परिचय
नागकेसर (Nagkesar) क्या है?
नागकेसर एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है, जिसका इस्तेमाल बुखार, उल्टी, यूरिनी ट्रैक्ट डिसऑर्डर और माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है। च्यवनप्राश बनाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसका वानस्पातिक नाम मेसुआ फेरिआ (Mesua ferrea) है। यह कोलोफाइलेसिए (Colophyllaceae) परिवार से ताल्लुक रखता है। इसको नागपुष्पा (Naagapushpa), आयरन वुड (Iron-wood), इंडियन रोज चेस्टनेट (Indian rose chestnet) के नाम से भी जाना जाता है। नागकेसर की पत्तियां लाल और हरे रंग की होती हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इनके बीच से पीले केसरी रंग के गुच्छे आते हैं, जिन्हें नागकेसर कहते हैं।
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नागकेसर (Nagkesar) का उपयोग किस लिए किया जाता है?
औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित परेशानियों में नागकेसर का सेवन उपयोगी माना जाता है:
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग: नागकेसर के फूलों का इस्तेमाल एसिडिटी, उल्टी, भूख न लगना, सीने में जलन, पेप्टिक अल्सर, पेट में दर्द आदि के लिए किया जाता है। यह डायरिया, लिवर डिसऑर्डर और डिसेंटरी के लिए भी उपयोगी माना जाता है।
सांस की बीमारियों: कफ, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में भी नागकेसर के फूलों को भी उपयोगी माना जाता है। जुकाम में इसकी पत्तियों को सिर पर लगाने की सलाह दी जाती है।
सूजन को दूर करने में मददगार: नागकेसर के पौधे की लकड़ी में एंटी-इन्फ्लामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं। पौराणिक समय से इसका प्रयोग अर्थराइटिस और गाउट के लिए किया जा रहा है। इसके बीजों के ऑयल का उपयोग घाव, खाज, जख्म और गठिया के इलाज के लिए किया जाता है। सर्दी के मौसम में बहुत सारे लोगों को गठिया की परेशानी रहती है। इस पीड़ादायक परेशानी से निजात पाने के लिए नागकेसर के बीजों के ऑयल को नियमित रूप से लगाने की सलाह दी जाती है।
सांप के काटने पर: इस जड़ी बूटी की जड़ का उपयोग अक्सर सांप के जहर के लिए किया जाता है। सांप के काटने पर यह एंटीडॉट की तरह काम करता है। इसके लिए नागकेसर के पत्तों को पानी में पीसकर पेस्ट तैयार करें। इसके बाद सांप ने जिस जगह काटा है उस जगह पर पेस्ट को लगा लें। शरीर से विष जल्दी बाहर निकल आएगा।
बवासीर: इसके सूखे फूलों का उपयोग ब्लीडिंग हेमोरॉयड यानी बवासीर और बलगम के साथ डिसेंटरी के लिए किया जाता है। बवासीर के मरीज को मल त्याग करते समय असहनीय दर्द होता है। इससे राहत पाने के लिए नागकेसर की छाल का चूर्ण का खाली पेट सेवन करने के लिए कहा जाता है।
इन परेशानियों में भी मददगार है नागपुष्पा का इस्तेमाल
- पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग के लिए भी इसे रिकमेंड किया जाता है।
- लिकोरिया के इलाज के लिए उपयोगी।
- इसके ताजे फूलों को अत्यधिक प्यास, अत्यधिक पसीन, खांसी और अपच के लिए रिकमेंड किया जाता है।
- खांसी और जुकाम में नागकेसर का काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है।
- यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है।
कैसे काम करता है नागकेसर (Nagkesar)?
नागकेसर के फूलों से निकाले गए ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल खांसी और अपच के इलाज के लिए किया जाता है। इसके बीजों से निकाले गए तेल में एंटीफंगल प्रॉपर्टीज होती हैं, जिस वजह से इसका इस्तेमाल त्वचा संबंधित रोगों और घाव को भरने के लिए उपयोगी माना जाता है। इसमें एंटी-इन्फलामेटरी, ब्लड प्यूरीफायर, ड्युरेटिक, कार्डियो टॉनिक, एक्सपेकटोरेंट, एंटीपायरेटिक, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-एलर्जी, एंटी कन्वल्सेंट और हेपाटो प्रोटेक्टिव आदि गुण होते हैं।
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सावधानियां और चेतावनी
कितना सुरक्षित है नागकेसर (Nagkesar) का उपयोग?
नागकेसर का सेवन निम्नलिखित परिस्थितियों में एवॉइड करना चाहिए:
- प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए। इन दोनों ही स्थितियों में डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी जड़ी बूटी का सेवन करना चाहिए।
- यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने चिकित्सक को दें। क्योंकि हो सकता है नागकेसर आपकी दवा के साथ इंटरैक्ट करे। इससे दुष्परिणाम होने का खतरा रहता है।
- बच्चों की पहुंच से इस जड़ी बूटी को दूर रखें। बच्चों के लिए इसका सेवन हानिकारक हो सकता है।
- यदि आपको किसी तरह का रोग है या आपकी कोई सर्जरी हुई है तो इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें। कई स्थितियों में डॉक्टर आपको इसका सेवन करने से मना कर सकते हैं व कई स्थितियों में इसे किसी और जड़ीबूटी के साथ रिकमेंड कर सकते हैं।
- यदि आपको किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है तो इसकी जानकारी आपके चिकित्सक को होनी चाहिए
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साइड इफेक्ट्स
नागकेसर (Nagkesar) से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
नागकेसर का सीमित मात्रा में सेवन ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है। कई शोध के अनुसार, इसका इस्तेमाल करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। हालांकि हर्बल का सेवन हमेशा सुरक्षित नहीं होता है। यदि आप इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो अपने चिकित्सक से कंसल्ट करने के बाद ही करना। खुद से इसका सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए बेहतर होगा आप अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से चर्चा करें।
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डोसेज
नागकेसर (Nagkesar) को लेने की सही खुराक क्या है?
नागकेसर को दिन में दो बार एक से तीन ग्राम रिकमेंड किया जाता है।
- टैबलेट: खाना खाने के बाद दिन में दो बार दो कैप्सूल
- पाउडर: खाना खाने के बाद आधे से एक टीस्पून पाउडर पानी के साथ
- ऑयल: 2 से 5 ड्रॉप्स को नारियल तेल में मिलाकर
नागकेसर की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। कभी भी इसका सेवन खुद से न करें। आपका डॉक्टर आपकी मेडिकल कंडिशन, उम्र व अन्य कई कारकों के अनुसार इसकी खुराक तय करते हैं। डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई खुराक का ही सेवन करें। कभी भी खुद से खुराक निर्धारित करने की भूल न करें। आपकी ये छोटी सी गलती स्वास्थ्य पर बुरा असर कर सकती है।
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उपलब्धता
किन रूपों में उपलब्ध है नागकेसर (Nagkesar) ?
नागकेसर निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
- सीड ऑयल (Sed Oil)
- फ्लावर ऑयल (Flower Oil)
- फ्लावर पाउडर (Flower Powder)
- सीड पाउडर (Seed Powder)
- टैबलेट (Tablet)
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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