फंक्शन
डिक्लोमोल (Diclomol) कैसे काम करता है?
कई दवाओं को मिलाकर तैयार किए गए डिक्लोमोल का इस्तेमाल मस्कुलोस्केलेटल (musculoskeletal) से जुड़े दर्द और जलन का इलाज करने के साथ ज्वाइंट डिसऑर्डर और मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और क्रैंप का इलाज करने के लिए किया जाता है। डिक्लोमोल का सेवन डॉक्टरी सलाह के अनुसार ही किया जाना चाहिए, नहीं तो इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं। यह दवा डेक्लोफेनेक और पैरासिटामोल के कॉम्बिनेशन से तैयार की जाती है।
डोसेज
डिक्लोमोल (Diclomol) का सामान्य डोज क्या है?
दवा यदि टेबलेट के रूप में सेवन कर रहे हैं तो डॉक्टरी सलाह के अनुरूप ही सेवन करें। चाहे तो भोजन के साथ और बिना भोजन के सेवन कर सकते हैं, लेकिन जरूरी है कि पहले डॉक्टरी सलाह ली जाए। वहीं जेल और इंजेक्शन के इस्तेमाल को लेकर डॉक्टरी सलाह लें।
ओवरडोज की स्थिति में क्या करना चाहिए?
सुझाए गए डोज से यदि कोई ज्यादा डोज ले लेता है तो उस स्थिति में डॉक्टरी सलाह जरूरी हो जाती है। कई मामलों में मेडिकल इमरजेंसी तक की जरूरत पड़ती है।
डिक्लोमोल (Diclomol) का डोज मिस होने पर क्या करना चाहिए?
यदि कोई व्यक्ति डिक्लोमोल का सेवन करना भूल जाता है तो जरूरी है कि जितना जल्दी संभव हो दवा का सेवन करना चाहिए। वहीं यदि अगले डोज का समय हो गया है तो छूटे हुए डोज को रहने दें अभी वाले डोज का सेवन करें। कभी भी दो डोज का सेवन एक साथ न करें।
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उपयोग
डिक्लोमोल (Diclomol) का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
डॉक्टर के सुझाए अनुसार ही दवा का सेवन करना चाहिए। लंबे समय तक दवा का सेवन करने और ज्यादा मात्रा में दवा का सेवन करने से साइड इफेक्ट् भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि डॉक्टरी सलाह ली जाए। इस दवा को चाहे तो खाना खाने के तुरंत बाद सेवन कर सकते हैं। ऐसे करने से पेट में इरीटेशन संबंधी परेशानियों से बच सकते हैं। वहीं दवा को चबाना नहीं है। किसी प्रकार का दुष्परिणाम दिखें तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। बिना डॉक्टरी सलाह के दवा शुरू करना और बंद करना आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
इस दवा से विभिन्न बीमारियों का होता है इलाज
एंकोलोसिंग स्पोंडिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) : एंकोलोसिंग स्पोंडिलाइटिस के कारण होने वाले दर्द और सख्त मांसपेशियों को सामान्य करने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
बरसाइटिस (Bursitis) : ज्वाइंट में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
टेंडिनिटिस (Tendinitis) : शरीर के ऐसे टिशू जो मसल्स और हडि्डयों से जुड़े होते हैं उसमें होने वाले दर्द और सूजन को कम करने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) : इस दवा का इस्तेमाल रयूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द, सूजन और स्टिफनेस को कम करने के लिए किया जाता है।
ऑस्टिओअर्थराइटिस (Osteoarthritis) : ऑस्टियोअर्थराइटिस की बीमारी होने के कारण ज्वाइंट में होने वाले दर्द को कम करने व मरीज को राहत पहुंचाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
डिस्मेनोरोइया (Dysmenorrhea) : पीरियड्स के दौरान होने वाले अत्यधिक दर्द और क्रैम्प से मरीज को निजात दिलाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
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साइड इफेक्ट्स
डिक्लोमोल (Diclomol) के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
इस दवा के सेवन से होने वाले साइड इफेक्ट्स पर एक नजर
- पेट में दर्द
- कब्जियत
- डायरिया
- जी मचलाना और उल्टी
- स्किन रैशेज
- कान में आवाज आना (टिनिटस-Tinnitus)
- गैस्ट्रिक/माउथ अल्सर
- पेशाब से खून निकलना और क्लाउडी यूरिन
- एनीमिया
- थकान
- असामान्य ब्लीडिंग या ब्रशिंग
एलर्जी : ऐसे मरीज जिन्हें डिकोफिनेक (diclofenac), पैरासिटामोल सहित अन्य एनएसएआईडी दवाओं से एलर्जी या इनमें पाए जाने वाले तत्वों से एलर्जी है उनको इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
किडनी डिजीज : एनलगेसिक नेफ्रोपैथी (किडनी डिजीज) के रोग से ग्रसित मरीजों को इस दवा का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस रोग से ग्रसित मरीजों को यदि पेनकिलर दिया जाए तो उनकी स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है। इसलिए बीमारी से ग्रसित लोग डॉक्टरी सलाह जरूर लें, तभी इस दवा का सेवन करें।
