परिचय
कदम्ब क्या है?
कदम्ब को कदम, बटर फ्लावर-ट्री, लैरन और लीचर्ड पाइन भी कहचे हैं। इसका वानस्पतिक नाम रूबियेसी कदम्बा (Rubiaceae cadamba) है। साइंटिफिक रूप में इसे नॉक्लिया कदम्बा (Neolamarckia cadamba) और Anthocephalus chinensis कहा जाता है। मुख्य रूप से भारत के अंडमान, बंगाल और असम में पाया जाता है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश में भी इसे खास तौर पर पहचाना जाता है। कदम्ब या कदम का पेड़ बहुत जल्दी बढ़ता है। इसके पेड़ की उंचाई 20 से 40 फीट तक हो सकती है। इसके पत्ते महुवा से काफी मिलते हैं। जो आकार में बड़े होते हैं। इसकी पत्तियों की लंबाई 13 से 23 सेमी होती हैं जो चिकनी, चमकदार, मोटी और उभरी नसों वाली होती हैं और इनसें गोंद निकलता है।
बारिश के मौसम में इसके पेड़ों पर फूल आते हैं जो कुछ ही महीनों में फल बन जाते हैं। इस पेड़ को भारत में धार्मिक तौर पर भी जोड़ा जाता है। इसे देव का वृक्ष भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बादलों की गरज से इसके फूल खिलने शुरू होते हैं। इसे हरिद्र और नीप भी कहा जाता है। सामान्य तौर पर पेड़ के चार से पांच साल होने पर इसमें फूल खिलने लगते हैं।
इसके फूल काफी सुगंधित होते हैं जिनका इस्तेमाल इत्र बनाने के लिए भी किया जा सकता है। साथ ही, इसकी पत्ती, छाल और फल का इस्तेमाल विभिन्न तरह के स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में एक औषधी के तौर पर किया जा सकता है। कदम्ब के फूल के सुगंध को लेकर कहा जाता है कि यह भगवान् कृष्ण को भी अत्यन्त प्रिय थे।
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कदम्ब का उपयोग किस लिए किया जाता है?
कदम्ब का उपयोग निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में किया जा सकता है, जिसमें शामिल हो सकते हैं –
टाइप-2 डायबिटीज का उपचार
इसका इस्तेमाल टाइप-2 डायबिटीज के उपचार के लिए किया जा सकता है। भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स द्वारा इस दवा का पेटेंट भी दे दिया गया है और विश्व व्यापार संगठन ने इसे अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण नंबर भी प्रदान किया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक कदंब या कदम्ब के पेड़ में हाइड्रोसाइक्लोन (Hydrocyclone) और कैडेमबाइन (cadambine) नाम के दो प्रकार के क्विनोलाइन अल्कलॉइड्स (Quinoline alkaloids) की मात्रा पाई जाती है। हाइड्रोसाइक्लोन शरीर में बनने वाली इंसुलिन के मात्रा को नियंत्रित कर सकता है और कैडेमबाइन इंसुलिन का सेवन करने वाली कोशिकाओं को इसके कम सेवन के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
हालांकि, अभी भी इस दिशा में शोध चल रहे हैं। इसलिए व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल टाइप-2 डायबिटीज के उपचार के लिए करने में समय लग सकता है।
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कैंसर के उपचार में मदद करे
कदम्ब शरीर में एंटी-ट्यूमर गतिविधियों का उत्पादन कर सकता है। इसके सेवन से प्रोस्टेट कैंसर, पेट के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और एसोफैगल कैंसर के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। कदंब का सेवन करने से शरीर में फैल रही कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को सीमित किया जा सकता है। इसमें कई बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो कीमोथेरेप्यूटिक एजेंटों के समान एक क्रिया का उत्पादन कर सकते हैं।
उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स
कदम्ब का उपयोग कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करने के लिए भी किया जा सकता है।
फंगल इंफेक्शन
कदम्ब में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं। इसके इस्तेमाल से स्किन और कान के इंफेक्शन का उपचार किया जा सकता है। इसकी पत्ती और छाल के अर्क के एंटी-फंगल गुण इसमें काफी लाभकारी हो सकते हैं। साथ ही, यह कैंडिडा एल्बिकंस और एस्परगिलस फ्यूमिगेटस जैसे इंफेक्शन के उपचार में भी मदद कर सकता है।
