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प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन क्या है?

Written by डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


अपडेटेड 17/01/2022

    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन क्या है?

    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन (Lifestyle Intervention for Pre-Diabetic Neuropathy ) क्या है? डायबिटिक न्यूरोपैथी एक प्रकार की तंत्रिका को पहुंचने वाली क्षति है, जो मधुमेह के मरीजों में देखी जाती है। इसमें रक्त में मौजूद उच्च रक्त शर्करा (ग्लूकोज) आपके पूरे शरीर की नसों को डैमेज कर सकती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी अक्सर आपके पैरों और पैरों की नसों को नुकसान पहुंचाती है। जिस कारण पैरों में दर्द और सुन्नता जैसी समस्या होने लगती है। यह समस्या आपके पाचन तंत्र, रक्त वाहिकाओं और हृदय की समस्याओं का कारण भी बन सकती है। कुछ लोगों में इसके हल्के लक्षण होते हैं। लेकिन दूसरों के लिए, डायबिटीक न्यूरोपैथी काफी दर्दनाक हो सकती है। डायबिटीज न्यूरोपैथी, मधुमेह की एक गंभीर जटिलता है, जो मधुमेह से पीड़ित लगभग 50% लोगों को प्रभावित कर सकती है। लेकिन जीवनशैली में बदलाव कर के आप डायबिटिक न्यूरोपैथी को रोक सकते हैं या लगातार रक्त शर्करा प्रबंधन और स्वस्थ जीवन शैली के साथ इसे कंट्रोल में किया जा सकता है। प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन (Lifestyle Intervention for Pre-Diabetic Neuropathy ) क्या है, जानिए यहां-

    डायबिटिक न्यूरोपैथी के चार मुख्य प्रकार हैं और आपमें  एक प्रकार या एक से अधिक प्रकार की न्यूरोपैथी की समस्या हो सकती है। इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि आपको  किस प्रकार का है और कौन सी नसें प्रभावित हो रही हैं। आमतौर पर, इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इसके प्रकार जाने यहां:

    पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy)

    इस प्रकार की न्यूरोपैथी को डिस्टल सिमेट्रिक पेरिफेरल न्यूरोपैथी भी कहा जा सकता है। यह डायबिटीज न्यूरोपैथी का सबसे आम प्रकार है। यह पहले  पैरों को प्रभावित करता है, उसके बाद हाथों को। पेरिफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण अक्सर रात में बदतर होते हैं, और इसमें शामिल हो सकते हैं:

    • दर्द महसूस करने की क्षमता में कमी
    • पैराें में झुनझुनी या जलन महसूस होना
    • तेज दर्द या ऐंठन की समस्या
    •  जोड़ों का दर्द

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    ऑटोमैटिक न्यूरोपैथी (Automatic neuropathy)

    ऑटोमैटिक न्यूरोपैथी में तंत्रिका तंत्र आपके हृदय, मूत्राशय, पेट, आंतों, यौन अंगों और आंखों को नियंत्रित करता है। मधुमेह इनमें से किसी भी हिस्सों के नसों को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण:

  • मूत्राशय या आंत की समस्याएं
  • गैस्ट्रोपैरेसिस की समस्या, जिससे मतली, उल्टी और भूख में कमी होती है
  • आंखों में दिक्कत
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    प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी (Proximal neuropathy)

    इस प्रकार की न्यूरोपैथी – जिसे डायबिटिक एमियोट्रॉफी भी कहा जाता है। जो अक्सर जांघों, कूल्हों, नितंबों या पैरों की नसों को प्रभावित करती है। इसके लक्षण आमतौर पर शरीर के एक तरफ होते हैं, लेकिन दूसरी तरफ फैल सकते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

    • कूल्हे और जांघ या नितंब में तेज दर्द
    • जांघ की मांसपेशियां में एंठन
    • बैठने की स्थिति से उठने में कठिनाई होना
    • गंभीर पेट दर्द की समसया

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    डायबिटिक न्यूरोपेथी के कारण क्या हैं (What is the cause of diabetic neuropathy)?

