डेबोराह रोजमैन की एक जानीमानी कहावत है, ‘अगर आप अपनी भावनाओं को काबु नहीं करेंगे, तो आपकी भावनाएं आपको काबु करेंगी’। इसलिए डायबिटीज के मरीज को अपनी भावनाओं पर काबु रखना आना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-
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स्वीकार्यता (Acceptance)
अगर आप अपनी बीमारी को जितनी जल्दी स्वीकार कर लेंगे उतना आपके लिए फायदेमंद होगा। आपको बीमारी के हर पहलु को समझकर उन्हें स्वीकार करना होगा, जिससे आप नकारात्मक विचारों से बच जाएंगे। हमेशा सकारात्मक विचार बनाएं रखें और आप देखेंगे कि आप जल्दी ठीक होने लगे हैं।
खुद को माफ करें (Forgive yourself)
बीमारी होने के बाद अपनी लाइफ स्टाइल को कोसने और अपराधबोध महसूस करने का कोई फायदा नहीं। खुद को माफ करें और स्वस्थ भविष्य के बारे में सोचें।
एक्शन प्लान बनाएं (Create action plan)
बीमारी को स्वीकारने और खुद को माफ करने के बाद तय करें कि आप कितनी जल्दी स्वस्थ होना चाहते हैं। इसके लिए खानपान और व्यायाम का एक्शन प्लान बनाएं
लोगों से जुड़े रहें (Stay connected with people)
अकेलापन हर बीमारी की जड़ है। अगर आप डायबिटीज का शिकार है तो अकेले रहने से बचें और लोगों से घुलें मिलें। इससे आप चिंता से दूर रहेंगे। समय-सयम पर अपने दोस्त, परिवार या प्रेमी की मदद लें और हमेशा बातचीत करते रहें। ये डिप्रेशन से बचने का सबसे कारगर उपाय है।