लिवर इम्पेयरमेंट : ऐसे मरीज जो लिवर डिजीज से ग्रसित होते हैं उन्हें इस दवा के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि संभावनाएं रहती है कि इस दवा का सेवन करने से उनकी स्थिती और गंभीर हो सकती है। इसलिए बीमारी से ग्रसित लोग डॉक्टरी सलाह जरूर लें, तभी इस दवा का सेवन करें।
पेप्टिक अल्सर : मरीज जो पेप्टिक अल्सर जैसी बीमारी से ग्रसित होते हैं उन्हें इस दवा के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि संभावनाएं रहती है कि इस दवा का सेवन करने से उनकी स्थिती और गंभीर हो सकती है। इसलिए बीमारी से ग्रसित लोग डॉक्टरी सलाह जरूर लें, तभी इस दवा का सेवन करें।
कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी (सीएबीजी) : ऐसे मरीज जो क्रोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी करवाने वाले होते हैं, या करवा चुके होते हैं उन्हें इस दवा के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि संभावनाएं रहती है कि सर्जरी के बाद इस दवा का सेवन करने से उनकी स्थिती और गंभीर हो सकती है। इसलिए बीमारी से ग्रसित लोग डॉक्टरी सलाह जरूर लें, तभी इस दवा का सेवन करें।
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सावधानी और चेतावनी
डिक्लोमोल (Diclomol) का इस्तेमाल करने से पहले मुझे क्या जानना चाहिए?
ब्रेस्टफीडिंग : जब तब एकदम जरूरी न हो जाए तबतक शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं को डिक्लोमोल दवा का सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है। जरूरी है कि दवा का सेवन करने के पूर्व डॉक्टर के इसके रिस्क और बेनिफिट्स के बारे में विचार विमर्श कर लिया जाए।
प्रेग्नेंसी : जब तब जरूरी न हो जाए तब तक गर्भवती महिलाओं को इस दवा का सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है। जरूरी है कि दवा का सेवन करने के पूर्व डॉक्टर से इसके रिस्क और बेनिफिट्स के बारे में विचार-विमर्श कर लिया जाए।
हार्ट पर असर : दिल की बीमारी से ग्रसित मरीजों को सावधानीपूर्वक डिक्लोमोल का सेवन करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि संभावनाएं रहती है कि वैसे मरीजों की स्थिति और गंभीर न हो जाए। खासतौर पर यदि दवा लंबे समय तक के लिए चलानी है तो। डॉक्टरी सलाह के बाद भी दवा का डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय-समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
गेस्ट्रो इंटेस्टाइनल टॉक्सिटी (Gastro-intestinal toxicity) : लंबे समय तक दवा का सेवन किया जाए तो संभावनाएं रहती हैं कि गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो। वहीं बिना किसी प्रकार के लक्षण सामने आए ही यह परेशानी हो सकती है। व्यस्कों की तुलना में बुजुर्गों में यह समस्या होने की संभावनाएं ज्यादा रहती है। ऐसे लोग जिन्हें पूर्व में भी गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजीज हुई हो उन लोगों को इसका दुष्प्रभाव होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए उन्हें इस दवा का सेवन बेहद सर्तकता के साथ करना चाहिए।
स्किन एलर्जी : दवा का सेवन के साथ संभावनाएं रहती हैं कि बिना किसी प्रकार के लक्षण सामने आए कुछ घातक स्किन एलर्जी हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि यदि किसी को दवा का सेवन करने के बाद रैशेज, बुखार या अन्य एलर्जिक रिएक्शन के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इन मामलों में डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
फ्ल्यूड रिटेंशन और एडीमा : देखा गया है कि डिक्लोमोल के सेवन से कुछ मरीजों में फ्ल्यूड रिटेंशन और एडीमा की बीमारी हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि समय समय पर ब्लड प्रेशर की जांच के साथ इलेक्ट्रोलाइट लेवल और शरीर के क्लीनिकल कंडिशन की जांच कर हार्ट फंक्शन की जांच की जानी चाहिए। इन मामलों में डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय- समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
क्रॉनिक मालन्यूट्रीशिन : मालनॉरिशमेंट की बीमारी से ग्रसित मरीजों में रेयर मामलों में ही इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। संभावनाएं रहती हैं कि इस दवा को लेने के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इन मामलों में डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
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रिएक्शन
कौन-सी दवाइयां डिक्लोमोल (Diclomol) के साथ रिएक्शन कर सकती हैं?
