परिचय
कॉटन (Cotton) क्या है?
कॉटन एक पेड़ है, जिसकी छाल और बीज का इस्तेमाल दवाइयों को बनाने के लिए किया जाता है। इसका वानास्पतिक नाम गॉसिपिअम हर्बेसिअम (Gossypium herbaceum) है। हिंदी में इसे कपास कहते हैं। ये मालवेसी (Malvaceae) प्रजाती का पौधा है। औषधीय गुणों से भरपूर कपास का प्रयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके पत्ते हरे और फूल हल्के सफेद या पीले रंग के होते हैं। इसके पत्तों को कान के दर्द, कान का बहना और यूरिन इंफेक्शन आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, ये कफ, थकान और जलन को दूर करने के लिए भी किया जाता है। कई लोग इसके अर्क का काढ़ा बनाकर भी पीते हैं।
आधा कप (118 ग्राम) कॉटन की पत्तियों में 277 कैलोरी, 7 ग्राम फैट, 501 मिली ग्राम सोडियम, 908 ग्राम पोटेशियम, 38 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 8 ग्राम डायटरी फाइबर, 19 ग्राम शुगर, 25 ग्राम प्रोटीन, 15% विटामिन ए, 113% विटामिन सी, 57% कैल्शियम और 40% आयरन होता है।
कॉटन (Cotton) का उपयोग किस लिए किया जाता है?
सांस की बीमारी को दूर करता है:
कॉटन की पत्तियों को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खांसी, गले में संक्रमण और सांस संबंधित परेशानियों के लिए पारंपरिक हर्बल औषधि के रूप में किया जाता है। यह श्वसन रोगों के लिए एक असरदार दवा है क्योंकि, इसमें हीलिंग प्रोपर्टिज होती हैं, जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के संक्रमण को ठीक करता है।
त्वचा की परेशानियों को दूर करता है:
कॉटन हर्ब में एस्ट्रिंजेंट, एंटी बैक्टीरियलऔर एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये स्किन संबंधित परेशानी जैसे घाव, फोड़े, चकत्ते, कीड़े के काटने, दाने, एक्जिमा, मुंहासे, और सूजन के इलाज में कारगर है।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए :
ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाएं इसे चाय के तौर पर लेती हैं। कई शोध में पता चला है कि कॉटन की पत्तियां ब्रेस्टमिल्क बनाने का काम करती हैं।
मासिक धर्म संबंधित परेशानियां:
महिलाएं मासिक धर्म संबंधित परेशानियां और मेनोपोज के लक्षणों में भी कपास का इस्तेमाल लाभदायक होता है।
बुखार:
बुखार आने पर कपास के बीजों का काढ़ा पीना काफी फायदेमंद माना जाता है।
लकवा :
लकवा से पीड़ित व्यक्ति का उपचार करने के लिए कॉटन की सूखी जड़ फायदेमंद मानी जाती है।
सिर दर्द :
आयुर्वेद में भी कपास का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए किया जाता है। इसमें सिर दर्द भी शामिल है। इसके लेप से सिरदर्द में आराम मिलता है।
पुरुषों में बर्थ कंट्रोल :
कई पुरुष बर्थ कंट्रोल के तौर पर कॉटन का प्रयोग करते हैं। कई बर्थ कंट्रोल प्रोडक्ट्स जो वजाइना में लगाए जाते हैं, उनमें भी कॉटन का प्रयोग होता है। दरअसल इसके छाल को अन्य जड़ी बूटियों के साथ चबाया या इस्तेमाल किया जाता है।
गट (Gut) के इलाज में है सहायक:
कॉटन के पत्ते को दबा कर जो रस या जूस निकलता है उससे गट का इलाज किया जाता है। गट के ठीक तरह से काम नहीं करने पर शरीर यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे अर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हड्डियों और पैर के तलवे में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है।
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एंटी-अल्सर प्रॉपर्टीज:
कपास के फूलों के इथेनॉलिक और जलीय गुणों के कारण गैस्ट्रिक अल्सर के इलाज के लिए इसका विशेषकर प्रयोग किया जाता है।
डायूरेटिक प्रॉपर्टीज:
इसका इस्तेमाल ऐसे पेशेंट के लिए भी किया जाता है, जिन्हें यूरिन संबंधित परेशानी होती है। डायूरेटिक प्रॉपर्टीज होने के कारण यह काफी लाभदायक होता है।
घाव भरने में होता है इसका इस्तेमाल
घाव के उपचार के लिए कपास की पत्तियों के मेथेनॉलिक अर्क का उपयोग किया जा सकता है। यह पौधे में कई फाइटोकेमिकल्स जैसे सैपोनिन, फ्लेवोनोइड्स और टैनिन की उपस्थिति के कारण होता है। कपास की पत्तियों को सुखाया जाता है और पाउडर के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है, जिसे रक्तस्राव को रोकने में मदद मिलती है और घाव जल्दी ठीक होता है।
ऊपर बताई गई बीमारियों के साथ-साथ इन बीमारियों में भी मददगार है-
- जी मिचलाने पर
- सिरदर्द की परेशानी
- दस्त होने पर
- नसों में दर्द होने पर
- ब्लीडिंग होने पर
- पेट में पथरी होने की स्थिति में
- कब्ज की समस्या होने पर
- गैस्ट्रिक प्रोब्ल्म के दौरान
- आंखों और कान के दर्द में
- बवासीर की समस्या
- मूत्र संबंधित परेशानियां
इन ऊपर बताई गई परेशानियों में कॉटन प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
कैसे काम करता है कॉटन (Cotton) ?
