हमारे शरीर के लिए कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Vascular System) बेहद जरूरी माना जाता है। कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम आर्टरी और वेन्स से बना होता है, जो हमारे शरीर के अलग-अलग भागों में ऑक्सीजन युक्त ब्लड लाती और ले जाती हैं। साथ ही यह उस ब्लड को भी कैरी करती है, जिसमें से बाद में लंग्स में कार्बन डाइऑक्साइड रिमूव किया जाता है। यही वजह है कि कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम हमारे लिए बेहद जरूरी माना जाता है। लेकिन जब व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित होता है, तो इसका सीधा असर आपके कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर पड़ता है। डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम एक दूसरे से जुड़े होते हैं, आइए जानते हैं डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) किस तरह एक साथ समस्याओं का शिकार बनते हैं। लेकिन उससे पहले जान लेते हैं डायबिटीज (Diabetes) से जुड़ी ये जरूरी जानकारी।
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कैसे होती है डायबिटीज (Diabetes) की समस्या?
डायबिटीज (Diabetes) की तकलीफ का सीधा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। आमतौर पर जब व्यक्ति खाना खाता है, तो शरीर भोजन से मिले शुगर को तोड़कर उसका इस्तेमाल कोशिका में उर्जा बनाने के लिए करता है। इस कार्य को पूरा करने के लिए पैंक्रियाज को इंसुलिन का उत्पादन करना पड़ता है। इंसुलिन हॉर्मोन शरीर में एनर्जी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन जब आप डायबिटीज की गिरफ्त में होते हैं, तो यही पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन पैदा नहीं कर पाती। इसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ता चला जाता है। जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) ज्यादा बढ़ जाता है, तो शरीर के कामकाज पर इसका प्रभाव पड़ता है और शरीर की कार्यप्रणाली कमजोर होती चली जाती है। आइए अब जानते हैं डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) के बीच क्या संबंध है।
डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम : दोनों जुड़े हैं एक-दूसरे से! (Diabetes and Vascular System)
डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Vascular System) का संबंध हाय ग्लूकोज यानी कि हाय ब्लड शुगर से शुरू होता है। जब आपका ग्लूकोज लेवल बढ़ता है, तो समय के साथ आपकी आर्टरी डैमेज होने लगते हैं। क्योंकि हाय ब्लड शुगर से इसके अंदर फैट जमा होने लगता है, जिससे यह कठोर होने लगती हैं और इसकी वजह से एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) की समस्या होती है। एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण ब्लड फ्लो में रुकावट आती है, जिसकी वजह से हार्ट या ब्रेन संबंधित समस्याएं होने लगती हैं। इन समस्याओं में हार्ट अटैक और स्ट्रोक (Heart attack and stroke) खासतौर पर एक माने जाते हैं। यह रिस्क तब और बढ़ जाता है, जब आपकी फैमिली हिस्ट्री में लोगों को यह समस्या हो चुकी होती है। जिन लोगों की फैमिली में डायबिटीज की हिस्ट्री मानी जाती है, साथ ही साथ जिन्हें मोटापे की समस्या होती है, उन लोगों में डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं एक दूसरे के साथ चलती रहती हैं।
हालांकि डायट और सही दवाइयों की मदद से डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं को कंट्रोल में रखा जा सकता है। आइए अब जानते हैं डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) से जुड़ी समस्याओं के बारे में ये जरूरी बातें।
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डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम : क्या हैं इससे जुड़ी समस्याएं? (Diabetes and types of Vascular problems)
डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Vascular System) से जुड़ी समस्याएं आपको लंबे समय तक परेशान कर सकती हैं। इन समस्याओं पर यदि समय पर ध्यान ना दिया जाए, तो ये समस्याएं आपकी सेहत को तो बिगड़ती ही है, साथ ही आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। इसलिए इन समस्याओं के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी माना जाता है। आइए जानते हैं डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) से जुड़ी इन तकलीफों के बारे में।
डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम : कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary heart disease)
कोरोनरी हार्ट डिजीज, आमतौर पर आर्टरी के अंदर प्लाक जमा होने की वजह से होती है। जिसकी वजह से ये आर्टरीज (Artery) आसानी से ऑक्सीजन युक्त ब्लड हार्ट तक नहीं पहुंचा पाती। इस स्थिति में आर्टरी संकरी होती चली जाती हैं और हार्ट तक जरूरी ऑक्सीजन नहीं पहुंचता। इसी की वजह से शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है और व्यक्ति को दिल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
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डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम : हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
हाय ब्लड प्रेशर की समस्या तब होती है, जब इन संकरी आर्टरीज के चलते ह्रदय ब्लड को पंप करने की कोशिश करता है। यह समस्या आमतौर पर कई कारणों की वजह से हो सकती है, जिसमें सॉल्ट का ज्यादा सेवन करना, मोटापा, एल्कोहॉल का इस्तेमाल और ज्यादा स्ट्रेस लेवल (Stress level) का होना इत्यादि कुछ कारण माने जाते हैं। लेकिन कुछ लोगों में डायबिटीज (Diabetes) की वजह से भी हाय ब्लड प्रेशर होने की समस्या देखी गई है। जब आपका ब्लड शुगर लेवल हाय होता है, तो इसकी वजह से आपके आर्टरी के काम में बाधा उत्पन्न होती है और ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसलिए डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) दोनों की ही वजह से व्यक्ति को हायपरटेंशन की समस्या हो सकती है।
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डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम : पेरीफेरल आर्टिरियल डिजीज (Peripheral arterial disease)
पेरीफरल आर्टिरियल डिजीज एक ऐसा वैस्कुलर प्रॉब्लम (Vascular problem) है, जो आर्टिरीज के संकरे होने की वजह से होता है। ऐसी स्थिति में न सिर्फ ह्रदय को नुकसान पहुंचता है, बल्कि व्यक्ति के पैरों में भी समस्याएं होने लगती है। यदि आपको पेरीफेरल आर्टिरियल डिजीज की समस्या है, तो आप आसानी से कोरोनरी हार्ट डिजीज का शिकार बन सकते हैं। पेरीफेरल आर्टिरियल डिजीज की वजह से आपको किडनी और पैंक्रियाज से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसके कारण डायबिटीज (Diabetes) होने की भी सम्भावना हो सकती है। इसलिए डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) दोनों पेरीफरल आर्टिरियल डिजीज का कारण बनते हैं। यही कारण है कि डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Vascular System) एक दूसरे से जुड़े हुए माने जाते हैं।
यदि आप कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Vascular System) को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो आपको डायबिटीज (Diabetes) पर कड़ी नजर रखनी पड़ेगी। आपके ब्लड शुगर लेवल को समय-समय पर जांच कर डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ेगी। सही खान-पान एक्सरसाइज और सही लाइफस्टाइल (Exercise and lifestyle) के जरिए अपना ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रखना होगा। जिससे आपको डायबिटीज के अलावा कार्डियोवैस्कुलर तकलीफ ना हो।
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यदि आपका वजन सही बना हुआ है और आप एक सही आहार ले रहे हैं, तो बहुत हद तक डायबिटीज (Diabetes) की समस्या में आपको आराम मिल सकता है। डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Diabetes and Vascular System) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की वजह से आपको हार्ट डिजीज होना आम बात मानी जा सकती है। सही आहार और डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब की हुई दवाओं को ठीक ढंग से लेने पर आप डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम (Vascular System) से जुड़ी समस्याओं में आराम पा सकते हैं। इसलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाइयों का सेवन करें और अपनी सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए सही लाइफस्टाइल अपनाएं।
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