परिभाषा
आंखों की ऊपरी परत की रक्षा करने वाले लेयर जो ऊतकों से मिलकर बनी होती है, उसे ही कॉर्निया कहते हैं। इसे आप विंडो भी कह सकते हैं, क्योंकि इसके जरिए ही प्रकाश आंखों में जाता है और आप कुछ देख पाते हैं। आंसू कॉर्निया को बैक्टीरिया, वायरस और फंगी से बचाते हैं, लेकिन कई बार तमाम कोशिशों के बाद भी संक्रमण के कारण कॉर्निया में घाव हो जाता है, जो कॉर्नियल अल्सर कहलाता है। कॉर्नियल अल्सर क्यों होता है और इसकी पहचान कैसे की जा सकती है जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
कॉर्नियल अल्सर (Corneal ulcer) क्या है?
कॉर्नियल अल्सर आंख के कॉर्निया में होने वाला घाव है जो आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है। छोटी सी चोट या लंबे समय तक कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से भी संक्रमण हो सकता है और यही संक्रमण अल्सर का कारण बनता है। यह दर्दनाक होता है, इसकी वजह से आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
कॉर्नियल अल्सर के कारण
इसका मुख्य कारण है संक्रमणः
एसेंथामोएबा केराटाइटिस
यह इंफेक्शन कॉन्टेक्ट लेंस पहनने वालों को होता है। यह एक तरह का अमीबा संक्रमण है और दुर्लभ मामलों में ही इससे आंखों की रोशनी जा सकती है।
फंगल केराटाइटिस
पौधे या पौधे से संबंधित किसी चीज से कॉर्निया में चोट लगने पर यह फंगल इंफेक्शन विकसित होता है। यह कमजोर इम्यून सिस्टम वालों में भी विकसित हो सकता है।
बेल्स पाल्सी
बेल्स पाल्सी जैसे डिसऑर्डर जो पलकों को प्रभावित करते हैं और इसकी वजह से आपकी आंखें पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती। जिससे कॉर्निया ड्राई हो सकता है और अल्सर की संभावना बढ़ जाती है।
हरपीज सिंप्लेक्स केराटाइटिस
हरपीज सिंप्लेक्स केराटाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो आंखों में बार-बार घाव का कारण बनता है। यह कई वजहों से हो सकता है जैसे तनाव, सूरज की रोशनी के लंबे समय तक रहना या कमजोर इम्यून सिस्टम।
अन्य कारण
कॉर्नियल अल्सर के अन्य कारणों में शामिल हैः
- कॉन्टेक्ट लेंस से संबंधित इंफेक्शन
- कॉन्टेक्ट लेंस से संबंधित अधिकांश संक्रमण बैक्टीरिया के कारण होता है
- कॉन्टेक्ट लेंस की हाइजीन का ध्यान न रखना भी इससे होने वाले संक्रमण का कारण है
- कॉर्नियल अल्सर वायरल इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है
- इन्फ्लामेट्री डिसऑर्डर
- ऐसी कोई भी डिसऑर्डर किसी वजह से आंखें ड्राई हो जाती है, कॉर्नियल अल्सर के खतरे को बढ़ा देता है
- विटामिन ए की कमी
- जो लोग एक्परायर्ड सॉफ्ट कॉन्टेक्ट लेंस या डिस्पोजेबल कॉन्टेक्ट लेंस लंबे समय तक (रात को भी) पहनते हैं, उनमें कॉर्नियल अल्सर का खतरा अधिक होता है।
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लक्षण
कॉर्नियल अल्सर के लक्षण
कॉर्नियल अल्सर के लक्षण से पहले आपको संक्रमण के लक्षण दिख सकते हैं। संक्रमण के लक्षणों में शामिल हैः
- तेज रोशनी देखने में असमर्थता
- लाल या गुलाबी आंखें
- आंख से पानी आना
- आंख में खुजली होना
- आंख में तेज जलन होना
- आंख से मवाद जैसा द्रव्य निकलना
कॉर्नियल अल्सर के लक्षणों में शामिल हैः
- आंखों में दर्द
- ऐसे महसूस होना कि आंखों में कुछ है
- आंख से पानी आना
- आंक से पस या गाढ़ा तरल निकलना
- धुंधला दिखना
- तेज रोशनी में देखने पर आंखों में दर्द
- पलकों में सूजन या लाल होना
- यदि अल्सर बड़ा है, तो कॉर्निया पर व्हाइट या ग्रे गोल धब्बा दिखता है
कॉर्नियल अल्सर के सभी लक्षण गंभीर हैं और अंधेपन को रोकने के लिए इनका तुरंत इलाज किया जाना चाहिए। कुछ कॉर्नियल अल्सर इतने छोटे होते हैं कि बिना मैग्निफिकेशन के नहीं दिखते, लेकिन आपको इनके लक्षण महसूस होंगे।
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निदान