    प्रत्येक प्रकार की न्यूरोपैथी का सटीक कारण अज्ञात है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि समय के साथ अनियंत्रित उच्च रक्त शर्करा तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और संकेत भेजने की उनकी क्षमता में रूकावट का काम करता है, जिससे डायबिटिक न्यूरोपैथी की समस्या हो जाती है। उच्च रक्त शर्करा छोटी रक्त वाहिकाओं (केशिकाओं) की दीवारों को भी कमजोर करती हैं, जो तंत्रिकाओं को ऑक्सिजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कारण बनती है।

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    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन (Lifestyle Intervention for Pre-Diabetic Neuropathy )

    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन को जानने के लिए आपने डायबिटीज न्यूरोपैथी के बारे में जाना। अब अध्ययनों के बारे में जानें। अध्ययनों से पता चलता है कि न्यूरोपैथी प्री-डायबिटीज में शुरू होती है। लेकिन अब तक पेरिफेरल न्यूरोपैथी के होने की सटीक वजह का पता नहीं लगाया जा सका हैं। हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं है कि यह हाय ब्लड शुगर लेवल की वजह से होती है। हाल ही में हुए रिसर्च से पता चलता है कि हाय ब्लड शुगर लेवल के अलावा मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) में बदलाव हाय ब्लड प्रेशर की वजह से भी यह तकलीफ हो सकती है। खून में शुगर की मात्रा बढ़ने से रक्त वाहिकाओं को नुक़सान पहुंचता है, जिससे तंत्रिका कोशिकाओं से शरीर के दूसरे अंगों में खून की सप्लाई पर असर पड़ता है। इस वजह से तंत्रिका कोशिकाओं में ऑक्सिजन की सप्लाई नहीं हो पाता है।

    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन की बात करें, तो पेरिफेरल न्यूरोपैथी और प्रीडायबिटीज के बीच संबंध हो सकता है, हालांकि चिकित्सकों द्वारा अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है। अभी तक बस यह अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका में 15 मिलियन तक प्रीडायबिटीज में पेरिफेरल न्यूरोपैथी हो सकती है।23 प्रासंगिक अध्ययनों (एन = 6494) के विश्लेषण के बाद, प्रीडायबिटीज में पेरिफेरल न्यूरोपैथी की व्यापकता 18% पाई गई थी – जैसा कि 2018 में जर्नलडायबिटीज में बताया गया था। यदि सही है, तो इन निष्कर्षों से पता चलता है कि अमेरिका में पेरिफेरल न्यूरोपैथी के साथ लगभग 15 मिलियन प्रीडायबिटीज हो सकते हैं। कनाडाई और भारतीय शोधकर्ताओं ने ऐसे अध्ययन प्रकाशित किए हैं जिनमें व्यापकता और भी अधिक पाई गई है।दुर्भाग्य से, कई चिकित्सकों द्वारा प्रीडायबिटीज और पेरिफेरल न्यूरोपैथी के बीच संबंध की सराहना नहीं की जाती है।  इडियोपैथिक न्यूरोपैथी के निदान वाले सभी रोगियों में से 40% को वास्तव में प्रीडायबिटीज थी।

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    जोखिम (Risk)

    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन को जानने के लिए आपको डायबिटिक न्यूराेपैथी के जोखिम को भी जानना जरूरी है:

    • मधुमेह वाला कोई भी व्यक्ति न्यूरोपैथी विकसित कर सकता है। लेकिन ये जोखिम कारक आपको तंत्रिका क्षति होने की अधिक संभावना बनाते हैं:
    • हाय ब्लड शुगर मधुमेह की जटिलता और जोखिम को बढ़ाता, जिसमें तंत्रिका क्षति भी शामिल है।
    • मधुमेह की फैमिली हिस्ट्री होना। डायबिटिक न्यूरोपैथी का आपका जोखिम जितना अधिक समय तक आपको डायबिटीज रहता है, उतना ही बढ़ जाता है, खासकर यदि आपका ब्लड शुगर अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं है।
    • गुर्दे की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। मधुमेह गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है।
    • 25 या इससे अधिक का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) होने से आपको डायबिटिक न्यूरोपैथी का खतरा बढ़ सकता है।
    • धूम्रपान आपकी धमनियों को संकुचित और सख्त करता है, जिससे आपके पैरों और पैरों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

