के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
एरण्ड को अंग्रेजी में कैस्टर (Castor) कहा जाता है। मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल इसके तेल के लिए किया जाता है जिसे अधिकतर लोग कैस्टर ऑयल (Castor oil) के नाम से ही जानते होंगे। एरण्ड का पेड़ एक औषधीय पौधा है, जो झाड़ी की तरह उगता है। यह एक बारहमासी झाड़ी होती है। एरण्ड का पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है। कैस्टर के पौधे लगभग 12 मीटर तक लंबे हो सकते हैं। हालांकि, इसकी डालियां और शाखाएं बहुत ही कमजोरी होती हैं। कैस्टर के पौधे की पत्तियॉ 15 से 45 सेमी तक लंबी हो सकती हैं, जो हथेली के आकार की होती है। इसके पत्तियों में कई नुकीले किनारे होते हैं। कैस्टर के पौधे की पत्तियों का रंग गहरा हरा, लाल, बैंगनी या सुनहरा हो सकता है। इसके तने और जड़ में कई तरह के रंग मिक्स होते हैं। कैस्टर का पेड़ मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ्रीका और भारत में पाए जाते हैं लेकिन, बदलते वातावरण के कारण आज के समय में कैस्टर का पेड़ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी अच्छी तरह विकसित हो रहा है।
एरण्ड को एरंड, आमण्ड, अरंड, अरंडी, एरंडी, रेंड़ी के नामों से भी जाना जाता है। एरण्ड का वानास्पतिक नाम रिसिनस कॉम्युनिस (Ricinus communis L.) है और यह युफोर्बिएसी (Euphorbiaceae) प्रजाति का पौधा होता है। हालांकि, एरण्ड को मुख्य तौर पर लोग कैस्टर ऑयल प्लांट (Castor oil plant) के नाम से ही जानते हैं। एक औषधी के तौर पर एरंड के पत्ते, बीज, जड़, फूल और उनसे निकाले गए तेल का इस्तेमाल विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए किया जा सकता है। एरंड के तेल का इस्तेमाल मुख्य रूप से त्वचा संबंधी रोगों के इलाज के लिए सबसे उपयुक्त माना जा सकता है। हालांकि, इसके अलावा, यह पेट, महिला संबंधी समस्याओं, आंखों से संबंधित समस्याओं, पाइल्स, खांसी जैसे समस्याओं के उपचार में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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एरण्ड का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें शामिल हैंः
एरण्ड या अरंडी की फलियों से अरंडी का तेल यानी कैस्टर ऑयल प्राप्त किया जाता है। जिसका इस्तेमाल साबुन बनाने, इत्र और परफ्यूम बनाने, कॉस्मेटिक बनाने और खाद्य तेल बनाने के लिए किया जा सकता है। वैश्विक तौर पर एरण्ड के तेल का उत्पादन मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के गुजरात में किया जाता है। भारत के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में भी अरंडी का उत्पादन मुख्य रूप से किया जाता है।
यह वात की समस्या का उपचार आसानी से कर सकता है। वात की समस्या होने पर कब्ज की स्थिति सबसे अधिक हो सकती है। इसके अलावा, एरंड पित्त को बढ़ाने वाला, सूजन और दर्द कम करने वाला, कफ को कम करने वाला, मूत्रविशोधक, शुक्राओं की संख्या बढ़ाने, गर्भाशय को शुद्ध करने जैसी स्थितियों के उपचार में मदद कर सकता है।
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एरण्ड के तेल में पाए जाने वाले रसायनिक गुण और उनकी मात्रा:
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एरण्ड (कैस्टर) के तेल के अलावा, इसके पत्तों का भी इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जा सकता है जो एक औषधी के रूप में लाभकारी माना जा सकता है। हालांकि, आपको इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए। आपको इसके ओवरडोज से भी बचना चाहिए। सिर्फ उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो।
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अध्ययनों के मुताबिक एक औषधि के तौर पर कैस्टर या कैस्टर ऑयल का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। वैसे तो इससे किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले नहीं मिलते हैं। हालांकि, इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर की उचित सलाह लें। साथ ही, अगर आपको इसके सेवन से किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स दिखाई दें, तो तुरंत इसका सेवन करना बंद करें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कैस्टर ऑयल के इस्तेमाल से निम्न सामान्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जो सामान्यतया अपने आप ठीक भी हो सकते हैं, इनमें शामिल हैंः
गंभीर, लेकिन दुर्लभ साइड इफेक्ट्स में शामिल हैंः
साथ ही आपको इसके सेवन से पहले निम्न स्थितियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए, अगरः
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एक बात का ध्यान रखें कि अगर घर में छोटे बच्चे या पालतू जानवर हैं, तो उनकी पहुंच से एरण्ड या इसका कोई भी उत्पाद दूर रखें।
एरण्ड (कैस्टर) का इस्तेमाल आप विभिन्न रूपों में कर सकते हैं। इसकी मात्रा आपके स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रतिदिन एरण्ड (कैस्टर) के सेवन की अधिकतम खुराक हो सकती हैः
एरण्ड के पत्ते का काढ़ा – 20 से 30 मिली दिन में एक बार
एरण्ड (कैस्टर) के निम्न रूपों का इस्तेमाल आप कर सकते हैंः
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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