कपास के फूलों में अधिक मधुर रस (nectar) होता है जो मधुमक्खियों को आकर्षित करता है। ये तीन महत्वपूर्ण तत्वों वात, पित्त और कफ संबंधित रोगों को नियंत्रित कर हमारे स्वास्थ्य को संतुलित और स्वस्थ्य बनाये रखने का काम करता है। इसलिए इसका उपयोग शारीरिक परेशानियों को दूर करने के लिए औषधि के रूप में किया जाता है।
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उपयोग
कितना सुरक्षित है कॉटन (Cotton) का उपयोग?
निम्नलिखित स्थिति में इसका प्रयोग न करें। जैसे-
- प्रेग्नेंट महिलाएं इसका सेवन न करें।
- अगर आप कोई दूसरी दवाइयां खा रहे हैं तो भी इसका सेवन न करें।
- किडनी संबंधित कोई परेशानी है तो इसका परहेज करें।
- रिप्रोडक्टिव सिस्टम में किसी तरह की परेशानी है तो भी इससे दूरी बनाकर रखें।
कॉटन सीड ऑयल से हाइपरसेंसिटीविटी ( hypersensitivity) में क्या असर होता है, इस पर कुछ रिचर्स हुई है, लेकिन कॉटन सीड ऑयल से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है या फिर नहीं, इस बारे में अभी तक स्टडी नहीं हुई है। कॉटन सीड ऑयल की तरह ही ऑलिव ऑयल भी हेल्थ बेनिफिट के लिए जाना जाता है, लेकिन उसमे सैचुरेटेड फैट अधिक नहीं होता है। आप इस ऑयल का उपयोग से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञों से अवश्य परामर्श करें।
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साइड इफेक्ट्स
कॉटन (Cotton) से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
इसके निम्नलिखित साइड इफेक्ट होते हैं। जैसे-
- कपास का सेवन करने से साइड इफेक्ट्स की संभावना तो नहीं है। इसे अधिक मात्रा में लेना नुकसानदाक हो सकता है।
- इसकी पत्तियों से रेचक प्रभाव और दस्त हो सकते हैं।
- मेल इनफर्टिलिटी
इसके प्रयोग से पहले हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।
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डोजेज
कॉटन को लेने की सही खुराक क्या है?
इस बारे में कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है कि कॉटन पत्तियों को कितनी मात्रा में लेना चाहिए। ये मरीज की उम्र, स्वास्थ्य और अन्य चिकित्सा कारकों पर निर्भर करता है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। कॉटन की पत्तियां समेत किसी भी हर्बल सप्लिमेंट का सेवन लापरवाही के साथ न करें। ये आपके लिए मुसीबत को दावत दे सकता है। इसको लेने से पहले एक बार अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से एक बार जरूर परामर्श करें, तभी इसका सेवन करें।
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उपलब्ध
कॉटन किन रूपों में उपलब्ध है?
यह निम्नलिखित रूपों में आसानी से उपलब्ध होता है। जैसे-
- पाउडर
- तेल
- टिंचर
- इन्फ्यूजन
अगर आप औषधि के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले कॉटन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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