कॉर्नियल अल्सर का निदान
आई स्पेशलिस्ट आंखों की जांच के दौरान कॉर्नियल अल्सर का निदान करता है। कॉर्नियल अल्सर की जांच के लिए डॉक्टर फ्लोरसिन आई स्टेन टेस्ट करता है। इस टेस्ट के लिए डॉक्टर ब्लोटिंग पेपर पर ऑरेंज डाई की की बूंद डालता है। इसके बाद डॉक्टर ब्लोटिंग पेपर को आंख की सतह से टच करके डाई को आंख में स्थानांतरित करता है। इसके बाद डॉक्टर माइक्रोस्कोप जिसे स्लिट लैंप कहा जाता है कि रोशनी में क्षतिग्रस्त हिस्से की जांच करता है। जब यह लाइट कॉर्निया पर पड़ती है तो क्षतिग्रस्त हिस्सा हरा दिखाई देता है। अगर डॉक्टर को लगता है कि किसी इंफेक्शन की वजह से आपको कॉर्नियल अल्सर हुआ है, तो वो आंख से टिशू का सैंपल ले सकता है।
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उपचार
कॉर्नियल अल्सर का उपचार
घर पर रखें इन बातों का ध्यानः
- यदि आप कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं, तुरंत निकाल लें।
- प्रभावित आंखों पर कूल कंप्रेस लगाएं।
- आंखों को उंगलियों से छुए या रगड़ें नहीं।
- संक्रमण से बचने के लिए हाथों को धोकर और तौलिए से अच्छी तरह पोंछकर ही आंख छुएं।
- एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) या आइबुप्रोफेन (मोट्रिन) जैसे दवाएं ले सकते हैं।
दवाएं
क्योंकि कॉर्नियल अल्सर की मुख्य वजह संक्रमण है इसलिए डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक आईड्रॉप देगा। यदि संक्रमण गंभीर है तो आपको हर घंटे आईड्रॉप डालने की जरूरत है। दर्द से राहत के लिए ओरल पेन किलर दिया जा सकता है। दर्द कम करने के लिए खास आईड्रॉप भी दिया जा सकता है जिससे आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं।
मेडिकल ट्रीटमेंट
यदि आपने कॉन्टेक्ट लेंस पहना है, तो डॉक्टर उसे निकाल देगा। यदि डॉक्टर को संक्रमण का संदेह है तो वह आपकी आंखों पर पैच नहीं रखेगा। पैच रखने से बैक्टीरिया और अधिक बढ़ते हैं।
सर्जरी
यदि दवाओं से कॉर्नियल अल्सर ठीक नहीं होता या इससे कॉर्निया में छेद होने का खतरा होता है तब इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत होती है, जिसमें कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट किया जाता है। इलाज के दौरान डॉक्टर आपको इनसे परहेज के लिए कह सकता हैः
- कॉनटेक्ट लेंस पहनने से
- आई मेकअप करने से
- दूसरी दवाएं लेने से
- बार-बार आंख छूने से
कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट
गंभीर मामलों में कॉर्नयिल ट्रांस्प्लांट की जरूरत होती है। इसमें सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान क्षतिग्रस्त कॉर्नियल टिशू को हटाकर उसकी जगह डोनर स्वस्थ टिशू डाल दिए जाते हैं। आमतौर पर यह सर्जिकल प्रक्रिया सुरक्षित है, लेकिन किसी भी अन्य सर्जरी की तरह ही इसमें भी कुछ जोखिम जुड़े हैं। सर्जरी के बाद कुछ इस तरह की जटिलताएं हो सकती हैः
- डोनर के टिशू को आपका शरीर रिजेक्ट कर देता है
- ग्लूकोमा विकसित होना
- मोतियाबिंद
- कॉर्निया में सूजन
- आई इंफेक्शन
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बचाव
कॉर्नियल अल्सर से किस तरह बचा जा सकता है?
कॉर्नियल अल्सर से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जैसे ही आपको आई इंफेक्शन के कोई लक्षण दिखें या आंख में चोट लग जाए, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा अन्य सावधानियां बरतें जैसेः
-
- सोते समय कॉन्टेक्ट लेंस न पहनें।
- पहनने से पहले और निकालने के बाद कॉन्टेक्ट लेंस को साफ करें।
- आंखों को छूने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लें।
- आंख में कुछ चले जाने पर तुंरत पानी से धोएं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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