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एंटी-बैक्टीरियल ट्रीटमेंट के लिए
कदम्ब का उपयोग बैक्टीरिया के कारण होने वाले कई तरह के इंफेक्शन के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। जिससे पाचन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, हड्डियों का उपचार किया जा सकता है। इसके फल के अर्क में स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus), स्यूडोमोनास एरुगिनोसा (Pseudomonas aeruginosa), एस्चेरिचिया कोली (Escherichia coli), माइक्रोकॉकस ल्यूटस, बेसिलस सबटिलिस, स्यूडोमोनस एरुगिनोसा, क्लियोसा, कैलोसा जैसे सूक्ष्म जीवों को खत्म करने के गुण होते हैं।
हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के उपचार में
यह गठिया, मांसपेशियों में अकड़न जैसे स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में भी लाभकारी साबित हो सकता है। प्राकृतिक तौर पर इसमें एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लामेंट्री गुण पाए जाते हैं। साथ ही, इसमें क्वेरसेटिन, डेडेजिन, सिलीमारिन एपिगेनिन और जेनिस्टिन जैसे फ्लेवोनॉयड्स के भी गुण होते हैं, जो हड्डियों से जुड़ी समस्याओं के कारण शरीर में होने वाले दर्द को दूर कर सकते हैं।
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निम्न स्थितिओं में भी इसका सेवन करना लाभकारी हो सकता हैः
कदम्ब कैसे काम करता है?
कदम्ब के पेड़, छाल, पत्तों और फलों में निम्न गुण पाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- सैपोजिन कैडामबेजेनिक एसिड
- एल्केलायड कदम्बाई
- अल्फाडीहाइड्रो कदम्बीन
- ग्लैकोसीड्स एल्केलायड
- आइसो-डीहाइड्रो कदम्बीन
- बीटा-सिटोस्टेरॉल
- क्विनोविक एसिड
- ट्रायटार्पेनिक एसिड
- सैपोनिन ए, बी, सी, डी
- स्टेरॉइड
- टैनिन
- डायहाइड्रोसिनकोइन
उपयोग
कदम्ब का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
एक औषधी के तौर पर कदम्ब का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित माना जा सकता है। हालांकि, इसके सेवन अधिक मात्रा में करने से कुछ तरह के स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं। लेकिन अगर इसके सेवन से आपको किसी गंभीर लक्षण का अनुभव हो, तो आपको तुंरत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसके अलावा, अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रहीं हैं, प्रेग्नेंट हैं या शिशु को स्तनपान करा रही हैं, तो ऐसी स्थितियों में इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की परामर्श लें। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
साइड इफेक्ट्स
कदम्ब से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
कदम्ब का इस्तेमाल करना पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हालांकि, अगर कोई इसका अधिक सेवन करता है, तो निम्न स्थितियां हो सकती हैः
यह पचने में अधिक समय ले सकता है जिसकी वजह से कब्ज की समस्या हो सकती है।
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डोसेज
कदम्ब को लेने की सही खुराक क्या है?
- कदम्ब की छाला की मात्रा – 3 से 6 ग्राम
- कदम्ब के काढ़े की मात्रा – 10 से 20 मिग्रा
कदम्ब का सेवन करने की सही मात्रा व्यक्ति के उम्र और शारीरिक स्थिति पर निर्भर कर सकता है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर की उचित सलाह लें और उनके बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही इसकी खुराक का सेवन करें।
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उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
कदम्ब निम्न रूपों में उपलब्ध हैः
- कदम्ब के पेड़ की छाल
- कदम्ब का फल
- कदम्ब का काढ़ा
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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