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। आपको इस समय 200-300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। तीसरी तिमाही में गर्भवती महिला का आहार इन बातों का ध्यान में रखकर ही तय करें।
किन चीज़ों को रखें दूर?
चाय या कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है। इसलिए एक दिन में दो कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए। जो नुकसानदायक हो सकती है। वहीं गर्भावस्था के दौरान एल्कोहॉल और सिगरेट नहीं पीना चाहिए। इन दोनों का ही आपके और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है।
प्रेग्नेंसी में व्यायाम: कितना जरूरी? (Pregnancy Exercises)
गर्भावस्था के नौ महीने महिलाओं के लिए बहुत संवेदनशील होते हैं। इस दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहना भी जरूरी होता है। मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए यह बहुत जरूरी है। कई बार महिलाओं को प्रेग्नेंसी (Pregnancy) में एक्सरसाइज और योग करने की भी सलाह दी जाती है। ऐसे में किन बातों का ख़्याल रखना जरूरी है, आइए जानते हैं।
- कोई भी व्यायाम शुरू करने के पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और फिर व्यायाम शुरू करें।
- एक्सरसाइज करने के पहले वॉर्मअप करें। वॉर्मअप करने से शरीर एक्टिव होता है और इसके बाद एक्सरसाइज करें। सीधे एक्सरसाइज करने से शरीर में मांसपेशियों का खिंचाव हो सकता है।
- भारी-भारी वेट नहीं उठाना चाहिए। इससे आपके पेट पर दवाब पड़ेगा, सांस लेने में परेशानी होगी और इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ेगा।
- आसान एक्सरसाइज करें और ज्यादा टफ एक्सरसाइज न करें।
- कम से कम आधे घंटे रोज एक्सरसाइज करें या फिर हफ्ते में 5 दिन जरूर करें।
- एक्सरसाइज वही करें जो आपके डॉक्टर ने आपको करने की सलाह दी हो। अपने मर्जी से व्यायाम न करें।
- ऐसा कोई भी व्यायाम न करें, जिसके करने से थकावट महसूस हो।
- गर्भावस्था के दौरान सुबह-शाम टहलने से ताजी हवाएं मिलती हैं, जो आपके और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए लाभकारी होता है।
- ध्यान लगाने की मुद्रा में बैठें। इससे शांति मिलेगी और एनर्जेटिक फील करेंगी।
- धीरे-धीरे अनुलोम-विलोम करें। ऐसा करने से दूषित पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है।
- शरीर को हाय ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के खतरे को कम करता है।