हर दवा अलग-अलग लोगों पर अलग तरीके से रिएक्ट करती है। ऐसे में डॉक्टरी सलाह लेने के बाद ही दवा का उपयोग करना चाहिए। निम्न दवाओं के साथ डिक्लोमोल के रिएक्शन की संभावनाएं हो सकती हैं।
– कारबामजेपीन (Carbamazepine)
– मेथोट्रेक्सेट (Methotrexate)
– फेनीटोइन (Phenytoin)
– रेमीफ्रिल (Ramipril)
– सोडियम नाइट्रेट (Sodium Nitrite)
– लेफ्लूनोमाइड (Leflunomide)
– प्रीलोकेन (Prilocaine)
– एडेफोवीर (Adefovir)
– एपीक्साबेन (Apixaban)
– कीटोरोलैक (Ketorolac)
बता दें कि दवा को शराब के साथ सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके कई साइड इफेक्ट सामने आ सकते हैं। जैसे गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग, नींद न आना, थकान और कमजोरी।
इन बीमारियों के साथ हो सकता है रिएक्शन
अस्थमा : वे मरीज जो अस्थमा की बीमारी से ग्रसित हैं या फिर जिनमें एनएसएआईडी सेंसिटिव अस्थमा के लक्षण दिखते हैं उनको इस दवा के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है। ऐसे में इस दवा को न देकर विकल्पों की तलाश डॉक्टर करते हैं और समय- 0समय पर निगरानी रखते हैं।
इम्पेयर्ड किडनी फंक्शन : इम्पेयर्ड किडनी फंक्शन की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए इस दवा का काफी सावधानी पूर्वक इस्तेमाल किया जाता है। संभावनाएं रहती है कि इस दवा को लगातार खाने से साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। समय- समय पर किडनी फंक्शन की मॉनिटरिंग जरूरी हो जाती है। इन मामलों में डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
हार्ट डिजीज : लंबे समय तक दवा का सेवन किया जाए तो संभावनाएं रहती है कि व्यक्ति को हार्ट अटैक, स्ट्रोक या इससे जुड़े अन्य लक्षणों का सामना करना पड़े। दिल की बीमारी से ग्रसित मरीजों में साइड इफेक्ट की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। ऐसे में जरूरी है कि चेस्ट पेन, सांस लेने में तकलीफ, ठीक से न बोल पाना, कमजोरी हो तो जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लें। इन मामलों में डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय-समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
लिवर डिजीज : लिवर फंक्शन इम्पेयरमेंट और एक्टिव लिवर डिजीज से ग्रसित मरीजों को जब तक जरूरी न हो तब तक यह दवा नहीं दी जाती है। बता दें कि इसके कारण साइड इफेक्ट हो सकते हैं। वहीं दवा दी जाए तो एक्सपर्ट मरीज की मॉनिटरिंग करते हैं। जी मचलाना, बुखार, रैशेज, डार्क यूरिन जैसे लक्षण दिखने पर जरूरी है कि जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह ली जाए। इन मामलों में डोज एडजस्टमेंट के साथ किसी अन्य दवा को बदलने के साथ समय समय डॉक्टरी जांच जरूरी हो जाती है।
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स्टोरेज
डिक्लोमोल (Diclomol) को कैसे करूं स्टोर?
डिक्लोमोल को घर में सामान्य रूम टेम्प्रेचर पर ही रखें। कोशिश करें कि उसे सूर्य कि किरणों से बचाकर रखें। 25 डिग्री तापमान दवा के लिए बेस्ट है, लेकिन फ्रिज में रखने की गलती कतई न करें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह दवा सामान्य रूप से काम नहीं कर पाएगी। इसके अलावा इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। एक्सपायरी होने के पहले ही दवा का सेवन करें, लंबे समय तक सेवन करना हो तो डॉक्टरी सलाह लें।
डिक्लोमोल (Diclomol) किस रूप में उपलब्ध है?
डिक्लोमोल निम्न रूप में उपलब्ध है।
- जेल
- इंजेक्शन
- टेबलेट
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें।
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