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    निवारण (Prevention)

    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन सबसे बड़ा उपाय डायबिटीज को कंट्रोल करना है। अपने रक्त शर्करा को कंट्रोल में रखकर और अपने पैरों की अच्छी देखभाल करके मधुमेह न्यूरोपैथी और इसकी जटिलताओं को रोक सकते हैं, जिनमें शामिल है:

    डायबिटीज पर मैनेजमेंट (Management of diabetes)

    अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन की सलाह है कि डायबिटीज वाले लोगों को साल में कम से कम दो बार ए1सी टेस्ट करवाना चाहिए। यह परीक्षण पिछले दो से तीन महीनों में आपके औसत रक्त शर्करा के स्तर का अनुमान लगाने में मदद करता है। इसके अलावा, A1C लक्ष्यों को अलग-अलग करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन कई वयस्कों के लिए, अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन 7% से कम A1C की अनुशंसा करता है। यदि आपका रक्त शर्करा का स्तर आपके लक्ष्य से अधिक है, तो आपको अपने लाइफस्टाइल में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि डाॅक्टर कुछ दवाएं जोड़ सकते हैं-

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    पांव की देखभाल (Foot care)

    पैर की समस्याएं, जिनमें घाव ठीक नहीं होते हैं, अल्सर और यहां तक ​​कि विच्छेदन भी शामिल है, मधुमेह न्यूरोपैथी की सामान्य जटिलताएं हैं। लेकिन आप इनमें से कई समस्याओं को साल में कम से कम एक बार पैर की जांच करवाकर, अपने डॉक्टर से हर ऑफिस विजिट पर अपने पैरों की जांच करवाकर और घर पर अपने पैरों की अच्छी देखभाल करके रोक सकते हैं। पैरों की अच्छी देखभाल के लिए अपने डॉक्टर की सिफारिशों का पालन करें। अपने पैरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए:

    • हर दिन अपने पैरों की जाँच करें। फफोले, कट, खरोंच, फटी और छीलने वाली त्वचा, लालिमा और सूजन जैसी समस्या तो नहीं हो रही है।
    • अपने पैरों को साफ और सूखा रखें। पैरों को रोजाना गुनगुने पानी से धोएं । अपने पैरों को भिगोने से बचें। अपने पैरों और अपने पैर की उंगलियों के बीच सावधानी से सुखाएं।
    • अपने पैरों को मॉइस्चराइज करें। यह क्रैकिंग को रोकने में मदद करता है। लेकिन अपने पैर की उंगलियों के बीच लोशन न लगाएं, क्योंकि यह फंगल विकास को प्रोत्साहित कर सकता है।
    • अपने पैर के नाखूनों को सीधा काटें। तेज किनारों से बचने के लिए किनारों को सावधानी से फाइल करें। कुशन वाले जूते पहनें जो अच्छी तरह फिट हों। अपने पैरों की सुरक्षा के लिए हमेशा जूते या चप्पल पहनें। सुनिश्चित करें कि आपके जूते ठीक से फिट हों और अपने पैर की उंगलियों को चलने दें।

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    प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन के बारे में आपने जाना यहां। डाइबिटिक न्यूरोपैथी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन डॉक्टर दर्द कम करने के लिए एंटी डिप्रेसेंट्स जैसी दवाएं दे सकते हैं। दर्द में राहत पाने के लिए  कैप्सैकिन क्रीम और मरहम से भी  मददकार हो सकती है। ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना ही नसों को नुकसान से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है अच्छी लाइफस्टाइल और मेडिकेशन।   जितना मुमकिन हो हेल्दी डायट लें, व्यायाम करें, जैसे कि वॉक, बागवानी, घर के काम करना और दिनभर की कई हल्की एक्टिविटीज। प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए लाइफस्टाइल इंटरवेंशन के बारे मे अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें।

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    डॉ. प्रणाली पाटील

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